ETV News 24
करगहरदेशबिहाररोहतास

भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक है कर्मा-धर्मा पर्व

बहनों ने भाइयों के लिए कर्मा-धर्मा की पूजा अर्चना की

संवाददाता—मो०शमशाद आलम

करगहर -भाई-बहन का पर्व कर्मा-धर्मा को शनिवार को बहनों के द्वारा भाई के दीर्घायु के लिए प्रखण्ड क्षेत्र के करगहर , रूपैठा , जलालपुर, खरारी , अररूआ , डुमरा , बकसड़ा , कल्याणपुर , समरडिहा ,रीवा सहित अन्य जगहों पर धूमधाम के साथ यह पर्व मनाया गया। पर्व को लेकर छोटी-छोटी बच्चियों में खुशी देखी गई। इस व्रत में बहनों ने दिनभर उपवास कर पांच तरह के फूल-पकवान आदि से डलिया भरकर ब्राह्मणों से कर्मा-धर्मा की कथा सुनी। व्रत के दिन मोहल्ले की लड़कियां एक समूह के साथ गीत गाती हुई ।और स्नान करने के बाद फूल तोडकर और कसाल यानी झूर लेकर घर आईं और घर के समीप गड्ढा खोदकर तालाब नुमा बनाकर तालाब को केले के थम एवं खजूर की डाली में फूल देकर सजाया गया।

कर्मा -धर्मों पर्व से जुड़ी कई कहानियां

इस पर्व को मनाने की पीछे पौराणिक कथा कर्मा और धर्मा नामक दो भाईयों से जुड़ी है। कहा जाता है कि दोनों भाईयों ने अपनी बहन की रक्षा के लिए अपनी जान को दांव पर लगा दिया था। दोनों भाई काफी गरीब थे। उनकी बहन बचपन से ही भगवान से उनकी सुख-समृद्धि की कामना करती थी। बहन द्वारा किए गए तप के कारण ही दोनों भाईयों के घर में सुख-समृद्धि आई थी। इस एहसान का बदला चुकाने के लिए दोनों भाईयों ने दुश्मनों से अपनी बहन की रक्षा करने के लिए जान तक गंवा दी थी। इस पर्व की परंपरा यहीं से मनाने की शुरुआत हुई थी। इस त्योहार से जुड़ी दोनों भाईयों के संबंध में एक और कहानी है। जिसके मुताबिक एक बार कर्मा प्रदेश गया और वहीं जाकर व्यापार में रम गया। बहुत दिनों बाद जब वह घर लौटा तो उसने देखा कि उसका छोटा भाई धर्मा करमडाली की पूजा में लीन है। धर्मा ने अपने बड़े भाई के लौट आने पर कोई खुशी जाहिर नहीं की। यहां तक कि वह पूजा में ही तल्लीन रहा। इससे कर्मा क्रोधित हो गया और करमडाली, धूप, नैवेद्य आदि को फेंक दिया और भाई के साथ झगड़ने लगा। मगर धर्मा सबकुछ चुपचाप सहता रहा। वक्त बीतता गया और कर्मा को देवता का कोपभाजन बनना पड़ा, उसकी सारी सुख-समृद्धि खत्म हो गई। आखिरकार धर्मा को दया आ गई और उसने अपनी बहन के साथ देवता से प्रार्थना किया कि उनके भाई को क्षमा कर दिया जाए। दोनों की प्रार्थना ईश्वर ने सुन ली और एक रात कर्मा को देवता ने स्वप्न देकर करमडाली की पूजा करने को कहा। कर्मा ने ठीक वैसा ही किया और उसकी सारी सुख-समृद्धि वापस आ गई। हालांकि कर्मा-धर्मा से जुड़ी कई और कहानियां भी प्रचलित हैं। आधुनिकता के तमाम तामझाम के बावजूद इस पर्व की गरिमा आज भी बरकरार है।

Related posts

ईद की मुबारकबाद एक दूसरे को देते हुए एक भाईचारे की प्रतीक शांतिपूर्ण तरीके से मनाया गया

ETV News 24

बासोपट्टी पुलिस ने 148 बोरी कालाबजारी का अनाज किया जब्त

ETV News 24

गरीब निःसहाय परिवारों के बीच राशन किट राष्ट्रीय मुस्लिम स्वयंसेवक संघ के द्वारा किया गया वितरित…..

ETV News 24

Leave a Comment