पटना ग्रामीण से रवि शंकर शर्मा की रिपोर्ट
मोकामा के हाथीदह में राजेंद्रसेतु पर मालवाहक आवागमन को पुनर्स्थापित करने को लेकर सैकड़ों वाहन मालिकों और चालकों ने हाइटगेज के पास एक बैठक की ।
इस बैठक में पहले तो राजेंद्रसेतु पर मालवाहक वाहनों के आवागमन पर प्रतिबंध लगने से लाखों लोगों के जीवन पर होने वाले प्रतिकूल प्रभाव पर चर्चा किया ।
फिर माधव कुमार के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल का गठन कर
आलाधिकारियों को अपनी व्यथा से अवगत कराने पर सहमति बनी।
माधव कुमार ने बताया कि प्रशासन ने हमे 24 घंटे का वक़्त दिया था परंतु बिना सोंचे समझे महज 12 घण्टे में ही चुपके से इस सेतु को बंद कर उत्तर और मध्य बिहार के आठ से भी अधिक जिलों के लाखों लोगों के सामने जीविका का घनघोर संकट पैदा कर दिया है। और इसलिए आलाधिकारियों से हम लिखित आवेदन के साथ मिलकर उन्हें इस भयावह और जानलेवा समस्या से अवगत कराते हुये सेतु पर अंडर लोड परिचालन की माँग करेंगे।
उल्लेखनीय है कि राजेंद्रसेतु से उत्तर और मध्य बिहार के करोड़ों लोग एक दूसरे से जुड़े हैं इसके साथ ही लाखों घरों के चूल्हे जलने का आधार भी राजेंद्रसेतु ही है जिसके बंद हो जाने के बाद इन घरों के चूल्हे की लौ बुझती दिख रही है।
सरकार ने अचानक बिना कोई वैकल्पिक व्यवस्था किये सेतु को बंद कर निश्चय ही लाखों लोगों के जीवन को अंधेरे में धकेल दिया है। ये जितनी बड़ी शासकीय लापरवाही है उतना ही बड़ा निकम्मापन भी।
कोई भी सरकार जनता के हित के लिये होता है न कि अहित के लिये।
राजेंद्रसेतु का बन्द होना पूरे बिहार के व्यापार को प्रभावित करेगी।
सरकार को तुरन्त ही कोई वैकल्पिक इंतजाम कर खड़े हो चुके हजारों वैसे वाहन जिनसे सरकार रोड और अन्य प्रकार के मोटी टैक्स वसूलती है उसे सड़क देने का जिम्मा भी सरकार की है।
माधव ने यह भी बताया कि पहली बार NHAI के द्वारा ही 100 से 150 टन तक के वाहनों का मटेरियल ढोने के लिये परिचालन कराया और बेगुसराय में 32 किलोमीटर सड़क का निर्माण किया ,जिस कारण सेतु की जड़ें तक हिल गई थी।
वाहन मालिकों ने अधिकारियों से अनुरोध किया था कि हमे निर्धारित वहन क्षमता के साथ अंडर लोड चलने की अनुमति दी जाय जिसे दरकिनार करते हुऐ बिना किसी वैकल्पिक व्यवस्था के सरकार ने अमानवीय और असंवेदनशील फैसला लिया है, जिससे लाखों जिन्दगियाँ एक साथ भुखमरी के कगार पर खड़ी है।