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श्रीमद्भागवत की कथा से दूर होते मानसिक संताप

नोखा /रोहतास

श्रीमद्भागवत कथा से ही व्यथा मिटती है ।कलयुग के कलुषित प्राणियों के लिये श्री मद्भागवत कथा श्रवण करने से जीव केपापत्रय नष्ट होते हैं। नोखा प्रखंड ग्राम रोपहथा में काली मंदिर के प्रांगण में चंद्रबली सिंह (झूरी बाबा) के सानिध्य में चल रहे श्रीमद्भागवत के तृतीय दिवस में कथा वाचक पंडित संतोष कृष्ण शास्त्री जी महराज ने बताया कि भागवत कथा जिस समय मनुष्य के भीतर
श्रवण करने की इच्छा प्रकट होती हैं, उसी क्षण गोविन्द उसके हृदय में बस जाते हैं ।
कथा प्रसंग कुंती स्तुति ,भीष्म स्तुति, परीक्षित जी की जन्म की कथा, कलि निग्रह संक्षिप्त में वर्णन किये , परीक्षित द्वारा कलियुग वास पांच ब्यसन यथा जुआ खेलना मदिरा पान करना, परस्त्री गमन ,हिंसा करना ,गलत तरीके से कमाया हुआ स्वर्ण(धन) में बताया गया है।शास्त्री जी महाराज ने बताया कि जो इन व्यसनों में लिप्त रहता है वो कलयुग से नही बच सकता । जो इनका सेवन नही करते उसके लिये कलयुग ही सतयुग के समान है। कलियुग में भगवान के नाम की महिमा अपरम्पार है। सृष्टि प्रकरण की कथा के अंतर्गत विदुर जी के घर मे भगवान श्री कृष्ण भाव के वशीभूत होकर केले के छिलके तक खाये । मनु कर्दम संवाद, कपिल देवहूति संवाद, सती चरित्र ,धुव्र चरित्र की कथा सुनाई ,जिसको सुनकर कर गाँव के श्रद्धालुगण भाव विभोर हो गए। यज्ञ के आचार्य वैदिक पंडित सुमन्त पाण्डेय जी के द्वारा वैदिक मंत्रों से पूजन एवं श्रीमद्भागवत का मूल पाठ बहुत ही सुचारू रूप से किया गया।

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