रंजन कुमार ब्यूरो चीफ शेखपुरा
शेखपुरा के प्याज उत्पादक किसानों की सुनिये। प्याज की खेती करने वाले जिला के हजारों किसान पहले बेमौसम की बरसात से उबरे तो अब कोरोना इनकी बची उम्मीदों को धो रहा है। शेखपुरा जिला में प्याज की व्यवसयिक खेती लंबे समय से होती है। गौरतलब है कि यहां के प्याज देश के पूर्वोत्तर राज्यों के साथ बंग्लादेश और नेपाल को निर्यात होते हैं। इस बार जिला में आठ हजार हेक्टेयर से अधिक में प्याज की खेती हुई है। पहले बेमौसम की बरसात से उबरने के बाद प्याज की खेती करने वाले किसानों के लिए कोरोना संकट सारे रास्ते बंद कर दिये हैं। तैयार प्याज की फसल खेतों में पड़े खराब हो रहे हैं। इधर लॉकडाउन की वजह से बाहर के महाजन प्याज खरीदने नहीं आ रहे हैं। खरीदार महाजन की बाट जोह रहे किसान जल्द से जल्द कोरोना संकट खत्म होने तथा लॉकडाउन समाप्त होने की उम्मीद में जी रहे हैं। लंबे समय से जिला में प्याज का कारोबार करने वाले पिंकू महतो एवं उपेंद्र महतो कहते हैं रामनवमी के पहले से शेखपुरा की प्याज मंडी शुरू हो जाती थी। मगर इस बार लॉकडाउन ने सारे रास्ते बंद कर दिये हैं। बताया गया शेखपुरा में प्याज के भंडारण की कोई सुविधा नहीं है सो बंगाल के महाजन यहां से प्याज खरीदकर उसे देश के पूर्वोत्तर राज्यों की मंडियो में बेचने के साथ बंग्लादेश तथा नेपाल को सप्लाई करते हैं। लॉकडाउन की वजह से वाहनों का आवागमन बंद रहने से प्याज के कारोबार भी अघोषित ब्रेकडाउन की मर झेल रहा है। बाउघाट के किसान रमेश प्रसाद ने बताया वे अकेले आठ बीघा प्याज की खेती की है।