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गदर 2 और ओएमजी 2 में समाज के लिए बेहतर कौन

प्रियांशु कुमार समस्तीपुर बिहार

गदर 2 के शोर शराबे के बीच एक फिल्म जिस पर कम ही ध्यान दिया जा रहा है लेकिन वो भी बहुत ही बेहतरीन बन पड़ी है । बात फिल्म की नही अपने बच्चों को गलत रास्ते पर ना जाए उस से बचाने की हैं। पहली नजर में गदर 2 के सामने ओह माय गॉड 2 कहीं नही टिकती दिखाई दे रही। लेकिन लोगों को कौन सी पसंद आ रही है उसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि दूसरे दिन गदर की कमाई मे 8% बढी जब की ओह माय गॉड की कमाई 50%।
ओह माय गॉड 2 की सब देखने वाले तारिफ कर रहे हैं और माउथ पब्लिसिटी का भी फायदा मिल रहा हैं। जो लोग अक्षय के फैन नही हैं वो भी फिल्म की तारिफ कर रहे हैं। “ओएमजी 2″… फिल्म में सेक्स एजुकेशन का एक अच्छा मुद्दा उठाया गया है ।फिल्म में एक लड़का होता है, जिसकी कोई लड़की दोस्त नहीं बनती तो उसके दोस्त उसे बताते हैं कि उसके शरीर में कुछ कमजोरियाँ हैं, इसलिए लड़कियाँ उससे दोस्ती नहीं करती… इसके बाद वो अपनी कमजोरियों को दूर करने का प्रयत्न करता है। एक बार तो अधिक मात्रा में वियाग्रा का सेवन भी कर लेता है और इसी क्रम में वो हस्त मैथुन करने लगता है जिसका वीडियो वायरल कर दिया जाता है। अब चुंकि वो एक धार्मिक आदमी का बेटा होता है इसलिए समाज में उसके बाप की भी बदनामी होती है… उसे स्कूल से निकाल दिया जाता है… परिवार वालों को दुनिया ताना मारने लगती है कि इनका बेटा कैसे कैसे काम करता है। दु:खी होकर वो लड़का आत्महत्या करने का प्रयास करता है, लेकिन उसे भगवान शिव के रूप बने हुए, अक्षय कुमार हर बार बचा लेते हैं और अक्षय कुमार उसे और उसके पिता को ही दिखाई देते हैं ।

फिल्म में अक्षय कुमार मेहमान भुमिका में है… कोई बड़ी भुमिका नहीं है लेकिन जब जब पर्दे पर आते हैं प्रभावी लगे हैं…लड़के के पिता की भुमिका पंकज त्रिपाठी ने निभाई है और पंकज त्रिपाठी ही इस फिल्म के नायक हैं। बाकि सभी कलाकारों की एक्टिंग भी बहुत अच्छी है।
फिल्म की जान इसका कोर्ट रुम ड्रामा है।उसमें बड़ी अच्छी टक्कर दिखाई है, पंकज त्रिपाठी और यामी गौतम ने …यामी गौतम उस स्कूल की वकील होती है। जिस स्कूल से पंकज त्रिपाठी के बेटे को बाहर निकाल दिया जाता है। जिससे पंकज त्रिपाठी उस स्कूल के खिलाफ केस ठोक देता है। फिल्म कहीं ना कहीं ओशो के विचारों से भी प्रेरित है और पंकज त्रिपाठी एक सीन में कहते हैं गुप्त अंग सिर्फ इसलिए गुप्त है क्योंकि हम उन्हें गुप्त रखते हैं। अगर आदमी हमेशा से नाक,कान ,मुंह भी ढककर रखता तो ये भी गुप्त अंग बन जाते।
जब की गदर 2 के पहले से मन बना चुके लोग और भीड़ में रहने वाले लोग तारिफ कर रहे है। और वो फिल्म नही देखने वालो को गद्दार भी बोल रहे है । मैं तो ज्यादा फिल्मों की समीक्षा करना चाहता हूँ ना की दर्शकों की। फिल्म आप को सेक्स एजुकेशन देती हैं लेकिन अश्लील तरीके से नही, शालीनता से। जो की सब बच्चों के लिए जरूरी हैं होना चाहिए। अच्छी और गलत सोच का फर्क पता चलना चाहिए। बच्चें गलती इसलिए करते हैं क्युंकी उन्हें सही गलत का पता नही होता है और उस का कारण कोई सही मार्ग दर्शक नही हैं। ना घर में, ना ही स्कूल में, यह जागरूकता फ़ैलाने वाली फिल्म हैं । सब माता , पिता और बच्चों को देखनी चाहिए। पर हमारी मानसिकता के कारण अलग अलग देखनी चाहिए। हम अपने बच्चों को तभी गलती से और अपराध भाव से तभी मुक्त रख पाएंगे जब ऐसी फिल्में या किताबों से मिलायेंगे जो उन को सही रास्ता दिखाये।
फिल्म का संगीत, लोकेशन, निर्देशन, फिल्मोग्राफी सब कुछ बेहतरीन है। फिल्म शुरू से अंत तक दर्शकों को बांधे रखती है। इस फिल्म का प्रदर्शन बेहतर होना चाहिए था लेकिन उतना नहीं हो पा रहा है लेकिन फिर भी अक्षय की पुरानी फिल्मों को देखते हुए इस फिल्म का प्रदर्शन बेहतरीन ही कहा जाएगा।आप को भीड़ में रहना अच्छा लगता है तो गदर 2 आप के लिए । समाज को बेहतर शिक्षा देना चाहते हैं तो ओएमजी 2 आपके लिए ।
रूपेश रॉय

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