निजी वाहनों के जांच तक सिमटी परिवहन विभाग की कार्रवाई
जिले से पटना और बनारस जाने वाले यात्री बसों सुमो ट्रैवलर बस सहित जीप ऑटो और अन्य सवारी वाहनों के किरायों पर प्रशासनिक लगाम नहीं है वाहन संचालकों के द्वारा किराया वसूली का कोई रसीद नहीं दिया जाता और कुछ वाहनों के कंडक्टर रो द्वारा रसीद के नाम पर फर्जी रसीद थमा दी जाती है जिस पर गाड़ियों के नंबर और प्रस्थान स्थल से लेकर गंतव्य आस्थान तक की जानकारी नहीं होती है ऐसे में सफर करने वाले यात्रियों से बस संचालक मनमाना किराया वसूली करते हैं सीट से ज्यादा सवारी को लेकर यात्रा करना तो जगजाहिर है प्रशासन चौक चौराहे पर अवैध रूप से संचालित ऑटो स्टैंड के अघोषित संचालक एजेंटों से वसूली के लिए तो पूर्व से ही आरोपी होने का बदनुमा दाग झेल रही है सच हो या झूठ लेकिन सड़कों पर मनमाने ढंग से ऑटो को खड़ा करने और जाम की समस्या पैदा करने के मामले इस बदनुमा दाग पर मुहर लगाते हैं। वही बिना रजिस्ट्रेशन नंबर के चल रहे ट्रैवलर बस कंडक्टरों द्वारा सुविधाओं के नाम पर मोटी रकम वसूली यात्रियों के परेशानी का सबब साबित हो रहा है।
परिवहन व्यवस्था और सड़क सुरक्षा के नाम पर बहुत खानापूर्ति करते हुए प्रशासनिक अधिकारी निजी चार पहिया वाहनों की जांच और दोपहिया वाहनों के चालक को हैमलेट सहित दस्तावेजी जांच अपनी कार्रवाई को समेटे हुए हैं जबकि सवारी वाहनों के नाम पर सैकड़ों बिना परमिट बिना फिटनेस और 15 साल से अधिक का समय पूरा कर चुके होने के बावजूद सड़कों पर सरपट दौड़ लगा रहे हैं और ऐसे वाहनों के कारण अक्सर दुर्घटनाओं के बाद सड़क जाम की समस्या से प्रशासन को जनाक्रोश का सामना करना पड़ता है बाहर हाल अब तक एक बार भी निजी बसों की जांच और उनके यात्रियों से वसूले जाने वाले किराया किराया रसीद संबंधी जांच देखने को नहीं मिली है