उत्तर प्रदेश राजधानी लखनऊ
लखनऊ – बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर विश्विद्यालय (बीबीएयू) लखनऊ उत्तर प्रदेश में स्थित एक केंद्रीय विश्वविद्यालय है,जिसके वर्तमान कुलपति प्रो. संजय सिंह हैं । इस विश्वविद्यालय में दाखिला लेने वाले इच्छुक विद्यार्थियों के लिए प्रवेश परीक्षा का आवेदन- 27.05.2020 से 10.07.2020 तक मांगा गया है । अनारक्षित, ईडब्ल्यूएस एवं ओबीसी के लिए 1000रु और एससी, एसटी के लिए 500 रु आवेदन शुल्क निर्धारित किया गया है। समाजवादी पार्टी पिछड़ावर्ग प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष चौ.लौटनराम निषाद ने बताया कि 1996 में स्थापित इस विश्विविद्यालय की 50% सीटें एससी/एसटी के लिए आरक्षित रहती हैं और 50% सीटें अनारक्षित वर्ग के लिए होती हैं। ओबीसी के लिए इस केन्द्रीय विश्वविद्यालय में ओबीसी के लिए कोई अलग से प्रावधान नहीं है।निषाद ने बताया कि इस बार जो नामांकन सूचना जारी हुआ है उसमें 50% अनारक्षित सीटों में से 10% सीटें ईडब्ल्यूएस को दे दी गईं। किसी-किसी विषय में तो एससी/एसटी के 50% कोटे में भी सेंधमारी की गई है और OBC का तो सीट बंटवारा में जिक्र भी नहीं है,जो संविधान की अवहेलना है।अब सवाल यह उठता है कि -क्या 50% अनारक्षित सीट को विश्वविद्यालय सिर्फ सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित मानता है? 50% अनारक्षित सीटों में से 10% सीटें ईडब्ल्यूएस के लिए आरक्षित किस आधार पर किया गया है?जब 50% सीट में ओबीसी को आरक्षण नहीं दिया जा सकता है, तो फिर ईडब्ल्यूएस को क्यों जब 50% आरक्षण की सीमा टूट चुकी है तो फिर ओबीसी को आरक्षण क्यों नही उन्होंने कहा की भाजपा सरकार में धीर-धीरे OBC के लिए उच्च शिक्षा और सरकारी सेवा के सारे दरवाजे बंद किये जाने की साज़िश की जा रही है।निषाद मेडिकल पीजी की ऑल इंडिया कोटा की आवंटित सीटों का ब्यौरा देते हुए कहा कि पीजी मेडिकल एन्ड डेंटल में ओबीसी का कोटा खत्म कर दिया गया है।नेशनल बोर्ड ऑफ एक्जामिनेशन-2020 के माध्यम से 7981 सीटों का चयन किया गया है।केंद्रीय संस्थानों में ओबीसी को 27%,एससी को 15%,एसटी को 7.5% व ईडब्ल्यूएस को 10% आरक्षण कोटा निर्धारित है।उन्होंने बताया कि 7981 सीटों के केन्द्रीय कोटा में सामान्य वर्ग के लिए 3990 के सापेक्ष 6226 सीटें आवंटित की गई हैं।एससी को 1197 की बजाय 1305,एसटी को 596 की बजाय 668 सीटें दी गयी हैं।27% आरक्षण कोटा के तहत पीजी मेडिकल एडमिशन अंडर ऑल इंडिया कोटा की 7981 सीटों में 2154-55 सीटें मिलनी चाहिए,परन्तु ओबीसी को कोई कोटा नहीं दिया गया गया।उन्होंने कहा कि तथाकथित ओबीसी पीएम के राज में ओबीसी के संवैधानिक अधिकारों का हर स्तर पर हनन किया जा रहा है।