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पूरे देश में शराबबंदी लागू होना चाहिए – नीतीश कुमार

मद्य-निषेध के लिए बिहार रोल मॉडल

*लोगों की सेवा करना ही मेरा धर्म है

नई दिल्ली। 16 फरवरी, 2020 : मुख्यमंत्री, बिहार नीतीश कुमार ने कहा है कि बिहार मद्य-निषेध अभियान के लिए पूरे देश में रोल मॉडल है। शराबबंदी का राजस्व पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। वे आज नई दिल्ली में ‘शराब-मुक्त भारत‘ पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन में बतौर मुख्य अतिथि देश के विभिन्न भागों से आए लोगों को संबोधित कर रहे थे।

इस सम्मेलन का आयोजन मिलित ओडिसा निशा निवारण अभियान (मोना) द्वारा ईस्ट ऑफ कैलाश के इस्कॉन सभागार में किया गया था। मुख्यमंत्री ने कहा कि पूरे देश में शराबबंदी लागू होना चाहिए। यह सामाजिक, धार्मिक एवं वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी आवश्यक है। बिहार में शराबबंदी अभियान के बारे में अपने अनुभवों को मुख्यमंत्री ने विस्तार से रखा।
कार्यक्रम के दरम्यान दर्शकों ने कई बार तालियों की गडगडाहट से खड़े होकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का अभिनन्दन किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले 10 वर्षों में बिहार ने दो अंकों का आर्थिक विकास दर हासिल किया है और राज्य में प्रति व्यक्ति आय में गुणात्मक वृद्धि हुई है। राज्य के ग्रामीण इलाकों में रह रहे लोगों की आय में भी काफी बढ़ोत्तरी हुई है। लेकिन यह पाया गया कि ग्रामीण इलाकों में रह रहे गरीब लोग अपनी आय का बड़ा हिस्सा शराब पर खर्च कर देते थे। इसका सबसे बुरा प्रभाव निर्धन लोगों के स्वास्थ्य एवं उनके आर्थिक स्थिति, खान-पान, घरेलू शांति एवं महिलाओं के सम्मान पर पड़ रहा था। यहां तक कि युवा वर्ग भी शराब के आदी होते जा रहे थे। बढ़ते घरेलू कलह एवं बिगड़ती सामाजिक स्थिति को देखते हुए ग्रामीण इलाकों की महिलाओं ने अपने स्तर पर शराब के विरूद्ध आवाज उठाई और इस पर रोक लगाने की मांग की। स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं द्वारा शराबबंदी की मांग भी उठाई गयी। महिलाओं द्वारा प्रारंभ किए गए इस आंदोलन के व्यापक स्वरूप को देखते हुए राज्य सरकार ने शराब के दुष्परिणामों से लोगों को अवगत कराने के उद्देश्य से वर्ष 2011 से राज्य में प्रत्येक वर्ष 26 नंवबर को मद्य निषेध दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया। इस दिन पटना सहित राज्य के ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में शराब के दुष्परिणामों से लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए पेंटिंग प्रतियोगिता, नुक्कड़-नाटक, सांस्कृतिक आदि विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किये गये। मद्य निषेध के प्रयासों के लिए जीविका के स्वयं सहायता समूहों एवं सबसे अच्छे संदेश वाली पेंटिंग को पुरस्कृत तथा ग्राम विकास अभियान के अंतर्गत शराब मुक्त कराये गये गाँव को 1 लाख रुपये प्रोत्साहन स्वरूप दिये गये। धीरे-धीरे शराब के दुष्परिणामों को लेकर ग्रामीण इलाकों में भी जागरूकता बढ़ी। हम लोग चाहते थे कि शराब के सेवन को लोग कम करें तथा शराब मुक्त समाज बनाने की दिशा में प्रयास करें। इसके लिए निरंतर सामाजिक अभियान चलाया गया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि 9 जुलाई, 2015 में महिला विकास निगम एवं डी.एफ.आई.डी. के सौजन्य से ‘ग्राम वार्ता’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम के दौरान स्वयं सहायता समूह की कुछ महिलाओं द्वारा बिहार में शराबबंदी की मांग उठाई गई। उनकी मांग सुनकर तत्क्षण मेरे द्वारा घोषणा की गई कि अगर चुनाव के बाद सरकार में आए तो राज्य में शराबबंदी लागू करेंगे। नई सरकार के गठन के उपरांत दिनांक 26 नवम्बर, 2015 को मद्य निषेध दिवस के अवसर पर पहले सरकारी कार्यक्रम में उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग को निर्देशित किया कि नई उत्पाद नीति तैयार कर 1 अप्रैल, 2016 से शराबबंदी लागू करने की व्यवस्था की जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि इसी परिप्रेक्ष्य में राज्य सरकार द्वारा नई उत्पाद नीति, 2015 बनायी और 21 दिसम्बर 2015 से लागू की गई। इस नीति के तहत राज्य में पूर्ण मद्य निषेध लागू करने तथा इसे चरणबद्ध तरीके से क्रियान्वित करने का निर्णय लिया गया। प्रथम चरण में देशी शराब को सम्पूर्ण राज्य में एवं विदेशी शराब को ग्रामीण क्षेत्र में 1 अप्रैल, 2016 से प्रतिबंधित करना तय किया गया। शराबबंदी एवं शराब से होने वाली बुराईयों के बारे में जागरूकता लाने के उद्देश्य से तीन माह का एक सशक्त सामाजिक अभियान चलाया गया। मद्य निषेध अभियान के तहत नुक्कड़ नाटक, नारे और पोस्टर के माध्यम से प्रचार-प्रसार किया गया। सरकारी विद्यालयों में नामांकित बच्चों ने अपने अभिभावकों से शराब सेवन नहीं करने एवं दूसरों को भी शराब से दूर रहने के लिए प्रेरित करने का संकल्प पत्र भरवाया। कुल 1 करोड़ 19 लाख संकल्प पत्र भरे गये। 48 हजार से अधिक टोलों में ग्राम संवाद कार्यक्रम सम्पन्न हुआ जिसमें 4 लाख 70 हजार जीविका समूह और 20 हजार ग्राम संगठन जुड़ें। पंचायतों में कार्यरत प्रेरक, शिक्षा सेवक, विकास मित्र एवं विभिन्न समूहों द्वारा लगभग 9 लाख स्थानों पर मद्य निषेध के नारे लिखे गये। कला जत्था के कलाकारों द्वारा 25 हजार से अधिक स्थानों पर गीत, नाटक एवं सामूहिक चर्चा के माध्यम से मद्य निषेध के संदेश को लोगों तक पहुँचाया गया। इस प्रकार ग्रामीण क्षेत्रों में शराबबंदी के लिए वातावरण निर्माण किया गया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इस प्रयोजनार्थ 30 मार्च, 2016 को करीब 100 साल पुराने बिहार उत्पाद अधिनियम, 1915 में संशोधन को बिहार विधान मंडल के दोनों सदनों में सर्वसम्मति से पारित किया गया तथा 1 अप्रैल, 2016 से पूरे राज्य में देशी शराब और गाँवों में देशी एवं विदेशी शराब की बिक्री, खपत, उपभोग और भंडारण पर रोक लगा दी गयी। एक तरफ शराब पीने-पिलाने और इसके धंधे से जुड़े लोगों में हड़कंप मच गया तो दूसरी ओर महिलाओं में खुशी की लहर दौड़ गयी। खुशी में महिलाओं ने होली मनायी, संगीत के साथ बधाई गीत भी गाये गये। महिलाओं, बच्चों एवं युवाओं के द्वारा सरकार के इस पहल की सराहना की गई तथा इसे व्यापक जनसमर्थन मिला।

मुख्यमंत्री ने कहा कि 1 अप्रैल, 2016 के बाद कई संस्थाओं एवं महिला समूहों ने शहरी क्षेत्रों में विदेशी शराब को प्रतिबंधित करने की मांग उठाई। कहा गया कि गाँव एवं शहरों में फर्क क्यों किया जा रहा है। लगातार पूछा गया कि पूर्ण शराबबंदी कब लागू होगी? तिथि बताई जाये। उत्पाद विभाग द्वारा शहरी क्षेत्रों में विदेशी शराब की दुकान खोलने का महिला समूहों द्वारा कड़ा विरोध किया गया एवं कुछ जगहों पर विधि-व्यवस्था की समस्या उत्पन्न हुई। ग्रामीण क्षेत्रों में तो शराब के दुष्परिणामों से लोगों को जागरूक करने का अभियान पूर्व से जारी था जिससे शराबबंदी की माँग मुखर हो रही थी, इसलिए हमने शहरां में भी जागरूकता अभियान चलाने के बारे में सोचा एवं उसके बाद शहरों में भी पूर्ण शराबबंदी के बारे में निर्णय लेंगे। परन्तु देखा गया कि शहरी क्षेत्रों में पहले से ही जागृति और शराबबंदी के समर्थन में जन उत्साह है, इसलिए हमने चार दिनों में ही सम्यक् विचारोपरांत 5 अप्रैल, 2016 से सम्पूर्ण राज्य में विदेशी शराब को भी प्रतिबंधित करने का निर्णय लिया।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि शराब बंदी अभियान का व्यापक प्रचार-प्रसार किया गया तथा लोगों के द्वारा भी इसे पूर्ण समर्थन प्राप्त हुआ। लोग बड़ी संख्या में अवैध शराब के निर्माण, भंडारण अथवा बिक्री की सूचना स्वतः स्फूर्त रूप से भी देने लगे। सूचना/शिकायत दर्ज कराने हेतु उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग एवं पुलिस मुख्यालय द्वारा नियंत्रण कक्ष स्थापित किया गया, जिसमें प्राप्त शिकायत/सूचना पर तुरंत कार्रवाई की गई। लोगों द्वारा दी गई सूचना के आधार पर प्रशासन द्वारा छापेमारी कर बड़ी मात्रा में अवैध देशी एवं विदेशी शराब की बरामदगी की गई। शराबबंदी के इस मुहिम को कारगर रूप से लागू करने के उद्देश्य से सभी पड़ोसी राज्यों के माननीय मुख्यमंत्रियों से अनुरोध किया कि वे अपने स्तर से अपने राज्य के सभी सीमावर्त्ती जिलों, जिनकी सीमाएं बिहार राज्य से लगती हैं, को निदेशित करे कि वह बिहार में लागू शराबबंदी के संबंध में सजग रहें और अपनी सीमा से लगने वाले बिहार के जिलों से सतत् समन्वय बनाये रखे ताकि असामाजिक तत्व उनके राज्यों से अवैध रूप से शराब बिहार न भेज पाये। राँची में आयोजित अन्तर्राज्यीय परिषद् की बैठक में भी इस मुद्दे को मुख्यमंत्री महोदय द्वारा उठाया गया एवं झारखंड एवं अन्य सीमावर्ती जिलों के प्रतिनिधियों से इस मुहिम में सकारात्मक सहयोग का अनुरोध किया गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में शराबबंदी के सफल क्रियान्वयन हेतु न सिर्फ शराब पर पाबंदी लगाई, बल्कि लोगों की नशे की लत को छुड़ाने का इंतजाम किया जाय। नशे के आदी लोगों के स्वास्थ्य का ख्याल रखते हुए सभी जिलों में नशामुक्ति केन्द्र खोले गए। इन केन्द्रों में प्रशिक्षित चिकित्सक, नर्स एवं सलाहकार भी पदस्थापित किए। नशामुक्ति केन्द्र के चिकित्सकों को प्रशिक्षित किया गया। शराब का उपभोग करने वाले एवं इसके आदी लोगों को इन केन्द्रों के द्वारा मुफ्त चिकित्सा सेवा, दवाएँ एवं परामर्श मुहैया कराया जा रहा है। पुलिस महानिदेशक से लेकर सभी पुलिस पदाधिकारी एवं सिपाहियों तथा मुख्य सचिव से लेकर सभी अधिकारी एवं कर्मचारी वर्ग ने सरकार की नीति का समर्थन करते हुए शराब नहीं पीने और जो पीते हैं उन्हें नहीं पीने के लिए प्रेरित करने का संकल्प लिया। 9 अप्रैल, 2016 को एक सर्वदलीय बैठक में हमने निर्णय लिया कि 2017 में मनाया जाने वाला चंपारण सत्याग्रह शताब्दी समारोह शराबबंदी और दलित उत्थान को समर्पित होगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इसके साथ अप्रैल-मई माह में हमने बिहार का दौरा शुरू किया और कमिश्नरी वाईज महिलाओं का सम्मेलन हुआ और उनके अनुभवों को साझा किया गया तथा शराबबंदी के मुहिम को पूरी सजगता के साथ जारी रखने का संकल्प लिया गया। इस दौरान यह निर्णय लिया गया कि यदि किसी थानाध्यक्ष/प्रभारी के क्षेत्रान्तर्गत शराब निर्माण, बिक्री, परिचालन अथवा उपभोग में उनकी संलिप्तता की बात प्रकाश में आती है या क्षेत्रान्तर्गत मद्यनिषेध में उनके स्तर से कर्त्तव्यहीनता बरती जाती है तो उन्हें निलंबित/विभागीय कार्रवाई के साथ-साथ उक्त पुलिस पदाधिकारी को अगले 10 वर्षों के लिए थानाध्यक्ष के पद पर पदस्थापित नहीं किया जाएगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि व्यापक सामाजिक अभियान के साथ शराबबंदी के सफल क्रियान्वयन के लिए प्रभावकारी कानून की भी आवश्यकता महसूस की गई। संशोधन के बावजूद पुराने बिहार उत्पाद अधिनियम, 1915 के प्रावधान वर्तमान सामाजिक एवं आर्थिक परिवेश में शराबबंदी को प्रभावकारी ढंग से लागू करने के लिए पर्याप्त नहीं थे। इसके लिए पुराने कानून के स्थान पर नये कानून लाने का निर्णय लिया गया। नये बिहार मद्य निषेद्य एवं उत्पाद विधेयक, 2016 को मॉनसून सत्र में विधानमंडल के दोनों सदनों द्वारा पारित किया गया। इस नए कानून को 2 अक्टूबर, 2016 को गांधी जयंती के अवसर पर लागू करने का निर्णय लिया गया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने हमेशा शराब का विरोध किया, उनका कहना था कि ’’शराब आदमियों से न सिर्फ उनका पैसा छीन लेती है, बल्कि उनकी बुद्धि भी हर लेती है।’’ गांधीजी कहते थे-‘‘शराब पीने वाला इंसान हैवान हो जाता है।’’ गाँधी जी ने कहा था कि यदि मुझे एक घंटे के लिए भारत का तानाशाह बना दिया जाय तो मैं सबसे पहले शराब की सभी दुकानों को बिना क्षतिपूर्ति के बंद करा दूँगा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि शराब और मौलिक अधिकार साथ-साथ नहीं चलते। मुख्यमंत्री ने कहा कि शराबबंदी के पश्चात् मद्य निषेध दिवस 26 नवम्बर, 2016 से इसे नशा मुक्ति दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की गयी और अब वर्ष 2017 से यह नशा मुक्ति दिवस के रूप में मनाया जा रहा है क्योंकि शराब के अतिरिक्त अन्य नशीले पदार्थ भी हैं जो लोगों को बर्बाद कर रहे हैं। यह भी आशंका थी कि जिन लोगों को शराब उपलब्ध नहीं हो पा रही है कहीं वे अन्य नशीले पदार्थों का सेवन न शुरू कर दें इसलिए शराब एवं अन्य नशीले पदार्थों के दुष्प्रभावों के विरूद्ध लोगों को जागरूक करना जरूरी था। साथ ही शराब के निर्माण, बिक्री तथा सेवन से जुड़े परम्परागत समूहों के लक्षित अत्यंत निर्धन परिवारों का आजीविका संवर्द्धन, क्षमता निर्माण एवं वित्तीय सहायता के माध्यम से सामाजिक एवं आर्थिक सशक्तिकरण के लिए सतत जीविकोपार्जन योजना लागू कर उन्हे विकास की मुख्य धारा में जोड़ा जा रहा है।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि शराबबंदी के निर्णय को पूरी सफलता के साथ लागू करने के उद्देश्य से जहाँ एक ओर कानूनी प्रावधानों को वर्तमान सामाजिक परिवेश एवं आर्थिक परिस्थितियों के अनुकूल बनाया ताकि शराब एवं मादक द्रव्यों के दुरूपयोग को प्रभावकारी ढंग से नियंत्रित किया जा सके, वही दूसरी ओर शराब के दुष्प्रभावों के व्यापक प्रचार-प्रसार एवं लोकशिक्षण हेतु सामाजिक अभियान जारी है। पूरे वर्ष यह अभियान चलता रहा और शराबबंदी और नशा मुक्ति के पक्ष में 21 जनवरी, 2017 को मानव श्रृंखला बनी, जिसमें 3.5 करोड़ से अधिक लोगों ने भाग लिया जो दुनिया के लिए एक नया रिकॉर्ड बना। विशाल मानव श्रृंखला से बिहार के लोगों ने पूरे विश्व में शराबबंदी एवं नशामुक्ति के पक्ष में सशक्त संदेश दिया। इसी कड़ी में मद्य निषेध को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए राज्य के उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग तथा पुलिस को सशक्त बनाया गया। सभी जिलों में सघन छापामारी के लिए वाहन और सुरक्षा बल मुहैया कराया है। अवैध शराब के कारोबार पर नियंत्रण रखने के लिए पुलिस महानिरीक्षक (मद्यनिषेध) का एक अतिरिक्त स्वतंत्र पद सृजित कर पदस्थापित किया गया है तथा उनके सहयोग हेतु विभिन्न स्तरों के पद सृजित किए गए हैं, जिनके नियंत्रण में मार्च, 2018 से 24ग7 केन्द्रीय आसूचना केन्द्र स्थापित किया गया है। प्राप्त सूचनाओं पर त्वरित कार्रवाई की जा रही है। आसूचना केन्द्र के नंबर को गाँव-गाँव तक बिजली के खंभों पर लिखवा दिया गया है। इसमें शिकायतकर्ता की पहचान गुप्त रखी जाती है और कार्रवाई के संबंध में उनकी संपुष्टि भी दर्ज की जाती है। शराबबंदी कानून को पूरी सख्ती से लागू किया जा रहा है। शराबबंदी के उपरान्त पुलिस एवं उत्पाद विभाग द्वारा ढाई लाख से अधिक अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया है और लगभग 90 लाख लीटर अवैध शराब जब्त की गई है। इस कानून के अन्तर्गत 30 हजार से अधिक गाडि़यों को भी जब्त किया गया है। मद्यनिषेध कानून में शिथिलता बरतने वाले पुलिस एवं उत्पाद विभाग के पदाधिकारियों/कर्मियों पर भी अनुशासनिक एवं कानूनी कार्रवाई की गई है। अभी तक कुल 418 पुलिस पदाधिकारी/कर्मियों के विरूद्ध निलंबन एवं विभागीय कार्यवाही की गई है। कुल 71 पुलिस कर्मियों को बर्खास्त किया गया है एवं 53 थानाध्यक्षों को दस वर्षों तक थानाध्यक्ष के पद से वंचित किया गया है। इसी प्रकार अबतक कुल 20 उत्पाद पदाधिकारी/कर्मियों के विरूद्ध विभागीय कार्यवाही किया गया है एवं 7 उत्पाद पदाधिकारी/कर्मियों को बर्खास्त किया गया है।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि पूर्ण शराबबंदी से समाज अधिक सशक्त, स्वस्थ एवं संयमी हो रहा है, जिसका प्रभाव बिहार की प्रगति में परिलक्षित होने लगा है। शराबबंदी के कारण नागरिकों के स्वास्थ्य में बेहतरी, परिवारों की आर्थिक स्थिति में सुधार, पारिवारिक हिंसा, घरेलू कलह एवं सामाजिक अपराध में कमी हो रही है। इसका सकारात्मक प्रभाव सामाजिक सौहार्द्र पर पड़ा है और गाँव एवं शहरों में शांति एवं सद्भाव का माहौल कायम हुआ है। शराब और इसके सेवन से उत्पन्न बीमारियों के इलाज पर होने वाला व्यय अब खाद्य पदार्थों, घरेलू सामानों के क्रय एवं विकास के कार्यों पर हो रहा है। शराबबंदी लागू करते समय यह आशंका व्यक्त की गई थी कि राज्यकोष में भारी कमी आयेगी और इसका असर बिहार के विकास पर भी पड़ेगा। मैंने तब भी कहा था कि यह सही है कि शराबबंदी के चलते सरकार लगभग 5000 करोड़ रूपये के राजस्व से वंचित होगी, पर इसकी दुगुनी राशि-10000 करोड़ रूपये उन परिवारों की बचेंगे जो इसे शराब पर खर्च कर देते हैं और लोग अपने परिवार हेतु अन्य जरूरत की सामग्रियां एवं सेवाये खरीद पायेंगे। यह पैसा घुम कर अर्थ-व्यवस्था में अन्य रूपों में ही घूम रहा है और अगर स्थानीय बाजार की अर्थ-व्यवस्था मजबूत होती है तो सरकार के राजस्व में स्वाभाविक रूप से वृद्धि होगी। साथ ही इसके अप्रत्यक्ष लाभ सामाजिक लाभांश के रूप में आगामी पीढ़ी को मिलेंगे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि शराबबंदी लागू होने के पश्चात समाज में आ रहे बदलावों का अध्ययन कई संस्थानों जैसे सेन्टर फॉर इकोनॉमिक पॉलिसी एण्ड पब्लिक फाइनेन्स एवं आद्री, राम संसदीय अध्ययन एवं राजनीतिक शोध संस्थान, जेन्डर रिर्सोस सेन्टर, महिला विकास निगम एवं डेवलपमेन्ट मैनेजमेन्ट इन्स्टीट्यूट द्वारा किया गया है, जिनमें नागरिकों के स्वास्थ्य में बेहतरी, परिवारों की आर्थिक स्थिति में सुधार, पारिवारिक हिंसा, घरेलू कलह एवं सामाजिक अपराध में कमी पायी गयी है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि शराबबंदी से सबसे अधिक गरीब-गुरबों को फायदा हुआ है और पूरे बिहार में शांति का माहौल कायम है। कुछ लोग वकालत कर लोगों को भटकाने में लगे हैं, जिसे जानकर हमें आश्चर्य होता है। कुछ गिने चुने लोग शराब पीने को अपने मौलिक अधिकारों से जोड़ते हैं। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि शराब पीना एवं शराब का व्यवसाय कोई मौलिक अधिकार नहीं है। हमारे संविधान के राज्य के नीति निर्देशक तत्व के अनुच्छेद-47 में यह स्पष्ट रूप से वर्णित है कि ‘‘सरकार शराब और दूसरे नशीले पदार्थों, जो लोगों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं, पर रोक की दिशा में काम करगी‘‘।

मुख्यमंत्री ने कहा कि कई लोगों ने कहा कि शराबबंदी लागू रहने से बिहार में पर्यटकों की संख्या में कमी आएगी। हमारे यहाँ अधिकांश पर्यटक रीलिजियस टूरिज्म के उद्देश्य से आते है। कोई भगवान बुद्ध एवं जैन धर्म से संबंधित स्थलों का दर्शन करने आते है तो कोई पिन्डदान करने के उद्देश्य से गया पहुँचते है। राज्य में आने वाले पर्यटकों की संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है। वर्ष 2005 में देशी-विदेशी पर्यटकों की कुल संख्या 69.43 लाख थी जो वर्ष 2015 में 2.89 करोड़, वर्ष 2016 में 2.95 करोड़, वर्ष 2017 में 3.35 करोड़, वर्ष 2018 में 3.47 तथा 2019 में 3.51 करोड़ हो गयी है। इसमें से विदेशी पर्यटकों की संख्या वर्ष 2015 में 9.23 लाख थी वो 2016 में 10.01 लाख, 2017 में 10.82 लाख, 2018 में 10.88 लाख तथा 2019 में बढ़कर 10.93 लाख हो गयी है। बिहार में आकड़ों से स्पष्ट है कि विदेशी पर्यटकों की संख्या बढ़ी है। मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने कहा कि शराब के दुष्प्रभाव को लेकर पूरा विश्व चिंतित है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की नई रिपोर्ट ग्लोबल स्टेटस रिपोर्ट ऑन अल्कोहल एण्ड हेल्थ 2018 में शराब के दुष्परिणामों के विस्तृत आंकड़े दिए गए हैं और मानव समाज को शराब के कुप्रभाव से निजात दिलाने के लिए एक अभियान चलाने पर बल दिया गया है। शराब के कारण होने वाले दुष्परिणामों को बताना चाहूँगा ताकि लोगों को यह महसूस हो सके कि शराब कितनी बुरी चीज है।  2016 में शराब के कारण विश्वभर में 30 लाख लोगों की मृत्यु हुई है जो विश्व के कुल मृत्यु का 5.3 प्रतिशत है। शराब के सेवन के कारण युवाओं में मृत्यु दर बूढ़े लोगों की अपेक्षा काफी अधिक है और 20 से 39 आयु वर्ग के लोगों में 13.5 प्रतिशत लोगों की मृत्यु शराब के कारण होती है। शराब के कारण मृत्यु की रिपोर्ट के अनुसार शराब लगभग 200 बीमारियों को बढ़ाता है। शराब का सेवन कैंसर, एड्स, हेपटाइटिस, टी.बी, लीवर एवं दिल की बीमारी, मानसिक बीमारी, माता-शिशु से संबंधित बीमारियों के साथ-साथ हिंसक प्रवृति को भी बढाता है और महिलाओं के साथ हिंसा में इसकी अहम भूमिका है। आत्महत्या के कुल मामलों का 18 प्रतिशत, आपसी झगड़े का 18 प्रतिशत, सड़क दुर्घटनाओं का 27 प्रतिशत और मिर्गी के 13 प्रतिशत मामले शराब के सेवन के कारण ही होते है। लीवर की गंभीर बीमारी लीवर सिरोसिस के कुल मामलों का 48 प्रतिशत, डवनजी ब्ंदबमत के कुल मामलों का 26 प्रतिशत, पैंक्रियाज की गंभीर बीमारी पैंक्रियाज का सूजन के 26 प्रतिशत, बड़ी ऑत के कैंसर का 11 प्रतिशत मामले शराब के सेवन के कारण ही होते है। कम मात्रा में शराब सेवन करने वालों में भी मामूली बीमारी के उभर जाने का खतरा बना रहता है। चिंता का विषय यह है कि दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र में खासकर इसके बड़े भू-भाग भारत और चीन में शराब पीने की प्रवृत्ति में लगातार इजाफा हो रहा है। भारत में प्रति व्यक्ति शराब का उपभोग 2005 में जहां 2.4 लीटर था वह 2016 में बढकर 5.7 लीटर हो गया और 2025 तक इसमें 2.2 लीटर बढोत्तरी का अनुमान लगाया गया है। शराब के दुष्परिणामों के संबंध में रिपोर्ट के विषय में लोगों के बीच पूरा प्रचार-प्रसार किया जाना चाहिए। सब लोगों को एक-दूसरे को इसके संबंध में जानकारी देनी चाहिए।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार में शराबबंदी लागू होने के बाद पूरे देश में ऐसी स्थिति आ गयी है कि आज हर ओर शराबबंदी की मांग तेजी से बढ़ने लगी है। तमिलनाडु में शराब से 18 से 20 हजार करोड़ रूपये की आमदनी होती है, बावजूद इसके जब करुणानिधि जी जीवित थे, तब वे कहते थे कि अगर बिहार में नीतीश कुमार शराबबंदी लागू कर सकते हैं तो फिर तमिलनाडू में हम क्यों नहीं कर सकते ? केरल में ईसाई समुदाय के लोगों ने मुझे केरल कैथोलिक बिशप्स काउंसिल के टेम्परेंस अभियान का 18वॉ राज्यस्तरीय सम्मेलन, भरनंगानम, कोट्टायम में बुलाया। केरल कैथोलिक बिशप्स कांफ्रेन्स टेंपरेंस मूवमेंट द्वारा शराब तथा नशीली दवाओं से मुक्ति के में इतने लंबे, धैर्यपूर्ण एवं कारगर आन्दोलन चला रहें हैं, मैं उनकी सराहना करता हूँ। नशामुक्ति अभियान से जुड़ी महिलाओं के बुलावे पर शराबबंदी के समर्थन में हम झारखंड और छत्तीसगढ़ भी गए। उड़ीसा से भी आपके द्वारा हमें आने का न्यौता मिला था, परन्तु आज आपके बीच आ सके हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार राज्य में लागू शराबबंदी नीति को अध्ययन करने हेतु विभिन्न राज्यों से प्रतिनिधिगण आये। वर्ष 2017 में कर्नाटक से, वर्ष 2018 में छŸासगढ़ से तथा दिसंबर 2019 में राजस्थान से उत्पाद विभाग एवं अन्य संस्थाओं के अध्ययन दल आये। इन अध्ययन दलों ने राज्य के विभिन्न हिस्सों का भ्रमण किया और शराबबंदी के क्रियान्वयन को जमीनी स्तर पर देखा। इन सभों दलों ने बिहार में की गई शराबबंदी के सभी प्रयासों की काफी सराहना की। देश के कोने-कोने से शराबबंदी की आवाज उठने लगी है इसलिए शराब के धंधे में लगे लोग परेशान हैं कि कहीं बिहार जैसी शराबबंदी पूरे देश में लागू न हो जाए। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार में न्याय के साथ विकास के प्रति हमारी प्रतिबद्धता है, इससे कोई समझौता नहीं करेंगे लेकिन जब तक नशाखोरी, बाल विवाह और दहेज प्रथा जैसी सामाजिक कुरीतियों से समाज को छुटकारा नहीं मिलेगा, तब तक विकास का पूरा लाभ नहीं मिलेगा। इसके अतिरिक्त, इन दिनों जलवायु परिवर्तन सबसे बड़े खतरे के रूप में उभरा है, इसलिए हम पर्यावरण संरक्षण पर भी जोर दे रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्व में पर्यावरण भी स्वच्छ था, नदियों का जल भी साफ था, आबादी भी कम थी। धीरे-धीरे आबादी बढ़ती गई विज्ञान एवं तकनीक का विकास हुआ। इस विकास का हानिकारक प्रभाव पर्यावरण पर भी पड़ा है। इसका असर ग्लोबल वार्मिंग एवं जलवायु परिवर्तन के रूप में दिखने लगा है, जिससे कहीं असमय वर्षा, कहीं सुखाड़ तो कहीं बाढ़ की समस्या, आँधी-तूफान की बढ़ती तीव्रता जैसी समस्याएँ दिख रही हैं। मानसून पैटर्न बदल रहा है। बिहार में भी कम और अनियमित वर्षापात, वर्षा में लंबा अंतराल तथा अचानक भारी वर्षा जैसी स्थितियाँ हो रही है। बिहार को एक साथ बाढ़ और सुखाड़ के हालात का सामना करना पड़़ रहा है। अल्प वर्षापात के कारण भूजल स्तर में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है। जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न इन समस्याओं से निपटने के उद्देश्य से राज्य सरकार द्वारा 26 अक्टूबर, 2019 से जल-जीवन-हरियाली अभियान शुरू किया गया है। इसके अंतर्गत 24524 करोड़ रुपये की योजनाओं का मिशन मोड में क्रियान्वयन किया जा रहा है तथा इसके अनुश्रवण एवं परामर्श की संस्थागत व्यवस्था की गई है। जल-जीवन-हरियाली अभियान में 11 अवयव चिन्ह्ति किया गया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जल-जीवन-हरियाली जागरूकता अभियान के अंतर्गत 19 जनवरी, 2020 को राज्य में 18 हजार किलोमीटर से अधिक लम्बी मानव श्रृंखला बनी जिसमें 5 करोड़ 16 लाख से अधिक लोगों ने भाग लेकर पर्यावरण के संरक्षण और नशा-मुक्ति के समर्थन में एवं बाल विवाह और दहेज प्रथा मिटाने के लिए अपना समर्थन व्यक्त किया। पर्यावरण संरक्षण के समर्थन में बनी यह ऐतिहासिक मानव श्रृंखला विश्व में किसी भी मुद्दे पर बनी, अब तक की सबसे लम्बी मानव श्रृंखला है। इसके माध्यम से बिहार की जनता ने न सिर्फ देश को बल्कि पूरे विश्व को पर्यावरण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता का संदेश दिया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि विकास के साथ-साथ सामाजिक सुधार के लिए हम लगातार प्रयत्नशील हैं। महात्मा गाँधी के सात सामाजिक पापकर्मों यथा सिद्धान्त के बिना राजनीति, काम के बिना धन, विवेक के बिना सुख, चरित्र के बिना ज्ञान, नैतिकता के बिना व्यापार, मानवता के बिना विज्ञान एवं त्याग के बिना पूजा के बारे में सभी कार्यालयों में प्रदर्शित किया गया है। उन्होंने कहा कि हमें बापू के इस कथन को याद रखना चाहिए कि पृथ्वी सभी मनुष्य की जरूरत पूरी करने के लिए पर्याप्त संसाधन प्रदान करती है, लेकिन लालच पूरा करने के लिए नहीं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि पॉर्न साइट्स पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाने के लिए मैंने केन्द्र को पत्र लिख कर अनुरोध किया है। कार्यक्रम में सभी वक्ताओं ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने सम्पूर्ण बिहार में पूर्ण शराबबंदी कर असम्भव को सम्भव कर दिया है। वक्ताओं ने कहा कि मुख्यमंत्री ने ऐसा कर एक अलग छाप छोड़ी है। पूरे देश में शराबबंदी आवश्यक है। वक्ताओं ने मुख्यमंत्री श्री कुमार से अपने-अपने राज्यों में आकर शराबबंदी अभियान को नेतृत्व प्रदान करने की अपील की। मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने कहा कि वे जब तक जीवित हैं जनता की सेवा करते रहेंगे। शराब मुक्त भारत एवं शराब से मुक्ति के लिए किये जा रहे सभी प्रयासों में उनका पूरा साथ रहेगा।

कार्यक्रम को राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश, पूर्व विधायक, स्वतंत्रता सेनानी तथा अध्यक्ष, मिलित ओडिसा निशा निवारण अभियान (मोना) पद्म चरण नायक, प्रख्यात गांधीवादी, सामाजिक कार्यकर्त्ता एवं पूर्व चेयर पर्सन, गांधी पीस फाउंडेशन राधा भट्ट, सदस्य, मिलित ओडिसा निशा निवारण अभियान (मोना) श्रीमती बनी दास, इस्कॉन के उप सभापति स्वामी ब्रजेन्द्र नारायण दास, वरिष्ठ अधिवक्ता अदिश अग्रवाल, ग्लोबल एडिटर, प्राउट आचार्य संतोषानंद जी, राष्ट्रीय अध्यक्ष, शराबबंदी आंदोलन श्रीमती पूजा छाबड़ा एवं अन्य ने भी सम्बोधित किया। कार्यक्रम से पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस्कॉन मंदिर का परिभ्रमण किया एवं भगवान की पूजा-अर्चना की।

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