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कोरोना : दहशत में दुनिया, मास्क कारगर नहीं, हैंडवाश भी कामचलाऊ / एनएएमई के विद्यार्थियों का कैैंपस सलेक्शन

जनजागृति संगोष्ठी में डा. प्रसाद ने दी वस्तुस्थिति की जानकारी

डेहरी-आन-सोन

वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ और सोन कला केन्द्र के संरक्षक डा. एसबी प्रसाद ने कहा कि कोरोना वायरस से दुनिया अफवाह और भ्रम के कारण ज्यादा दहशत में है। इससे बचाव में मास्क कारगर नहीं है और हैंडवाश भी कामचलाऊ है, क्योंकि इस सूक्ष्म परजीवी का आकार मास्क के छिद्र से पार गुजर जाने में सक्षम है और हैंडवाश की मियाद भी कुछ देर की ही होती है। काफी हाउस में सोन कला केेंद्र की ओर से संस्था के सदस्यों और मीडिया प्रतिनिधियों के लिए कोराना जन जागृति के मुद्दे पर संयोजित विशेष संगोष्ठी को संबोधित करते हुए डा. प्रसाद ने बताया कि अभी तक वैज्ञानिकों द्वारा तय नहीं किया जा सका है कि यह परजीवी वायरस किस जीव-जंतु से निकल कर मनुष्य के शरीर में प्रवेश किया। मगर यह चिह्नित किया जा चुका है कि मुकुट की तरह दिखने वाला यह वायरस आदमी को बीमार करने वाला और जानलेवा भी है। इस वायरस का नाम कोविड-19 रखा गया है, जिसका असर सबसे पहले 2019 के अंतिम महीनों में चीन के वुहान में चिह्निïत हुआ। मानव शरीर पर इसके घातक असर के मद्देनजर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे महामारी घोषित किया है। इसकी प्रकृति की ठीक-ठीक जानकारी जुटाने में सूक्ष्मजीव विज्ञानी युद्धस्तर पर जुटे हुए हैं। पर्याप्त जानकारी हो जाने के बाद इसकी दवा ईजाद हो जाएगी। फिलहाल बेहतर परहेज इससे बचाव का उपाय है। यह सबसे पहले फेफड़ों को खराब करता है और उसके बाद किडनी और अतड़ी को। आदमी के शरीर में यह परजीवी (वायरस) 14 दिनों तक जीवित बना रहता है। इसलिए बतौर एहतियात 15 दिनों तक पूरे देश में अलर्ट किया गया है। 31 मार्च तक वस्तुस्थिति सामने होने के बाद यह संभव है कि अगले 15 दिनों का एहतियात भी बरता जाएगा। देश में करीब सवा सौ मरीज कोरोनाग्रस्त (पाजिटिव) पाए गए, जिनमें से दो की मौत कर्नाटक और दिल्ली में हुई। चीन से चलकर 150 से अधिक देशों को इसने अपने आतंक के घेरे में ले लिया है। दुनिया भर में इससे छह हजार से अधिक मौत हो चुकी है।

खाएं पूरी तरह पका अंडा-मांस-मछली :

डा. एसबी प्रसाद ने सरल तरीके से समझाया-बताया कि तेज बुखार, सूखी खांसी, सिर-बदन दर्द इसका सामान्य आरंभिक लक्षण है, जो अगले चरण में सांस लेने की कठिनाई के खतरनाक स्तर पर जा पहुंचता है। अभी तक के वैश्विक अध्ययन में पाया गया है कि इसका असर कमजोर बाडी इम्यून वाले, बुजुर्ग और गर्भवती महिलाओं सबसे पहले हुआ। संक्रमण होने पर शरीर में इसका असर 48 घंटे बाद दिखता है। हालांकि शरीर किसी भी वायरस के प्रति अपने देश पर विदेशी हमलावर की तरह प्रतिक्रिया करता है और उससे अपने आंतरिक हथियार साइटोकाइन (जैव रसायन) का स्राव कर लड़ता है। रोग प्रतिरोधी क्षमता कम होने पर शरीर की आंतरिक लड़ाई कमजोर होती है और शरीर वायरस का शिकार हो जाता है। एक-डेढ़ मीटर की दूरी का एहतियात इसलिए है कि कोविड-19 सांस खींचने के जरिये फेफड़े में प्रवेश करता है। हथेली के त्वचा स्पर्श से भी आंख, नाक, मुंह के जरिये शरीर में प्रवेश कर सकता है। यह कम तापमान पर सक्रिय (जीवित) बना रहने वाला परजीवी है, जिसे जिंदा रहने के लिए जीवित कोशिका (सेल) की जरूरत होती है। इससे बचाव का उपाय भीड़-भाड़ में जाने से परहेज करना है, क्योंकि किसी संक्रमित व्यक्ति के हवा में सांस छोडऩे के जरिये दूसरे में पहुंच सकता है। स्वास्थ्यवद्र्धक भोजन, विटामिन-सी वाले रसदार फल और पूरी तरह पका हुआ मुर्गा-बकरा का मांस, मछली, अंडा, दूध के सेवन से शरीर की रोग प्रतिरोधी क्षमता बेहतर बनी रहती है। उन्होंने बताया, यह अफवाह पूरी तरह गलत है कि मांस-मछली नहींखाना चाहिए। पानी खूब पीना चाहिए। मधुमेह, उच्च रक्तचाप से ग्रस्त, दमा, टीबी के मरीज, कमजोर पाचन वालों को खास परहेज की जरूरत है। घरेलू पालतू जानवरों से भी दूरी बनाए रखने की जरूरत है।
कोरोना जनजागृति संगोष्ठी में सोन कला केन्द्र के संरक्षक राजीव रंजन, वरिष्ठ सलाहकार कृष्ण किसलय, सलाहकार जगनारायण पांडेय, अध्यक्ष दयानिधि श्रीवास्तव, कार्यकारी अध्यक्ष जीवन प्रकाश, उपाध्यक्ष उपेन्द्र कश्यप, अरुण शर्मा, उप सचिव सत्येन्द्र गुप्ता, उप कोषाध्यक्ष नंदकुमार सिंह, सदस्य उदय गुप्ता, रामनारायण सिंह आदि के साथ विभिन्न समाचारपत्र, वेब न्यूजपोर्टल, यूट्यूब बुलेटिन के प्रतिनिधि उपस्थित थे।

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