प्रियांशु कुमार समस्तीपुर बिहार
,जनप्रतिनिधि एवं कृषि पदाधिकारी मंगलवार को 8 बजे मंडी आकर किसानों की बदतर स्थिति देखें- सुरेन्द्र!
* करैला 2 रू०, बैगन 3 रू०, भींडी 3 रू०, नेनुआ 3 रू०, परवल 6 रू०, खीरा 3 रू० प्रति किलो खरीदना है तो मोतीपुर सब्जीमंडी आईये- राजदेव
ताजपुर
लाकडाउन अवधि में जान पर खेलकर बेहतरी की उम्मीद लगाये क्षेत्र के सब्जी उत्पादक किसान सब्जी नहीं बिकने से बदहवास हैं. सब्जी की कीमत ईतनी कम है कि इससे किसान की आमदनी तो छोड़िये सब्जी तोड़ने वाले मजदूरों का मजदूरी एवं रिक्शा, ठेला, टेम्पू भाड़ा तक की पूर्ति नहीं हो रही है. फलतः किसान या खेत में सब्जी तोड़ना छोड़ दिए हैं या तोड़कर फेंक देते हैं. तमाम सब्जी उत्पादक किसानों के चेहरे पर उदासी छाई हुई है कि अब अगले फसल कैसे लगेंगे.
कुछ किसान सोमवार को सब्जी लेकर मंडी गये, उनकी सब्जी खरीददार के आभाव में धरी की धरी रह गई. कुछ किसानों की सब्जी बिकी भी तो कीमत सुनकर लोग विश्वास नहीं करेंगे.
करैला 2 रू० प्रति किलो, बैगन 3 रु० किलो, भींडी 3 रु०, नेनुआ 3 रू०, परवल 6 रू०, कद्दू 2-3 रू० प्रति पीस, साग-2 रू० किलो, खीरा 3 रू० किलो बिका. इसमें 1 रू० प्रति किलो गद्दी खर्च भी काटा जाता है.
क्षेत्र के प्रगतिशील किसान सह अखिल भारतीय किसान महासभा के प्रखंड अध्यक्ष ब्रहमदेव प्रसाद सिंह ने कहा कोरोना के डर से बाहरी खरीददार बहुत ही कम आ रहे हैं. डर के कारण शादी- व्याह समेत अन्य उत्सव आदि नहीं हो पा रहा है. पहले से ही परेशान किसान की स्थिति इस बार सब्जी की कम कीमत से मरणासन्न हो गया है. किसानों को चिंता है कि उनकी अगली फसल कैसे लगेगी. माले से जुड़े किसान राजदेव प्रसाद सिंह ने बताया कि सब्जी की इतनी कम कीमत है कि मजदूरी एवं भाड़ा किसानों को अपने घर से देना पड़ता है. उन्होंने एक सब्जी खरीद रहे एक बुद्धिजीवी के प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा कि कहा कि सब्जी तोड़ना छोड़ देना समस्या का समाधान नहीं है. अगर छोड़ देंगे तो उस पौधे में नये फल लगेंगे ही नहीं. बेहतरी के उम्मीद में तोड़कर यहाँ लाते हैं.
भाकपा माले नेता सुरेन्द्र प्रसाद सिंह ने प्रखण्ड समेत मुख्यालय के पत्रकार, जनप्रतिनिधि, बुद्धिजीवी एवं कृषि पदाधिकारी को सब्जी मंडी की मुआयना करने की अपील करते हुए सब्जी खरीद की गारंटी करने, कृषि लोन माफ करने, सब्जी उत्पादक किसानों को सब्सिडी देने, फसल क्षति मुआवजा देने की मांग की है.