सासाराम
बेमौसम बरसात से बिक्रमगंज प्रखंड क्षेत्र के किसानों की टूटी कमर बता दें कि बिक्रमगंज प्रखंड क्षेत्र में आज भी कई एकड़ में धन लगे हुए सड़ रहे हैं जो बे मौसम बरसात होने से किसानों को खेत से धान निकालने के लिए मजदूर तक नहीं मिल रहे हैं एक तरफ सरकार की पराली जलाने से रोक लगी हुई है तो वहीं दूसरी तरफ किसान हार्वेस्टर से अपनी फसल नहीं कटवा रहे हैं कि पराली जलाना नहीं है तो कैसे कटवाया जाए मजदूर ढूंढने पर भी जल्दी नहीं मिल पा रहे हैं बहुत ही धीमी गति से धान की कटनी गणतंत्र दिवस 3 दिन बीत जाने के बाद भी चल रहा है जो कि किसानों के लिए हानिकारक है खेतों में देखा गया तो लगभग 40 से 50% धान गिर चुके हैं तथा कई किसान रो रो कर अपनी जुबान से बोल रहे हैं कि अब हम लोगों की गेहूं की बुवाई कब करेंगे और कैसे होगी हम सब सरकार से मांग करते हैं कि हमारी मुआवजा पूरी करें जो क्षति हुई है उसको भरपाई करें अब गेहूं की बुवाई करते हैं तो पता नहीं खाद और बीज का भी लागत मूल्य वापस आएगा या नहीं धान तो आधा अधिक बर्बाद ही हो गया किसानों का मानना है कि इन फसलों से हम लोग अपनी बच्चे की पढ़ाई दवाई शादी विवाह या पूरे साल की खर्चा परिवार की उठाते हैं किंतु अब समझना मुश्किल है कि करे तो क्या करें केवल सरकार से उम्मीद लगाए बैठे हैं कि हमारी बर्बादी की कुछ भरपाई अवश्य करेंगे आगे अब देखनी है कि इन बर्बाद फसलों के लिए किसानों की मुआवजा मिलता है या नहीं वही बिक्रमगंज से किसी अखबार ने लिखा था कि बिक्रमगंज में किसान की धान किसी प्रकार के नुकसान नहीं हुआ है किंतु आपको मैं दिखा रहा हूं आप देखकर अंदाजा लगा सकते हैं कि फसल बर्बाद हुआ है या नहीं कई किसानों ने बताया कि पुआल भी इतने सड़ गए हैं काले हो गए हैं कि मवेशी को भी खिलाने के लिए नहीं बच्चे हैं लगता है कि मवेशी भी अब बेचनी पड़ेगी इसी कारण बस किसानों की कमर टूट रही है।