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बिहारसमस्तीपुर

बाल विकास परियोजना पदाधिकारी की भेंट चढ़ गई विद्यालय की शिक्षा व्यवस्था

प्रियांशु कुमार समस्तीपुर बिहार

समस्तीपुर :एक ही छत के नीचे एक ही कमरे में संचालित हो रही है ग्यारह वर्ष से आंगनवाड़ी केंद्र व तीसरी वर्ग के बच्चों की पढ़ाई।

जी हां मामला समस्तीपुर जिले के खानपुर प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत श्रीपुर गाहर पश्चिमी पंचायत के वार्ड 6 में स्थापित राजकीय प्राथमिक विद्यालय पचगछिया की है जहां पदाधिकारी की गिरी मानसिकता के कारण एकही विद्यालय में एकही छत के नीचे,एकही कमरे में व एकही समय में संचालित हो रही है आंगनवाड़ी केंद्र एवं वर्ग 3 के बच्चों की पढ़ाई जिसके कारण एक और जहां शिक्षकों को पढ़ाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है वही आंगनवाड़ी केंद्र के बच्चे भी विद्यालय में अपनी उपस्थिति दर्ज करा करते रहते हैं शोर शराबा। इस बाबत विद्यालय की प्रधानाध्यापिका लता कुमारी से जानकारी ली गई तो उन्होंने बताया कि इस विद्यालय में वर्ग 1 से लेकर 5 तक में कुल 105 बच्चे नामांकित हैं। एवं 4 शिक्षक नियुक्त है। विद्यालय में मात्र तीन रूम है जिसमें एक रूम में किचन संचालित है एवं एक रूम में बच्चों की पढ़ाई तो वहीं तीसरे रूम में तीसरे वर्ग के बच्चों को बैठाया जाता है जिसमें आंगनवाड़ी केंद्र के बच्चे भी शामिल रहते है जिस बच्चे के शोर-शराबा के कारण उक्त वर्ग में पढ़ाने वाले शिक्षकों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है बच्चे जब सोरगुल करते हैं तो शिक्षकों का दिमाग डायवर्ट हो जाता है और वे बच्चों को सही से नहीं पढ़ा पाते हैं वहीं बच्चे भी शिक्षकों कि बातों को सही से नहीं समझ पाते हैं क्योंकि उनके पीछे आंगनवाड़ी केंद्र के बच्चे बैठे होते हैं जो खेल कूद में मसगुल रहते है जिसके कारण बच्चों का दिमाग भी डायवर्ट हो जाता है। इसको लेकर विद्यालय के प्रधानाध्यापिका के द्वारा कई बार प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी एवं प्रखंड बाल विकास परियोजना पदाधिकारी को आवेदन देकर समस्या से अवगत कराया जा चुका है। आंगनवाड़ी केंद्र को अलग शिफ्ट करने एवं अलग अलग कक्षा संचालित करने के लिए विद्यालय में कुल छह रूम बनाए जाने की मांग कि जा चुकी है लेकिन इन पदाधिकारी के कानों तक जुं नहीं रेंग रहा है जिसका कारण है कि आए दिन वहां के शिक्षक दो वर्ग के बच्चों को बरामदे पर बिठाकर कक्षा संचालित कर रहे हैं जिसके कारण आए दिन आंगनवाड़ी सेविका एवं वहां के शिक्षक शिक्षिकाओं एवं प्रधानाध्यापिका से तू तू मैं मैं एवं बहस बाजी होते हुए वीडियो भी वायरल हो रहा है। जिसका खामियाजा वहां पढ़ने वाले बच्चे और पढ़ाने वाले शिक्षक शिक्षिकाओं को भुगतना पड़ रहा है इसका दुष्प्रभाव बच्चों पर भी पड़ रहा है। जहां न तो बच्चे सही से कुछ पढ़ पा रहे हैं और नाही कुछ सीख पा रहे हैं और ना ही शिक्षक सही ढंग से पढ़ा पा रहे हैं। उक्त विद्यालय में शौचालय नहीं होने के कारण वहां के बच्चे एवं शिक्षक शिक्षिकाओं को भी सौच के लिए बाहर हीं जाना पड़ता है। अब आप सोच सकते हैं कि जिस विद्यालय के बच्चे तो दूर शिक्षक एवं शिक्षिकाओं को भी खुले में शौच के लिए जाना पड़ता हो। उस वक्त क्या स्थिति होती होगी। आखिर इन सभी बातों पर प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी क्यों ध्यान नहीं दे रहे हैं। आखिर कब तक मिल पाएगी इन जैसे विद्यालयों के पठन-पाठन के लिए समुचित रूम एवं सौचालय। यह सवाल आज आम लोगों को खल रहा है

आंगनवाड़ी सेविका ने बताई ।

भूत पूर्व मुखिया के द्वारा हमें विद्यालय बढ़ाने की स्वीकृति प्रदान की गई थी जो करीब 11 वर्ष हो चुका है तब से मैं विद्यालय में आंगनवाड़ी केंद्र संचालित कर रही हूं।

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