संवाददाता–मो०शमशाद आलम
करगहर—कोरोना से देश को बचाने के लिए सरकार ने लॉक डाउन तो कर दिया लेकिन उनका क्या जिनकी दो वक्त की रोटी भी लॉक डाउन के कारण छिन गई ? बेशक सरकार लॉक डाउन के दौरान लोगों को मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराने के लिए निरंतर प्रयासरत है लेकिन बावजूद रोहतास जिले के करगहर प्रखड़ के रामपुर नरेश में रूके घुमंतूओ की टोली के सामने ऐसी मार्मिक स्थिति सामने आई है जिसे देखकर लॉक डाउन की लाचारी साफ झलकती है।लॉक डाउन के दौरान सबसे बड़ा संकट गरीबों के सामने आ गया है भुखमरी का। न तो जीविका अर्जन का स्रोत है और न ही परिवार का पेट पालने के सामर्थ्य। मध्यप्रदेश के जिला रीवाँ और उतरप्रदेश के इलाहाबाद जिले के रहने वाले घुमंतू जो अपनी पुरी परिवार के जीवन यापन के लिए बिहार सहित अन्य प्रांतों में घूम घूम कर जुड़ीबुटी बेचकर व मांगते खाते अपनी जिंदगी व्यक्तित कर रहे हैं। लेकिन लॉक डाउन के कारण कहीं आने-जाने पर लगी रोक के कारण भूख से व्याकुल बच्चे, बुढे़, एवं महिलाएं सहित लभगभ सौ लोगों ने पानी पीकर पेट की क्षुधा को शांत करने को मजबूर हैं। इतना ही नहीं इनके साथ कई मासूम बच्चे भी हैं जिनको तो लॉक डाउन का मतलब भी नहीं जानते। लेकिन लॉक डाउन ने भूखे रहने पर विवश कर दिया है ।
इन घुमंतूओ की परेशानी ना ही स्थानीय प्रशासन को दिखी और ना ही यहां के समाजसेवी एवं जनप्रतिनिधियों को अंतोगत्वा इन घुमंतूओ ने मीडिया के माध्यम से मदद की गुहार लगाई है । यह तो सड़क पर थे इसलिए मीडिया की नजर पडी़ पर लेकिन कई गांव में न जाने कितने ऐसे परिवार हैं जो लॉक डाउन के कारण भूखमरी की कगार पर पहुंच गए हैं। जब देश महामारी से जूझ रहा है तो ऐसे में सरकार जहां हर संभव प्रयास देशहित में कर रही है तो ऐसे समाजसेवियों एवं जनप्रतिनिधियों को भी आगे आना चाहिए ऐसे जरूरतमंदों की मदद करनी चाहिए ।