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अगहनी एवं चैती दोनों फसल बर्बाद,खेत बना खेल का मैदान-अशोक गुप्ता

सासाराम

रोहतास जिला के दिनारा विधानसभा के पूर्व प्रत्याशी एवं संयोजक जनप्रतिनिधित्व कानून बचाओ अभियान के संयोजक अशोक कुमार गुप्ता ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि मै अपने पैतृक गांव गंज भड़ासरा में खेत घूमकर विभिन्न मौजो में फसल नुकसान को देखा। अगहनी व चैती दोनों फसल बर्बाद है।खेत खेल के मैदान में तब्दील हो गया है। आश्चर्य कि इतने बरबादी के जमीनी हकीकत को दिनारा प्रखंड के बलदेव उच्च विद्यालय दिनारा में पधारे दो उड़नखटोले के साथ बिहार के मुख्यमंत्री व राज्य के शीर्ष आलाधिकारियों की टीम के पदार्पण के वक़्त प्रकृति की मार झेल रहे किसानों की दुहस्थिती की बात आने पर तत्काल प्रभावित किसानों के खेतों के बरबादी का रिपोर्ट सरकार को पेश करने का निर्देश जिलाधिकारी व कृषि विभाग को देने के बावजूद आदेश की धजजिया उड़ गईं।नीतीश सरकार जनता की सरकार के बदले अफसर सरकार के कथन को प्रमाणित कर दिया। जिला प्रशासन द्वारा फसल क्षति को शून्य बता दिया।अब यह बात समझ से परे है कि क्षेत्र के प्रतिनिधियों को यहां के मतदाता कितना पॉवर फूल बनायें। केंद्र में अपना मंत्री, राज्य में अपना मंत्री, रोहतास का प्रभारी मंत्री खुद राज्य का कृषि मंत्री , फिर दिनारा विधानसभा व जिले के किसान की बरबादी का ऑन द स्पॉट भरपाई अबतक नहीं होना अति चिंता की बात है। सच्चाई भी सामने कई एक दफा आयी है कि हमारी ही सरकार रहते माननीयों के आदेश , फोन की लगातार अफसर अनदेखी करते रहे हैं।न कार्यकर्ता का मान सम्मान, ना ही जनता का सम्मान। यह इसलिए कि चुनाव जनता के प्रतिनिधि का नहीं ,चुनाव तो पार्टियों द्वारा दिल्ली व पटना द्वारा थोपे गए प्रतिनिधियों का हुआ है, और पार्टियां अपनी दुकानदारी चलाने के लिए फंडिंग करने वालो को थोपकर मतदाताओं को ब्लैकमेल किया जाता है।अब क्षेत्र की जनता उब कर दिनारा में सत्ता पक्ष व विपक्ष दल के कार्यकर्ता साथियों ने जब किसानों के साथ हो रहे जुल्म को सामने लाने का काम किए तो अखबारी बयानबाजी बढ़ने लगी।हम मांग करते हैं कि जिला प्रशासन द्वारा उन सभी पदाधिकारी को बर्खास्त किया जाय जो फसल क्षति को शून्य बताकर पैराशूट सरकारी मशीनरी को प्रमाणित किया है।किसान हित की अनदेखी निश्चित रूप से 2020 के विधानसभा चुनाव को प्रभावित करेगी। दिनारा विधानसभा को अब अक्षम , पैराशूट,दबंग,महंगा नेतृत्व पसंद प्रतिनिधि नहीं चाहिए।यहां के मतदाता एक स्वच्छ छवि,मिलनसार,सर्वसुलभ, ईमानदार प्रतिनिधि की चाह रखते हैं जो किसानों,मजदूरों,छात्रों,बेरोजगारों के दर्द को समझने वाला हो।

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