तिलौथू संवाददाता प्रीति कुमारी
किसान रासायनिक् खादों का इस्तेमाल करके कर रहे हैं खेतों की फासले और इंसान के सेहत का नशात्। जब की किसान अच्छी तरह से जान रहे हैं कि सेहत का सीधा सम्बन्ध भोजन से है
आज कल किसान भी इतना आलसी बनते जा रहे हैं कि पॉकेट में भले ही बजट न् हो लेकिन खेतों की फसलों के उपज और मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने के लिए लोग रासायनिक् पदार्थो का इस्तेमाल कर रहे हैं
जब की सरकार ने किसानों को रोकने के लिए उन्हें जैविक की खेती कराने के लिए नसीहत दी है। लेकिन फिर भी किसानों पर कोई असर नहीं पड़ता हुआ दिख रहा है। और सरकार के योजनाओं को असफल बनाने में लगे हुए हैं। जो आगे चल कर उन्हीं को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है
सरकार ने बहुत सारे योजना बनाकर किसानों को प्रोत्साहित करने के वास्ते सभी प्रखंडों में क़ृषि विभागों द्वारा शिविर लगाकर जैविक विधि से खेती करने के बारे में बताया। जब की किसानों के अनुदान पर बीज व् जैविक खाद की लिए पूरी व्यास्था कर रखी है मगर किसान अपने मनमानी कर रहे हैं
जैविक विधि से खेती और रासायनिक् विधि से खेती में बहुत अंतर होता है। रासायनिक् पदार्थ से खेतों की उपज को घाटाती है जो मनुष्य के लिए हानिकारक साबित होता है। तो वहीं दूसरी ओर जैविक खेती में कम लागत से ज़्यादा मात्रा में उपज होता है वह भी अच्छी फसल के साथ
किसान खुद के साथ लोगों के भविष्य को सँभालने की तक्कत् को भी रखते हैं। किसान ही तो है जो देश की शान, मान और इज्ज्त है। लेकिन अब वहीं लोग इस तरह से करना शुरू कर रहे हैं तो देश क्या भविष्य होगा