डेहरी ओन सोन रोहतास जेपी आंदोलन के नेता व राष्ट्रीय वंचित दलित समाज अधिकार मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री तूफानी राम एवं मोर्चा के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव मोहन राम ने 5 जून संपूर्ण क्रांति दिवस के अवसर पर जेपी को याद करते हुए
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से बिहार के तमाम बंद कल कारखानों को बिहार के लगभग 2500000 प्रवासी मजदूरों के हित में खोलने की अपील किया है lउपरोक्त नेताओं ने कहा है कि एशिया महादेश में एक अलग पहचान बनाने वाला रोहतास उद्योग पुंज डालमियानगर जहां सीमेंट , बनस्पति , कागज , एस्बेस्टस,चीनी, साबुन ,आदि का उत्पादन होता था, अमझोर खाद कारखाना ,बरौनी खाद कारखाना समस्तीपुर चीनी ,चीनी मिल मोतिहारी ,जो वर्षो से बंद है। आज बिहार के सभी कल कारखाने बंद होने एवं नए कारखाने नही लगने के कारण बिहार के लाखों मजदूर गुजरात बम्बई, दिल्ली ,सूरत, आदि राज्यों में पलायन करते रहे है। वहां उनका अमानवीय दुर्दशा होते रहा है। राष्टीय प्रधान महासचिव मोहन राम ने कहा कि आज बिहार में सभी बंद कल कारखाने खुल गए होते एवं बिहार में नए कल कारखाने लगाए गए होते तो बिहार के गरीब मजदूरों को अन्य राज्यों में भटकना नहीं पड़ता। बिहार के नेताओं को सिर्फ मुख्यमंत्री एवं मंत्री बनने की चिंता है। बिहार के गरीब मजदूरों के चिंता नहीं है। राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री तूफानी राम ने कहा कि बिहार के माननीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार
द्वारा बिहार के प्रवासी मजदूरों को बिहार से बाहर न जाने देने तथा बिहार में ही रोजगार देने की बात कही जा रही है ,जो सराहनीय बात है,परंतु जब मुख्यमंत्री द्वारा इसे कार्यान्वित किया जाए एव जमीन पर उतारा जाए। दोनों नेताओं ने कहा है कि यदि माननीय नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बिहार के 2500000 प्रवासी मजदूरों के हित चाहते हैं एवं प्रवासी मजदूर अन्य राज्यों में पलायन ना करें तो ऐसी परिस्थिति में बिहार के सभी बंद कल कारखानों को चालू करावे तभी मुख्यमंत्री जी के कथन सार्थक साबित होगा ।राष्टीय अध्यक्ष तूफानी राम ने यहभी कहा है कि 5 जून 1975 को जेपी ने संपूर्ण क्रांति का नारा दिया थाl संपूर्ण क्रांति का नारा है, भावी इतिहास हमारा है। तूफानी राम ने कहा है कि अफसोस की बात है ,आज तक जेपी का नारा अधूरा रहा है। जब की सत्ता में बैठे बिहार के लगभग सभी नेता जेपी आंदोलन के ही उपज है। जब तक बिहार के गरीब एवं बेसहारों का विकास नहीं होगा तब तक बिहार का चौमुखी विकास संभव नहीं।