प्रियांशु कुमार समस्तीपुर बिहार
भारत – नेपाल जयनगर – कुर्था मैत्री रेल परियोजना में कर्मचारी को लेकर फंसा पेंच खत्म हो गया है। सब ठीकठाक रहा तो इसी वर्ष भारत से नेपाल के बीच सीधी रेल सेवा शुरू हो सकती है। भारत से नेपाल बार्डर 2.89 किलोमीटर तक सीआरएस ने निरीक्षण कर लिया है।
ट्रेन परिचालन को लेकर ट्रैक तैयार है। ट्रेनों का परिचालन नेपाल रेलवे करेगी। ट्रेन में चालक के अलावा गार्ड, स्टेशन मास्टर, गेट मैन सभी नेपाल के होंगे। पूर्व में जब मीटर गेट की ट्रेन चल रही थी तो इसी तरह की व्यवस्था थी। ट्रेन पूर्व की व्यवस्था के तहत ही चलेगी।
डीआरएम आलोक अग्रवाल ने बताया कि भारत की ओर से रेलवे लाइन बन कर तैयार है। रेलवे मंडल की ओर से ट्रेन चलाने को लेकर सभी तैयारी हो चुकी है। गौरतलब है कि गत जुलाई महीने में जयनगर से कुर्था के बीच 34.5 किलोमीटर में स्पीडी ट्रायल संपन्न हुआ था। वर्ष 2014 से जयनगर- जनकपुर के बीच ट्रेनों का परिचालन बंद था। परिचालन फिर से शुरू होने की संभावना से सीमावर्ती भारत व नेपाल क्षेत्र के लोगों में इसको लेकर उत्साह है।
नेपाल सरकार को परियोजना कर चुके हैं हैंडओवर : गत जुलाई महीने में ही ट्रायल के बाद इरकॉन इंटरनेशनल दिल्ली मुख्यालय के कार्यकारी निदेशक सुरेंद्र सिंह नेपाल की राजधानी काठमांडू में परियोजना के पहले फेज के पूर्ण काम को नेपाल सरकार को हैंडओवर किया था। परिचालन को लेकर नेपाल सरकार ने दो डीएमयू ट्रेन कोंकण रेलवे भारत से पूर्व में खरीद कर ली थी जो नेपाल में महीनों पूर्व से लगी हुई है।चालक, गार्ड व अन्य रेल कर्मियों को प्रशिक्षित किया जा चुका है। सात वर्ष पहले से बंद है परिचालन, नेपाल सरकार की स्वीकृति का इंतजार।
जयनगर से नेपाल के जनकपुर तक वर्ष 2014 तक नेपाली ट्रेनों का परिचालन हुआ है। भारत सरकार ने वर्ष 2010 में मैत्री योजना के तहत जयनगर से नेपाल के वर्दीवास तक 69.5 किमी की दूरी में नैरो गेज को मीटर गेज में बदलने व नयी रेल लाइन बिछाने को 548 करोड़ रुपये स्वीकृति दी थी। वर्ष 2012 में इरकॉन ने जयनगर में कैंप कार्यालय खोल कर इस योजना पर निर्माण कार्य शुरू किया। परियोजना में विलंब होने से लागत बढ़कर 800 करोड़ तक पहुंच गयी।प्रोजेक्ट को तीन चरणों में बांटा गया। प्रथम चरण में जयनगर भाया जनकपुर नेपाल के कुर्था तक 35 किमी में सभी कार्य दो वर्ष पूर्व पूरा कर लिया गया था।