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पंचायत चुनाव को लेकर सरगर्मी बढ़ी

ब्यूरो चीफ रोहतास

सासाराम

रोहतास जिला में दिनारा विधानसभा आमचुनाव 2020 का चुनाव एवं परिणाम संपन्न होने के बाद से ही पंचायत चुनावों की ओर लोग झुकने लगे हैं। पंचायत चुनाव में वार्ड सदस्य ,पंचायत समिति, मुखिया, जिला परिषद सदस्यों को लेकर चहल-पहल शुरू हो गई है
पंचायती राज संस्थाएं भारतीय लोकतंत्र का आधार स्तंभ है, राष्ट्रपिता बापू ने अपने को ग्रामवासी ही मानते थे उन्होंने गांव की जरूरत पूरी करने के लिए अनेकों संस्थाएं कायम की थी और ग्रामवासी की शारीरिक, आर्थिक, सामाजिक और आर्थिक स्थिति सुधारने का भरसक प्रयत्न किया था
स्वतंत्रता के पश्चात पंचायती राज की स्थापना लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण की अवधारणा को साकार करने के लिए उठाए गए महत्वपूर्ण कदमों में से एक था। वर्ष 1993 में संविधान के 73वें एवं 74 वें संशोधन द्वारा त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था को संवैधानिक मान्यता मिली थी
पंचायती राज की स्थापना का मुख्य उद्देश्य था कि देश के करीब ढाई लाख पंचायतों को अधिक अधिकार प्रदान कर उन्हें सशक्त बनाना था और यह उम्मीद थी कि ग्राम पंचायतें स्थानीय जरूरतों को अनुसार योजनाएं बनायेगी और उन्हें लागू करेगा।गौरतलब हो कि भारत में प्राचीन काल से ही पंचायती राज व्यवस्था अस्तित्व रही है
भारत में त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था में ग्राम पंचायत( ग्राम स्तर पर )पंचायत समिति (मध्यवर्ती स्तर) पर तथा जिला परिषद (जिला स्तर) पर कार्य करती है। गौरतलब हो कि पंचायत समिति जीतने वाले को बहुमत मिलने पर प्रखंड प्रमुख बनने का मौका मिलता है वही जिला परिषद सदस्य को बहुमत हासिल करने पर जिला परिषद का चेयरमैन बनने का मौका मिलता है
पंचायत चुनावों को परंपरागत रूप से बुनियादी मुद्दों पर स्थानीय जनता का फैसला माना जाता है। आमतौर पर इसका राज या देश तो दूर संबंधित जिले की राजनीति से भी कोई खास सरोकार जोड़कर नहीं देखा जाता है
पंचायती चुनाव छोटा चुनाव तो है पर इसका संदेश देश के महत्वपूर्ण स्थान पर बैठने वाले को झकझोर कर रख देती है
पंचायत चुनाव में हर घर से एक नेता बनने की चाह उभरती है, स्थानीय मुद्दे सामने दिखती है। और उसी के आधार पर चुनावों में मतदान होता है और प्रत्याशियों को जीताने का प्रयास किया जाता हैं
दिनारा प्रखंड के 22 पंचायतों में अगले साल के मध्य में ही चुनाव होना है इसको लेकर अभी से ही पंचायत के हरेक क्षेत्रों में गांव के गलियारों से लेकर चाय की दुकानों, चौक चौराहों पर पंचायत चुनाव की धमक देखने को मिल रही है
गौरतलब हो कि जनता जागरुक हो चुकी है, पंचायत में कितनी योजनाओं का स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने मामला उठाया। कौन-कौन से काम कराएं। कितने योजनाओं को अमली जामा पहनाया गया। किस योजना में कितना आवंटन हुआ और कितना व्यय हुआ ,सब का हिसाब जनता मांग रही है जनता खोजने लगी है
पंचायत चुनाव भले ही छोटा हो माना जा रहा हो परंतु इस बार का पंचायती चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों को जनता के सवालों का जवाब के साथ-साथ कार्यशैली भी दिखानी होगी

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