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मसौढ़ी में आवास योजना के 23 लाभुकों को बकाया राशि का भुगतान करने का आदेश

मसौढ़ी/बिहार

मसौढ़ी से नीरज कुमार की रिपोर्ट

*सुनवाई अनुमंडलीय लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी ने मामले का किया निष्पादन*

*मसौढ़ी नगर परिषद की बड़ी लापरवाही सामने आई बिना दस्तावेज जांच ही दे दिया कार्यदेश*

मसौढ़ी नगर परिषद क्षेत्रों के तीन वार्ड में प्रथम चरण 27 लाभुकों को आवास योजना के द्वतिय व तृतीय किश्त कि राशि भुगतान में नये सिरे से पुनः जमीन संवधीत दस्तावेज मांगे जाने पर उनके द्वारा इसे लेकर अनुमंडल लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी मसौढ़ी के यहां दाखिल शिकायत के आलोक में इसकी अंतिम सुनवाई पूरी कर ली गई है। अपने आदेश में लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी को निर्देशित करते 27 में से 23 लाभुकों विभागीय मापदंडों के तहत शीध्र राशि भुगतान करने का आदेश दिया गया है। आदेश में कहा गया है कि तत्कालीन नगर कार्यपालक पदाधिकारी मसौढ़ी के द्वारा चैनित लाभुकों को आवास निर्माण कार्य के लिए कार्यदिशा 2016 में ही दिया गया था, उपलब्ध कराई गई राषी से लाभुकों द्वारा मकान का निर्माण किया गया। परंतु पूर्ण राषी के अभाव में कार्य पूर्ण नहीं होने के कारण उक्त लाभुक गरीब तिन वर्षों से ठंड गर्मी बरसात में खुले आसमान के नीचे रहने को विवश हैं। आदेश में यह कहा गया कि ऐसे स्थिति में नगर कार्यपालक पदाधिकारी द्वारा नये सिरे से लाभुकों से भुमी स्बामित्ब संबंधित कागजात बंसावली परिवारिक सूची मांग किया जाना आमजनों को हित में नहीं है।

*सभी लाभुकों को इसी आधार पर किया जाए शेष राशि का भुगतान /पूर्व मुख्य पार्षद*

वार्ड संख्या 22/23 व 25 के कुल 27 लाभुकों को शेष राशि भुगतान की मांग को लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के समक्ष लाभुकों की ओर से पक्ष रखने वाले नगर परिषद के मुख्य पार्षद पंकज कुमार सिंह ने बताया कि शेष राशि की भुगतान आस तीन वर्षों से अपने धर छोड़ कर किराए में रह रहे विभिन्न वार्डों अन्य लाभुकों को भी इसी आधार पर शेष राशि का भुगतान होना चाहिए। नहीं तो सरकार टूटे मकान का मुआवजा देना सुनिश्चित करें।

*बड़ा सबाल बिना दस्तावेज जांचें लाभुकों को कैसे दिए गए पैसे*

लाभुकों को कायदेश जारी करने से पहले उसके द्वारा जमा किए गए दस्तावेजों की जांच किए बिना ही उसे प्रथम द्वतिय किश्त की राशि का भुगतान कैसे हो गया।इस बारे में नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी किशोर कुणाल से पूछा गया तो उसका कहना था कि यह चूक उनसे बल्कि तत्कालीन कार्यपालक पदाधिकारी से हुई है। जब नगर परिषद में बतौर कार्यपालक पदाधिकारी के पद पर उन्होंने योगदान दिया और उसी समय उन्होंने आवास योजना के संबंधी रिकार्ड दस्तावेजों की जांच की है। जांच में पाया कि लाभुकों द्वारा लेकर पूर्ण दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए गए हैं। उन्होंने यह भी बताया की प्रथम चरण में उनके कुल 304 चयनित लाभुक है। जिन्हें कायदेश निर्गत किया जा चुका है। हालांकि यह नहीं बताया कि अबतक कितने लाभुकों को आवास योजना की पूरी किश्त मिल चुकी है।

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