प्रियांशु कुमार समस्तीपुर बिहार
पन्ना पवई ,कई बार जिंदगी कुछ कठिन अनुभव भविष्य में कुछ नया करने के लिए प्रेरित करते हैं। मध्यप्रदेश के पन्ना जिले के पवई विकासखंड के शिक्षक सतानंद पाठक की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। बचपन में जब उन्होंने कुछ लोगों को किताबों के अभाव में पढ़ाई छोड़ते देखा तो बाद में भी लोगो को किताबें मुहैया करने लगे। दस हजार किताबों और कोशिश एक कि मुफ्त में किताबें हर जरूरतमंदों को मिले!
आपने भी किसी को किताब की वजह से पढ़ाई से वंचित होते देखा होगा खासकर गांव में ,जहां ज्यादातर लोग किताब के अभाव में पढ़ाई छोड़ देते है।कुछ ऐसा ही अनुभव रहा सिमरिया गुलाब सिंह के रहने वाले सतानंद पाठक का उन्होंने अपने कई दोस्तों को किताब के अभाव मे पढ़ाई छोड़ते हुए देखा था। जब वे थोड़े बड़े हुए तो गांव के बच्चों को मुफ्त में ट्यूशन पढ़ाने लगे लेकिन किताबों की समस्या तब भी थी । सतानंद पाठक बताते है कि जब वह पढते थे तो उनके दोस्तों के पास पुरानी किताबे खरीदने के लिए पैसे नहीं रहते थे। इसलिए दोस्त बीच में ही पढ़ाई छोड़ देते थे।
कैसे हुई इसकी शुरुआत!
गांव में ही शिक्षक बन गया फिर निःशुल्क कोचिंग चालू की इससे मुझे और बल मिला और फिर मैंने टैगोर पुस्तकालय के माध्यम से हर जरूरत मंद को किताबें उपलब्ध करवाना चाहता था। इसकी शुरुआत 2017 मे हुई शुरू मे 200 ही किताबें थी। अब इसमे लगभग दस हजार किताबों का एक कलेक्शन है। जिसमे स्कूल से लेकर कॉलेज सरकारी परीक्षा और साहित्य किताबें शामिल है। शुरू मे मैने खुद किताबें रखी और लोगों के घर जाकर किताबें एकत्रित की अब लोग खुद फोन करके किताबें ले जाने के लिए फोन करते है।सतानंद पाठक कहते है कि लोग यहाँ से एक महीने और एक साल तक के लिए किताबें ले जाते है।
पिछले तीन सालों मे दस हजार किताबे जमा हो चुकी है।
पन्ना जिले से शुरुआत की है और दूसरे लोगो को भी अपने इलाके मे पुरानी किताबें इकट्ठा करके ऐसा ही केन्द्र शुरू करने के लिए प्रेरित कर रहै है।