संवाददाता—मो०शमशाद आलम
करगहर–फूल तो दो दिन बहारे जां फिजा दिखला गए, हसरत उन गुंचों पे है जो बिन खिले मुरझा गए–जौंक साहब की ये लाईनें बिहार में फूलों के उन रहनुमाओं पर सटीक बैठती है जो इस वक्त भारी आर्थिक दिक्कत से गुजर रहे है ।लॉकडाउन में फूल उत्पादकों की खेती और कारोबार समक्ष एक बड़ा वित्तीय संकट खड़ा कर दिया है ।आलम यह है कि खेत तो फूलों की महक से लहलहा रहे है,मगर फूलों की कोई खरीदार नही दिख रहा।इस लॉकडाउन में सबसे अधिक घाटा किसानों को होता दिख रहा है।लॉकडाउन के वजह से किसानों के सामने भूखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गई है।करगहर प्रखंड क्षेत्र में अलग अलग जगहों पर लगभग 8-9 बीघा के भूमि में यहां के किसान फूलों की खेती करते हैं ,लेकिन इस बार खेत में ही फूल खिल कर फिर मुरझा रहे हैं।इन फूलों का कोई खरीददार नही है।भले ही यहाँ के खिले फूल का लहलहता खेत मनमोहक दृश्य प्रकट करता हो,लेकिन यह खेत अब फूल किसानों के लिए काल बन गया है ,क्योंकि इन खिलते फूलों का इस समय कोई खरीददार नही है।
फूल के खेती करने वाले किसानो हो रहा है अस्सी हजार से लाख रूपये का हो घाटा
मना जा रहा है कि यहाँ के हर किसानों को अस्सी हजार से एक लाख रूपये का घाटा हुआ है।फूल के खेती करने वाले किसान कहते है कि कई जगहों पर लगातार फोन कर रहे है कि फूल ले लिया जाए।लेकिन इस फूल को आने-पौने दामों में भी फूल लेने के लिए कोई खरीददार नही मिल रहे है।
बंद पडे़ मंदिर मजार गुरूद्वारा
इन दिनों मंदिर,मजार ,गुरूद्वारा सामान्य समारोह यहाँ तक शादी- बिवाह, पूजा- पाठ भी बंद है। जिस कारण सारी मेहनत तो बर्वाद हो गई,साथ खेती में लगा पूंजी भी नुकसान हो गया।इस मौसमी खेती में करगहर प्रखंड के मलिया बगीचा व विभिन्न गाँवों के किसान फूल के खेती कर फूल बेचकर हजारों रूपये कमाते थे।लेकिन इस बार किसान बर्वाद हो गए ।
बचाकर रखा फूला खेतों में मुरझा
शादी -विवाह के लग्न के मौसम के लिए किसान फूल को किसी तरह बचा कर रहे थे।यह सोचकर कि उनके खेत में खिले फूलों की बिक्री होगी,तो फायदा हो गया,जिससे घर परिवार की रोजी रोटी चलेगी। लेकिन लॉकडाउन होने से अब सारे फूल बेकार हो गया है। फूल की बिक्री नही होने से फूल खेतों में ही सुख -मुरझा कर झड रहे है और इसका कोई खरीददार नही है।
किसानों का कहना है-रजिंद्र भगत ,पप्पू भगत,
राजकुमार भगत सहित किसानों ने बताया कि मलिया के बगीचा गांव में 7 बीघा से अधिक खेतों में फूल के खेती का उत्पादन होता है ।उनका परिवार वर्षो से नगदी फूल का खेती करते आ रहे है।जिस खेती से नगद फायदा होती थी।इस बार फूल खिल कर तैयार है लेकिन कोई खरीददार नही रहने से उनके फूल खेत में ही सुख कर झड़ रहे है ।यूँ कही कि फूल के पंखुरी के साथ उनके सपने भी जमीन पर गिरकर बर्वाद हो रहे है।बडे़ जतन व परेशानी से ओलावृष्टि से बचाकर इन फूलों को रखा गया था,लेकिन जिन फूलों के पौधों को किसान आसमानी पत्थर से बचा लिया ,लेकिन वायरस की मार ने उन किसानों को कहीं का नही छोड़ा।
पांरपरिक खेती छोड़कर—
किसानों पांरपरिक खेती छोड़कर फूलों के नगदी खेती की ओर रूख किया ,लेकिन इस विपत्ति के घड़ी में उन लोगों को बहुत घाटा हो रहा है।इस फूल का कोई खरीददार नही है ।ऐसे में धान -गेंहूँ के पांरपरिक खेती छोड़ना उन लोगों को मंहगा लग रहा है ।ऐसी कोई उपाय भी नही है, कि इन फूलों को कुछ दिन तक बचा कर रखा जाए।