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नागरिकता संशोधन कानून (CAA) वास्तविकता एवं भ्रम-विचार गोष्ठी

मुंगेर/बिहार

नगर भवन मुंगेर में भारत रक्षा मंच, मुंगेर द्वारा आयोजित किया गया । गोष्ठी का मंच संचालन श्री धनंजय शर्मा , प्रधानाचार्य, सरस्वती विद्या मंदिर, जमालपुर ने किया। आज के इस गोष्ठी में अपने विचारों को रखने वालों में वक्ताओं में श्री निर्मल जैन, श्री अशोक अंशुमान, श्री कृष्ण कांत ओझा, श्री धर्मदेव पासवान, श्री रविन्द्र यादव, सरदार परमजीत सिंह रहें। गोष्ठी का सुभारम्भ भारत माता के पूजन और दीप प्रज्वलित कर अध्यक्ष परमजीत सिंह और समस्त वक्ताओं ने की। कार्यक्रम की प्रस्तावना रखते हुए भारत विकास परिषद के प्रांत मंत्री संगठन एवं वरिष्ठ कला साधक श्री निर्मल जैन ने बताया कि उनका परिवार भी बटवारे के समय बंगाल देश के रामचंद्रपुर हाट नामक स्थान से विस्थापित होकर ही आया था। टैब से अब तक सिर्फ धर्म के नाम पर प्रताड़ित बंधु भगिनी गण भारत मे शरण लेते रहे है। जिसे CAA के अंतर्गत नागरिकता प्रदान करने का विधेयक है ना कि किसी की नागरिकता छीनने का। कार्यक्रम के वक्ता श्री रविन्द्र यादव जी ने यशश्वी प्रधानमंत्री मोदी जी को धन्यवाद देते हुए कानून की सराहना की तथा इसको समझने का अनुरोध किया। श्री धर्मदेव पासवान जी ने कहा कि इस कानून का किसी भी भारतीय नागरिक का कोई लेना देना नही है। राष्ट्रवादी शैक्षणिक मंच के प्रांत संयोजक एवं कॉमर्स कॉलेज के अंग्रेजी के प्रोफेसर श्री अशोक अंशुमन ने कहा कि नूतन और पुरातन के बीच जीने वाला ही सनातन होता है और सनातन धर्म का एकमात्र पालक सिर्फ भारतवर्ष है। ज्ञान और उपनिषदों की भूमि भारत मे आज असली नकली संतानों की पहचान की प्रक्रिया प्रारम्भ होने की संशा मात्र से लोगो को परेशानी होने लगी। उन्होंने विधेयक के विरोध में लगे लोगों को बताया कि आपका आंदोलन व्यर्थ है। जब इससे आपका कोई नुकसान ही नही है तो आप विचलित क्यो है। अध्यक्षीय उदबोधन में सामाजिक कार्यकर्ता सरदार परमजीत सिंह ने कहा कि भारत अनेकता में एकता का देश है और जब हम सभी देश की प्रतिष्ठा को बढ़ाने में लगे है तो किसी के बहकावे में आकर नागरिकता देने वाले विधेयक को नागरिकता छीनने वाला प्रचारित ना करें। मुख्य वक्ता के संबोधन के पहले श्री बालेश्वर जी ने एकलगीत “संस्कृति सबकी एक निरंतर, खून रगों में हिन्दू है” प्रस्तुत किया। मुख्य वक्ता श्री कृष्ण कांत ओझा जो प्रज्ञा प्रवाह के प्रांत संयोजक एव संपादक उन्होंने अपने संबोधन का प्रारंभ संस्कृत के दोहे “वसुधैव कुटुंबकम” से की । उन्होंने बताया कि भारत ही ऐसा एकमात्र देश है जहाँ हम पूरे विश्व को अपना परिवार मानते है। भारत वर्ष की स्थापना किसी को जीत कर, किसी देश को काटकर नही अपितु ज्ञान और बंधुत्व के परिवेश को अपनाकर किया गया। उन्होंने बताया कि बिना वजह CAA के नाम पर लोगो को बरगलाने का काम किया जा रहा है। एक विशेष षडयंत्र कर देश को पीछे धकेलने की चेष्टा आज चरम पर है। CAA की वास्तविकता पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से प्रताड़ित लोगो को जो 2014 तक भारत आ चुके है उन्हें मात्र ही नागरिकता देना है। उन्होंने कहा कि क्या कारण है कि इस आंदोलन के पीछे 27 देशों से चंदा लिया जा रहा है। बाहरी देशों को आखिर इस आंदोलन में क्या रुचि है। कार्यक्रम संयोजक श्री संजय कुमार पोद्दार ने उपस्थित वक्ताओं एवं दर्शकों का धन्यवाद ज्ञापन किया। वंदे मातरम के साथ गोष्ठी का समापन किया गया।

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