नीरज कुमार बिहार हेड
… सीतामढ़ी ……महिला दिवस के पूर्व एक दिन का डीएम-एसपी बनाकर उन्हें अपनी कुर्सी पर बैठाकर महिला सशक्तिकरण का दिया संदेश…अनिल कुपूर की मशहूर नायक फिल्म की याद दिलाती कुछ इसी तरह का दृश्य समाहरणालय में उस समय उपस्थित हुआ। जब मीट योर कलेक्टर कार्यक्रम में आई सरकारी स्कूल की बच्चियों को डीएम ने न सिर्फ उन्हें डीएम-एसपी की कुर्सी पर बैठाया, बल्कि कुछ समय के लिए पद की जबाबदेही एवं कार्यो से रूबरू होने का अवसर भी दिया। बताते चले की नायक फिल्म जिसमे अनिल कपूर को एक दिन का सीएम बनने का मौका मिला था। उस एक दिन मे फिल्म के नायक ने राज्य की तस्वीर बदलने की कोशिश की थी। सीतामढ़ी समाहरणालय मे कुछ एसा ही नजारा उस समय देखने को मिला जब सरकारी स्कुल के गरीब छात्राओ को सीतामढ़ी के डीएम अभिलाषा कुमारी शर्मा ने कुछ घण्टो का डीएम और एस पी बना दिया।
गौरतलब हो कि सीतामढ़ी की डीएम अभिलाषा कुमारी शर्मा ने आने वाले राष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर सरकारी स्कूल मे पढ़ने वाले गरीब असहाय बच्चियो का मनोबल बढ़ाने एवं उनके सपनों की उड़ान को नई पंख देने के लिए
मंगलवार को घंटो उनके साथ समय बिताए।इस दौरान डी एम ने बच्चियो का हौसला बढ़ाया और वे आगे कैसे पढ़े इसका मूल मंत्र देने का काम किया ।अपने कार्यालय मे डीएम ने अपने साथ मौजूद बच्चियो का हौसला बढ़ाते हुये उन्हे देश के सर्वोच्च सेवा मे जाने के लिये भी प्रेरित किया ।बात इतने पर आकर खत्म नही हुई । डीएम बच्चियो को लेकर एस पी कार्यालय मे पहुच गयी । जहाँ उनमे से एक बच्ची को एक दिन का एसपी भी बना दिया ।
सरकारी स्कूल की गरीब छात्रा ने भी एस पी बनते ही अपनी प्रतिभा प्रदर्शित कर ही दिया। जब पुलिस पदाधिकारियो के खिलाफ कार्यालय कक्ष मे ही शिकायत लेकर कई फरियादी पहुँचे तो नई बनाई गई एसपी ने थानाध्यक्ष को फोन लगाया और उन्हे ठीक तरिके से काम करने की नसीहत तक दे डाली।बात यही पर आकर खत्म नही हुई एक दिन के एस पी ने थानाध्यक्ष को रिश्वत लिये जाने पर उसे सस्पेन्ड करने का भी चेतावनी तक दे डाली। फोन के दुसरे तरफ जो थानेदार नई एसपी साहिबा की बात सून रहे थे। वे भी परेशान थे आखिरकार यह लेडी सिंघम एसपी अचानक जिले मे कब योगदान दे दिया।अब बात करते है, डीएम की एक दिन के डीएम के दरबार मे जब फरियाद लगाने कई लोग पहुँचे ,जिसमे कई लोग जमीन कब्जा कर लेने के मामले मे गुहार लगा रहे थे। तो कोई सरकारी योजना का लाभ नही मिलने को लेकर डीएम से शिकायत कर रहा था । डीएम सबो की शिकायत सून रही थी, और अपने अधीनस्थ पदाधिकारी एडीएम को उन मामलो मे एक्शन लेने की लगातार निर्देश दे रही थी । इन सब के बाद ऐसा लग रहा था, की बच्चो के हौसले के बल एवं उनके सपनों को नई उड़ान मिल गई हो।प्रिया डीएम बनकर तो प्रभा एसपी बनकर उपस्थित बच्चियों को ही नही बल्कि तमाम बच्चियों को संदेश दे रही थी कि, हमारे सपने केसाथ-साथ हमारे हौसले में भी बल है। जिस सरकारी स्कूल के बच्चियो के मनोबल बढ़ाने की चर्चा हमेशा समाज मे होती रहती है,आज *अपने* *जिलाधिकारी* *से* *मिलो* *कार्यक्रम* ने कुछ ही समय मे न सिर्फ उनके हौसलों को बढ़ाया बल्कि उनके सपनों के उड़ान को एक नई पंख भी प्रदान किया।इतना ही नही बाद में डीएम अभिलाषा कुमारी शर्मा ने सभी बच्चियो को समाहरणालय के सभी कार्यालयों मे खुद से घुमाई। निश्चित तौर पर बिहार मे प्रतिभा की कमी नही ,बस जरुरत है तो उन्हे उभारने की, उनके सपनों की उड़ान को नई पंख देने की। समाहरणालय मे आने वक्त इन बच्चियो का आत्मशक्ति बेशक समान्य था ,लेकिन जाते समय उनके हौसले को बल मिल चुका था और उनके सपने आसमान छू लेने को आतुर दिख रहे थे ।