संवाददाता तिलौथू प्रीती कुमारी
रोहतास जिले में ऐसे कई वृद्ध महिलाएं एवं बुजुर्ग है जो अपना जीवन सडको के किनारे भटकते हुए भुखमरी के कगार पर है जिसके लिए कोई भी आगे नहीं होता है आज ऐसे ही कुछ कहानी आपके सामने रखना चाहती हु ये कहानी है तिलौथू प्रखंड क्षेत्र के जहां कुशवाहा परिवार की पुत्रवधू भीख मांगने को है विवश
दर-दर भटक रही है ₹1 के लिए
ज्ञात हो कि सासाराम की बेटी और रोहतास प्रखंड के बौलिया गांव में रहने वाली वृद्ध महिला का इस दुनिया में और कोई नहीं है। कई सालों से मांग कर खाना खा रही और जीवन यापन कर रही है । तिलौथू के सामाजिक कार्यकर्ता सत्यानंद कुमार ने बताया कि मैं इस बृद्ध महिला की सेवा हमेशा करता हूं । इनको कितनी बार कहा कि आपने हमारे घर रहिए या कोई वृद्धाश्रम में आपको मैं रखवा देता हूं। परंतु यह मानने को तैयार नहीं है। इनके मन में इच्छा है कि हमारा भी आधार कार्ड बने,राशन मिले और सरकार हमें प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर दे और मैं अपना जीवन अपने ससुराल के पुश्तैनी जमीन पर ही रह कर बिताना चाहती हूँ। जो रोहतास के बोलिया गांव में स्थित है। यह प्रत्येक दिन तिलौथू से रोहतास ₹30 भाड़ा देकर आती है और जाती है। इनको भीख में कितना मिलता है पता नहीं। लेकिन प्रतिदिन ₹60 का भाड़ा देकर और कुछ भोजन पाकर तिलौथू से प्रतिदिन रोहतास जाती हैं। इनकी उम्र लगभग 75 वर्ष है। पेट में जख्म है जिसका इलाज कराने के लिए दर-दर भटक रही हैं। इनके इलाज के लिए कोई भी व्यक्ति उनके साथ खड़ा नहीं हो पा रहा है। क्योंकि कोई इन्हें अपनाना नहीं चाहता।क्योंकि ये गरीब और रोगी हैं। हा कोई अनाथ बच्चा लावारिस पड़ा होता तो हजारों लोग गोद लेने के लिए दावा करते। पर एक बूढ़ी माँ के लिए कोई सहारा नही है।