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रेलवे ने रची इतिहास,देश के सामने सेवाभाव की बेहतरीन मिसाल पेश की

ग्रामीणों ने कहा :- रेलकर्मी हमारे लिए किसी फरिश्ते से कम नहीं

* रेलकर्मियों ने कठिन चुनौती को बड़ी सहजता और समर्पण के बल पर ही आसान बना दिया

* रेलकर्मियों ने अपनी खिदमत के बल पर देश के सामने पेश की एक नजीर

सरफराज आलम

डेहरी ओन सोन रोहतास

पूर्व मध्य रेल के महाप्रबंधक एल सी त्रिवेदी, प्रधान संकेत एवं दूरसंचार अभियंता राजेश कुमार सिंह, डीडीयू रेल मंडल के रेल प्रबंधक पंकज सक्सेना के मार्ग दर्शन तथा डीडीयू रेल मंडल के वरिष्ठ संकेत एवं दूरसंचार अभियंता (समन्वय) ब्रजेश कुमार यादव के नेतृत्व में डीडीयू रेल मंडल के रेलकर्मियों ने अपनी उत्कृष्ट क्षमता और कठिन मेहनत के बल पर एक से बढ़कर एक लगातार ऐसे कार्य कर रहे हैं जो इतिहास के पन्नों में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जा रहा है।गत वर्ष भी रेलवे ने डेहरी सोननदी ब्रिज पर बने 120 बर्ष पुरानी ब्रिज की जगह कठिन समझे जाने वाले भारत की सबसे बड़ी नई रेल पुल पर तिहरे रेलवे लाईन का निर्माण और यार्ड रिमॉडलिंग कर इतिहास रच दिया था।

इस वर्ष भी इतिहास रचने को आतुर इन्हीं उच्चाधिकारियों से प्रेरणा लेते हुए संकेत एवं दूरसंचार विभाग डीडीयू रेल मंडल के रेलकर्मियों ने कोरोनावायरस के इस वैश्विक महामारी के इस दौर में लोगों को बचाने तथा असहाय और बेबस लोगों को भूखे पेट नही रहने देने के संकल्प के साथ डेहरी अनुमंडल के अकोढी गोला प्रखंड क्षेत्र के मुडियार ग्राम को 14 अप्रैल तक के लिए गोद लेने की फैसला कर देश के सामने सेवाभाव का बेहतरीन उदाहरण पेश कर दिया, जिसकी चौतरफा भूरी – भूरी प्रशंसा हो रही है।

हालांकि रेलकर्मियों के राह आसान नहीं थे। 3200 आबादी एवं 500 घरों की बस्ती मुडिंयार बेहद पिछड़ा इलाका माना जाता है, जहां 100 घर मुस्लिम, 150 घर दलित, 100 घर अतिपिछडा (चंद्रवंशी) , 100 घर वैश्य समाज तथा 75 घर अन्य छोटी – छोटी जातियों के लोग निवास करते हैं। यहां की बड़ी आबादी दिहाड़ी मजदूरी के कामकाज में ही संलग्न रहती और दिल्ली, गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश सहित सऊदी अरब में भी कामकाज के लिए अक्सर आते – जाते रहते हैं। सरकारी नौकरी या नीजि व्यवसाय करने वालो की संख्या संभवतः दो दर्जन भी नहीं होगी। ऐसे में देश लॉकडाउन होते ही तकरीबन चार दर्जन से ज्यादा लोगों ने इस गांव में अन्य राज्यों से वापसी की थी। दो व्यक्ति तो वायरस के महामारी के दौरान ही सऊदी अरब से गांव लौटे थे। लेकिन रेलकर्मी वीरेन्द्र प्रसाद के नेतृत्व में इस कठिन चुनौती को जिस सहजता और समर्पण के बल पर रेलकर्मियों ने आसान बनाया, वह अनुकरणीय है।

रेलकर्मियों ने त्रासदी के इस दौर में वायरस के खतरों से लोगों को बचाने के लिए युद्धस्तर पर काम करना शुरू किया। संक्रमण से बचाव के संसाधन, असहाय एवं बेबस लोगों को खाद्य सामग्री की आपूर्ति, सैनेटाइजेशन तथा लॉकडाउन के नियमों का शत प्रतिशत अनुपालन, जागरूकता सहित अन्य राज्यों से आए लोगों पर पैनी नजर जैसे महत्वपूर्ण बिंदुओं पर एक योजनाबद्ध तरीकों से उच्चाधिकारियों के प्रोत्साहन तथा सहयोग के बल पर तेजी से काम करना शुरू किया।

हर घर को मास्क, साबुन से लैस कर ग्रामीणों के लिए चौबीसों घंटे इमर्जेंसी सेवा या सहायता के लिए पांच हेल्पलाइन नंबर जारी कर दिया गया। वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए लोगों को आरोग्य सेतु एप डाऊनलोड कराया गया तथा बड़ी संख्या में लोगों की थर्मल स्क्रीनिंग भी कराई गई और बीच-बीच में असहाय और बेबस लोगों के लिए खाद्य पदार्थों की आपूर्ति भी की जाती रही।

रेलकर्मियों ने फॉगिंग मशीन, बिलिचिंग पाउडर एवं सोडियम हाइपो क्लोराइड के सहयोग से पूरे गांव को सैनेटाइज कर दिया। इसका नतीजा यह हुआ कि रेलकर्मियों की खिदमत से प्रभावित होकर ग्रामीणों ने भी भरपूर सहयोग देना चालू कर दिया। अनावश्यक रूप से घर से बाहर निकलने से परहेज करने लगे। गांव में नौजवानों की एक टीम गठित की गई, जो रेलकर्मियों के सहयोग और अपील को अमलीजामा पहनाने में सक्रिय भूमिका निभाई। इस दौरान स्थानीय पुलिस – प्रशासन ने भी रेलकर्मियों को भरपूर सहयोग दिया। और जब रेलकर्मियों ने लॉकडाउन के नियमों का शत प्रतिशत अनुपालन हेतू स्थानीय पुलिस – प्रशासन के सामने ड्रोन कैमरे से गांव की निगरानी की शुरुआत की तो तमाम गलियों में सन्नाटा ही पसरा दिखाई दिया।

इस तरह संकेत एवं दूरसंचार विभाग डीडीयू रेल मंडल के रेलकर्मियों ने देशभर में खाद्य पदार्थ, दवा, फल, कोयला जैसे आवश्यक वस्तुओं के आपूर्ति हेतू गुड्स ट्रेनों की परिचालन में अपनी सेवाएं प्रदान करते हुए अपनी जान की परवाह किए बगैर 3200 आबादी को वायरस के संक्रमण से सुरक्षित कर अपनी सेवाभाव का बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए पुनः इतिहास रच डाली।जो कि देश के लिए एक मिसाल है।

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