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आदेश का उल्लंघन या जांच में सहयोग न करने पर हो सकती है कड़ी कार्रवाईः उपायुक्त

देवघर/झारखंड

कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए उपायुक्त सह जिला दण्डाधिकारी श्रीमती नैन्सी सहाय द्वारा जानकारी दी गयी कि कोरोना वायरस से लोगों के बचाव हेतु कोरोना वायरस रेगूलेशन, 2020 लागू कर दिया गया है। इसके तहत सार्वजनिक स्थानों को सावधानी के तौर पर 14 अप्रैल तक बंद करने का आदेश उपायुक्त द्वारा दिया गया है।
*स्वास्थ्य सुरक्षा व Jharkhand Sted Epidemic Disease (COVID&19) Regulations 2020 आदेश के तहत सभी करें नियमों का पालन व सहयोग….*
*1.* इसके तहत किसी परिसर के मालिक या उसका उपयोग करने वाले व्यक्ति के द्वारा अथवा कोई व्यक्ति जो कि COVID-19 बीमारी से संदिग्ध अथवा ग्रसित हो और इसका ईलाज लेने से अथवा बचाव संबंधी उपाय करने से मना करे जैसे कि होम क्वारैनटाईन, इंस्टीस्यूनल क्वारैनाटाईन या आईसोलेशन के लिए मना करे अथवा सर्विलेंस के द्वारा दिए गए निदेशों के पालन करने अथवा सहयोग करने से इनकार करता है, तो आपराधिक प्रक्रिया संहिता, 1973 (1974 की 2) की धारा 133 के तहत इस तरह के सहयोग और सहायता को लागू करने के लिए संबंधित व्यक्ति के विरूद्ध आवश्यक कार्यवाही की जा सकती है। नाबालिग के मामले में, इस तरह के आदेश को नाबालिग के परिवार के संरक्षक या किसी अन्य वयस्क सदस्य को निर्देशित किया जा सकता है।

*2.* अफवाहों पर लगान लगाने के उद्देश्य से किसी भी संस्थान कोई भी व्यक्ति या संस्था COVID-19 से संबंधित मामलों को बिना अनुमति के प्रचारित या प्रसारित नहीं करने का आदेश जारी किया गया है।

*3.* इन नियमों के प्रावधानों में से कोई भी उल्लंघन करने वाले को नियंत्रित करता है या आदेश की अवहेलना करता है या इन नियमों के तहत किसी भी प्राधिकारी पर लगाए गए कार्यों, कर्तव्यों और जिम्मेदारियों के प्रदर्शन को बाधित करता है, तो भारतीय दंड संहिता, 1860 (45) की धारा 188 के तहत अपराध माना जाएगा।

*4.* इन नियमों के तहत किसी व्यक्ति के द्वारा यदि अच्छे उद्देश्य के लिए कोई कार्य किया जाता है तो उनके विरूद्ध किसी प्रकार की कोई मुकदमा या अन्य कानूनी कार्यवाही नहीं की जायेगी।

*● जांच में सहयोग नहीं करने पर जा सकते हैं जेल….*
झारखंड सरकार ने राज्यपाल के आदेश पर झारखंड राज्य कोरोना वायरस रेगुलेशन 2020 जारी कर दिया है। इसका नाम द झारखंड स्टेट इपिडेमिक डिजिज (कोविद-19) रेगुलेशन 2020 रखा गया है। यह रेगुलेशन 16 मार्च 2020 की तिथि से प्रभावी कर दिया गया है। इसके तहत अब किसी भी कोरोना वायरस के संदिग्ध व्यक्ति को जांच में पूरी तरह सहयोग करना होगा। इसके तहत उपायुक्त को अधिकार दिया गया है कि वे संदिग्ध व्यक्ति को जांच के लिए जबरन आइसोलेेशन सेंटर भेज सकते हैं। अगर वह व्यक्ति जांच में सहयोग नहीं करता है, तो उस पर कानूनी कार्रवाई करने का अधिकार उपायुक्त को दिया गया है। इस रेगुलेशन का उल्लंघन करनेवाले व्यक्ति के विरुद्ध सजा का प्रावधान भी रखा गया है। इसके तहत संबंधित व्यक्ति को जुर्माना या फिर छह माह की जेल या फिर दोनों (जुर्माना व जेल) हो सकती है।
रेगुलेशन के मुताबिक, कोरोना वायरस से संबंधित सैंपल की जांच कोई भी निजी प्रयोगशाला नहीं करेगा। कोरोना वायरस सैंपल की जांच सिर्फ सरकार द्वारा निर्धारित प्रयोगशाला में ही होंगे। ऐसे सभी सैंपल को एकत्रित कर सरकार द्वारा अधिकृत प्रयोगशाला में ही जांच की जायेगी। इसके अलावा किसी भी प्राइवेट व सरकारी डॉक्टर, निजी अस्पताल में काम करनेवाले डॉक्टर और आयुष डॉक्टर को अब शपथ पत्र के माध्यम से बताना होगा कि उन्होंने कब और किसलिए देश में कहां-कहां भ्रमण किया है। साथ हीं वह इसका पूरा ब्योरा देंगे। ब्योरा राज्य के स्वास्थ्य विभाग के पास जमा करना है। इस रेगुलेशन के मुताबिक अब कोई भी संस्थान, संस्था, मीडिया (प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक) और सोशल मीडिया पर कोरोना वायरस से संबंधित तथ्यहीन या गलत मामला या अन्य कोई मामला बिना अनुमति के प्रकाशित या प्रसारित नहीं किया जायेगा, ताकि लोगों के बीच भ्रम या फिर अफवाह नहीं फैले। उपायुक्त श्रीमती नैन्सी सहाय द्वारा सभी शिक्षण संस्थानों को भी रेगुलेशन का पालन करने का निर्देश दिया है।

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