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बंगाल और बांगलादेश को प्याज सप्लाई करने वाले किसान तरस रहे एक प्याज को

सीजन में पांच रुपए किलो प्याज बेचने वालों को खरीदना पड़ रहा सौ रुपए किलो

शेखपुरा के एकसारी में प्याज की रोपनी करती महिलाएं

रंजन कुमार, ब्यूरो चीफ शेखपुरा

शेखपुरा/बिहार

देश भर में शेखपुरा जिला की पहचान पत्थर तथा प्याज के उत्पादक क्षेत्र के रूप में रही है। जिला से उत्पादित प्याज बंगाल,असम से लेकर बांगलादेश तक सप्लाई किया जाता है मगर विडंबना देखिये जिला के इन्हीं किसानों को अपनी रसोई के लिए प्याज के बास्ते तरसना पड़ रहा है। प्याज के मूल सीजन अप्रैल-जून में जो किसान साढ़े चार से पांच रुपये तक अपने खेतों का प्याज बेचना पड़ता है उसी किसान को आज सौ से सवा सौ रुपए किलो प्याज खरीदने की पीड़ा झेलनी पड़ रही है। यहां बताना जरूरी है शेखपुरा जिला में प्याज की व्यावसायिक खेती सौ साल से ऊपर से हो रही है। शुरू में जिला के उत्पादित प्याज भागलपुर तथा साहेबगंज सहित पूर्वी बिहार की मंडियों में खपता था। बाद में यहां के प्याज की मांग असम,बंगाल तथा बंगालदेश तक जाने लगा। अभी मौजूदा दौर में जिला में लगभग पांच हजार हेक्टेयर में प्याज की खेती होती है। प्याज की खेती तथा कारोबार से जुड़े भूनेश्वर प्रसाद बताते हैं जिला में प्याज के भंडारण की व्यवस्था नहीं होने की वजह से 90 प्रतिशत प्याज अप्रैल से जुलाई तक में बाहर चला जाता है। जिला में प्याज भंडारण की व्यवस्था नहीं रहने की वजह से आफ सीजन में आम लोगों के साथ प्याज उत्पादित करने वाले किसानों को भी सामान रूप से प्याज की बढ़ी कीमत का दंश झेलना पड़ता है। सीजन में औने-पौने भाव में प्याज बेचने वाले किसान भी अभी प्याज का स्वाद चखने को तरस रहे हैं।
प्याज अनुसंधान केंद्र खुलेगा
शेखपुरा में प्याज अनुसंधान केंद्र खुलेगा। इसके लिए केंद्र सरकार की संस्था नाफेड ने अपनी पहल शुरू कर दी है। इस बाबत ज

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