“जब चारदीवारी ये कहती है की ख़ूबसूरत है ये दुनियाँ तू इसको क्यूँ बदलती है तो आज की नारी कहती है चारदीवारी के बाहर भी भी समाज सुन्दर रहे इसलिये तो नारियाँ हर रोज नए किरदार निभाती है “
बक्सर जिला के सिमरी प्रखंड की प्रखंड प्रमुख प्रियंका पाठक जिन्हें 29 पंचायतो के जनप्रतिनिधियों ने निर्विरोध रूप से जिले के सबसे बड़े प्रखंड को चलाने की जिम्मेदार दी आज एक आदर्श रूप प्रस्तुत कर रही है
प्रियंका पाठक जी के युवा कन्धों औऱ बहू का किरदार को निभाते हुए इस कार्य को कुशलतापूर्वक करना बहुत चुनौतीपूर्ण रहा है जिसमे उन्हें अनेको कठिनाईयों का सामना करना पड़ा सबसे बड़ी विषम परिस्थिति का सामना तो जिम्मेदारी संभालने के तुरंत बाद ही करना पड़ा जब एक पदाधिकारी के गलत आचरण का विरोध करना उनके लिये विकट संकट ले आया औऱ उनका परिवार भी बुरी तरह से फंस गया किंतु धैर्यवान औऱ व्यवहार कुशल छवि के बदौलत जनता से संवाद करने के पश्चात पदाधिकारी के खिलाफ एक जनआंदोलन खड़ा किया औऱ खुद को निर्दोष साबित किया ।
प्रियंका के पिता रेलवे में कार्यरत है इसलिए इनका परिवार उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में ही बस गया जहाँ उन्होंने स्नातक की पढ़ाई पूरी की विवाह के पश्चात अपने ससुराल बलिया आ गयी प्रियंका में समाज के प्रति हमेशा से लगाव रहा इसी चाह में एक शिक्षक बनने का फैसला किया जिसमें सबसे बड़ा समर्थन उनके पति नीरज पाठक से मिला जिन्होनें उनके राह की सारी मुश्किलों को प्रियंका के लिये आसान कर दिया ।
एक जनप्रतिनिधि के रूप में समाज कल्याण के लिये कार्य करने की प्रेरणा भी प्रियंका ने अपने पति नीरज पाठक से लिया जिन्होनें अपना अपार समर्थन दिया औऱ घरेलू कार्यो की समस्या के साथ सामंजस्य बनाने में सहयोग की जिससे अधिक से अधिक सामाजिक कार्यों में अपनी रुचि ले पाए ।
प्रखंड प्रमुख के रूप में आज प्रियंका पाठक बहुसुत्री कार्यो को योजनाबद्ध तरीके से कर रही है जहाँ प्रधानमन्त्री जी के पोषक तत्व कार्यक्रम को समाज के हर तबके तक पहुँचा रही है वही गरीब अशिक्षित महिलाओं को शिक्षा के संग स्वरोजगार के प्रति आत्मनिर्भर बना रही है । खराब सड़क के कारण दुर्घटनाओं को रोकने के सरकार के साथ संवाद हो या वृध्द कल्याणकारी कार्यों से जुड़ाव, जनभावनाओं के प्रति ये संवेदनशीलता प्रियंका को लोकप्रिय आदर्श महिला के रूप में समाज में स्थापित कर रही है
आज युवा लड़कियों को ऐसी सामाजिक योद्धा से प्रेरणा मिल रहा है की वो भी दो कदम आगे बढ़कर समाज के लिये अपना बहुमूल्य योगदान दें
“बदल जाओ वक्त के साथ या वक्त को बदलना सीखो ,
मजबूरियों को मत कोसो
हर हाल में चलना सीखो “