रिपोर्ट:-बलराम कुमार सुपौल,बिहार।
मामला सुपौल जिला के यूपी में रहनेवाले मजदूर की है।
मजदूरों ने बताया की हमलोग यूपी में बीबी बच्चे को लेकर मजदूरी का काम कर रहे थे।
लेकिन देश में लॉक डाउन होने के कारण काम नहीं मिलने पर रहने खाने को मजबूर थे।
जो भी रुपया था खर्च हो गया।
मकान मालिक भी किराए के लिए परेशान किया करते थे।
मजबूरी में हमलोग किसी तरह से यूपी से बिहार आने को मजबूर हो गए।
वहीं त्रिवेणीगंज SHO, सुधाकर कुमार,ने यूपी से आए मजदूरों,के साथ महिला,तथा बच्चों को नाश्ता करवाया।
साथ ही SHO, सुधाकर कुमार ने बताया की त्रिवेणीगंज अनुमंडलीय अस्पताल में जाँच किया जाएगा।
बाद जैसा होगा किया जाएगा।
वहीं सभी मजदूर यूपी के गाजियाबाद नोएडा में रहकर काम कर रहे थे।
वहीं यूपी में रहनेवाले मजदूर सुपौल जिला के त्रिवेणीगंज अनुमंडलीय मुख्यालय स्थित बड़ेरवा वार्ड नं0 10,का बताया जा रहा है।
मजदूर में 2,महिला, 8, पुरुष, 5, बच्चे हैं।कुल 15,हैं।
जो टाटा 407,में सवार होकर यूपी से बिहार पहुँचे।
एक तरफ सरकार कहती है जो जहाँ हैं।
वहीं रुक जाईए मदद हम करेंगें।
तो वहीं देखा जा ज्यादातर मजदूर हीं हैं जो परेशान हो रहे हैं।
सरकार लाख दावे कर ले लेकिन धरातल पर तो कुछ और ही देखा जा रहा है।
जब सरकार कहती है की बॉर्डर पर केम्प लगा रखी है।
बाहर से आने वाले को केम्प में व्यवस्था किया गया है।
तो फिर कैसे मजदूर या अन्य व्यक्ति सफर कर रहे हैं।
अब देखना है की सरकार का दावा धरातल पर कब तक सफल हो पाता है।
या सरकार का दावा हवा हवाई बनकर रह जाता है।