प्रियांशु कुमार समस्तीपुर बिहार
पन्ना, पवई:-सशक्त सेना झंडा दिवस के अवसर पर शासकीय माध्यमिक शाला नारायणपुरा में शिक्षक सतानंद पाठक ने प्रकाश डालते हुए बताया कि
वर्ष 1949 से 7 दिसंबर* को पूरे देश में सशस्त्र सेना झंडा दिवस के रूप में मनाया जाता है ताकि शहीदों और वर्दी में उन लोगों को सम्मानित किया जा सके जिन्होंने देश के सम्मान की रक्षा हेतु देश की सीमाओं पर बहादुरी से दुश्मनों का मुकाबला किया और अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया है। सैनिक किसी भी देश की संपत्ति होते हैं।
7 दिसंबर के दिन भारतीय सशस्त्र सेना झंडा दिवस मनाने के पीछे कारण यह है कि दरअसल, *भारत को आजादी मिलने के बाद 28 अगस्त 1949 को भारत सरकार द्वारा भारतीय सेना के जवानों के कल्याण के लिए एक समिति का गठन किया गया था। इस समिति ने 7 दिसंबर को प्रतिवर्ष झंडा दिवस मनाने के लिए चुना।* वहीं जवानों के कल्याण हेतु धन जमा करने के लिए समिति ने लोगों के बीच छोटे झंडे बांटकर, उससे चंदा इकट्ठा किया। *इस झंडे में तीन रंग (लाल, गहरा नीला और हल्का नीला) तीनों सेनाओं को प्रदर्शित करते है।* सशस्त्र सेना झंडा दिवस पर किए गए धन संग्रह के तीन मुख्य उद्देश्य हैं। पहला युद्ध के समय हुई जनहानि में सहयोग। दूसरा सेना में कार्यरत कर्मियों और उनके परिवार के कल्याण और सहयोग के लिए और तीसरा सेवानिवृत्त कर्मियों और उनके परिवार के कल्याण हेतु।
*आप सभी को ‘सशस्त्र सेना झंडा दिवस’ की हार्दिक बधाई। सशस्त्र बलों के वीरों का बलिदान, समर्पण व उनकी कर्मठता हम सभी के लिए महान प्रेरणा है। आइए, माँ भारती के सपूतों व उनके परिजनों के प्रति अपनी कृतज्ञता ज्ञापित करें एवं अपने उत्तरदायित्वों का निर्वहन करे।