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सीयूएसबी में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के उपलक्ष में विशेष कार्यक्रम का आयोजन

टिकारी/गया

टिकारी से ओमप्रकाश की रिपोर्ट

दक्षिण बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय (सीयूएसबी) के रसायन विज्ञान विभाग ने सर सीo वीo रमन (नोबेल पुरस्कार विजेता) के अमुल्य योगदान की स्मृति में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया। जन संपर्क पदाधिकारी मोहम्मद मुदस्सीर आलम ने बताया कि सर रमन की जयंती के अवसर पर राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाने का उद्देश्य आम लोगों के दैनिक जीवन में विज्ञान की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में जागरूकता पैदा करना है। उन्होंने बताया कि इस वर्ष के विज्ञान दिवस का विषय “विज्ञान में महिलायें ” था। इस अवसर पर, छात्रों द्वारा पोस्टर प्रस्तुतियाँ की गईं, और अंकिता, सुभ्रंजन और स्वेता द्वारा सर्वश्रेष्ठ तीन प्रस्तुतियों को मेधा प्रमाण पत्र से सम्मानित किया गया। पोस्टरों में भारत की महिला वैज्ञानिकों जैसे आशिमा चटर्जी, जानकी अम्मल, कल्पना चावला और अन्य की उपलब्धि पर प्रकाश डाला गया। छात्रों द्वारा सर्वश्रेष्ठ तीन भाषण, अर्थात् रितुपर्णा, ट्विंकल और सुधा को भी सराहा और सम्मानित किया गया। वैज्ञानिकों की उपलब्धियों के अलावा, उन्होंने महिला वैज्ञानिकों की समस्याओं के बारे में भी बात की। उन्होंने चर्चा की कि वैज्ञानिक संस्थानों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व इतना कम क्यों है और इस समस्या को कैसे दूर किया जा सकता है। विभाग के प्रमुख, डॉ o अमिय प्रियम और संकाय सदस्य, डॉ o जगन्नाथ रॉय, डॉ o गिरीश चंद्र, डॉ o अंगद कुमार सिंह और डॉ o महेन्द्र खटारावथ ने इस कार्यक्रम को आयोजित करने के लिए छात्रों की पहल की सराहना की। डॉ o प्रियम और डॉ o रॉय ने भी सर सी.वी. रमन के योगदान के बारे में बात की। उन्होंने यह भी बताया की कैसे रमन के द्वारा की गयी खोज अब आम आदमी के दैनिक जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। उन्होंने इस बात को रेखांकित किया कि कैसे आजकल रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी का उपयोग रोगों के शीघ्र पता लगाने और पानी और पर्यावरण में खतरनाक दूषित पदार्थों की अति-कम सांद्रता का पता लगाने में किया जाता है। डॉo अमिय प्रियम ने यह भी कहा कि वह सर सी.वी. रमन से बहुत प्रेरित हैं और विश्वविद्यालय की प्रयोगशाला में अनुसंधान को आगे बढ़ाते हुए, उन्होंने हाल ही में सरफेस-एन्हांस्ड-रमन-स्पेक्ट्रोस्कोपी (SERS) नामक एक नई तकनीक विकसित की है, जिससे कि पानी में आर्सेनिक और क्रोमियम जैसे धातु संदूषकों की बहुत ही कम मात्रा का पता लगाने के लिए उपयोगी है है; इसकी रिपोर्ट पर जिसे रॉयल सोसाइटी ऑफ केमिस्ट्री, लंदन की प्रतिष्ठित पत्रिकाओं (RSC Advances, Dalton Transactions) में प्रकाशित किया गया है।

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