प्रियांशु कुमार समस्तीपुर बिहार
श्री वृन्दावन धाम से पधारे हुए पगड़ी वाले बाबा ने बताया कि पेड़ पशु और मनुष्य में क्या फर्क है पेड़ के पास नहीं तो गाती है ना दिशा है पशु के पास गति तो है पर दिशा नहीं है मनुष्य के पास गति भी और दिशा भी है पशु चाहे भी तो मनुष्य नहीं बन सकता पर कलयुगी मनुष्य जब-जब चाहता है तो पशु बन जाता है पशुता से मनुष्यता की ओर लाने के लिए सही मार्ग पर और सही दिशा पर मनुष्य को चलने के लिए आज ऐसे ही भक्ति ज्ञान यज्ञ की आवश्यकता है बाबा जी ने एक बहुत विशेष उदाहरण देकर यह भी बताया की 10 वर्ष के हो जाओ तो मां की उंगली पड़कर चलना छोड़ देना 20 वर्ष के हो जाओ तो खिलौनों से खेलना छोड़ देना 30 वर्ष के हो जाओ तो इधर-उधर देखना छोड़ देना 40 के हो जाओ तो एक टाइम खाना छोड़ देना 50 के हो जाओ तो बेड पर सोना छोड़ देना 60 के हो जाओ तो होटल में जाना छोड़ देना 70 के हो जाओ तो परिवार से मोह माया छोड़ देना 80 के हो जाओ तो लस्सी पीना छोड़ देना 90 के हो जाओ तो जीने की आशा छोड़ देना और 100 के हो जाओ तो दुनिया को ही छोड़ देना यह संबोधन भक्तों को देते हुए बाबा जी ने यह भी बताया की बचपन में मां का जवानी में महात्मा का और बुढ़ापे में परमात्मा का बहुत बड़ा महत्व है इसलिए आप सभी भक्त आप भी आएं और अपने बच्चों को भी इस भक्ति ज्ञान यज्ञ में लाएं पुण्य लाभ प्राप्त करें और अपने जीवन को सफल बनाएं, इसके साथ ही भूतभावन
भगवान शंकर की दिव्या झांकी भी निकल गई और शंकर भगवान की लीला का दर्शन करने कई हजारों की संख्या में भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी।