ETV News 24
बिहारभोजपुर

मरीजों की सांस की नहीं, वीआईपी प्रोटोकॉल की चिंता

आरा सिटी रिपोर्टर रूबी कुमारी

आरा भोजपुर जिला के कोईलवर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कोईलवर में सेवारत एम्बुलेंस मरीजों की सेवा में कम, अलबत्ता वीआईपी प्रोटोकॉल मूवमेंट में अधिक व्यस्त रहती है। नतीजतन मरीज अस्पताल के बरामदे में तड़पते रहते हैं और एम्बुलेंस वीआईपी सायरन के बीच नेताओं को सरहद पार कराती नजर आती है। पटना-छपरा-भोजपुर के मुहाने पर स्थित अस्पताल में अराजकता का आलम यह है कि यहां की आकस्मिक दुर्घटनाओं को भांप प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कोईलवर में तीन एम्बुलेंस की सेवा दी गई थी। इनमें से एक को पीरो अनुमंडल अस्पताल में भेज दिया गया। दूसरी शाहपुर भेज दी गयी। इनमें जो एक बची है, उसे महीने में लगभग आठ से दस दिन वीआईपी मूवमेंट के एस्कॉर्ट में व्यस्त रखा जाता है। वह भी पूरे दिन के लिए। पटना जिले से भोजपुर में जैसे ही किसी बड़े नेता या अधिकारी पहुंचते हैं, इसकी जानकारी कोईलवर अस्पताल के 102 नंबर एम्बुलेंस को दी जाती है। इसके बाद एम्बुलेंस पुल के पूर्वी मुहाने बिहटा थाने के परेव में वीआईपी के आने की प्रतीक्षा में खड़ी रहती है और वीआईपी के पहुंचते ही वह उस एस्कॉर्ट के काफिले में शामिल हो जाती है। यह काफिला कोईलवर की सीमा तक नहीं रहती, बल्कि सिविल सर्जन कार्यालय से मिले फरमान के मुताबिक वीआईपी मूवमेंट में भोजपुर जिले के अंतिम छोर रानीसागर व बिक्रमगंज के क्षेत्र तक छोड़कर लौटना होता है। एम्बुलेंस भी प्रोटोकॉल का पालन करती हुई 90 से सौ किलोमीटर का सफर तय वापस लौट जाती है। इस बीच अस्पताल में पहुंचे किसी दुर्घटनाग्रस्त मरीज या प्रसूता महिला के लिए इमरजेंसी में एम्बुलेंस की जरूरत पड़ती है तो उन्हें भाड़े के वाहन में ले जाना पड़ता है। नतीजतन पैसे के अभाव में एम्बुलेंस नहीं कर सकने वाले मरीज या तो कोईलवर से सदर अस्पताल की दौड़ लगाते हैं या फिर दम तोड़ देते हैं। जानकारों की मानें तो भाड़े के वाहन में किसी प्रकार की फर्स्ट एड, ऑक्सीजन सिलेंडर या कोई मेडिकल टीम नहीं होती। अलबत्ता ऊपर वाले का भरोसा रख यहां से रेफर केस जिले में या पीएमसीएच ट्रीटमेंट को जाते हैं। खासकर किसी की दुर्घटना की जानकारी पाते ही अस्पताल प्रबंधन पर आम जनता का दबाव देख चिकित्सकों के भी हाथ-पांव फूलने लगते हैं। यहां कार्यरत चिकित्सक डॉ उमेश कुमार ने बताया कि कोईलवर में दो एम्बुलेंस की व्यवस्था जरूरी है, जिसके नहीं रहने से स्थानीय लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। बहरहाल, कोविड काल में स्वास्थ्य विभाग की हो रही छीछालेदर के पीछे वीआईपी कल्चर भी काफी हद तक जिम्मेवार है, जिसे दूर करना राज्य सरकार का दायित्व है। देखना दिलचस्प होगा कि स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय के भोजपुर जिले के प्रभार मिलने के बाद चरमराई स्वास्थ्य सेवा में सुधार होता है या नहीं, वैसे यह तो आने वाला वक़्त ही बताएगा

Related posts

कल्याणपुर। दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना के तहत जीविका द्वारा रोजगार-सह-मार्गदर्शन मेला का आयोजन मंगलवार को +2 इंटर स्तरीय उच्च विद्यालय, वीरसिंगपुर, कल्याणपुर के मैदान में किया गया

ETV News 24

गांव ग्राम में विद्युत विभाग द्वारा फैलाया हुआ जाल क्षेत्रवासियों के लिए जान का जंजाल बन गया है

ETV News 24

हत्या पर समस्तीपुर पुलिस ने कहा, सीसीटीवी फुटेज खंगाले जा रहें है एवं सभी बिंदुओं पर अनुसंधान जारी हैं

ETV News 24

Leave a Comment