प्रियांशु कुमार के साथ परशुराम कुमार की रिपोर्ट समस्तीपुर बिहार
समस्तीपुर जिला के विभूतिपुर प्रखंड के अंतर्गत प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय, समस्तीपुर शाखा द्वारा सिंघिया घाट के दुर्गा स्थान में आयोजित सात दिवसीय राजयोग मेडिटेशन शिविर में शिविरार्थियों को संबोधित करते हुए सोनिका बहन ने शिव और शंकर के बीच महान अंतर को स्पष्ट करते हुए कहा कि शिव निराकार परमात्मा हैं और शंकर आकारी देवता हैं। शिव रचयिता हैं और शंकर रचना हैं। शिवलिंग में तीन लकीरों के बीच दिखाई गई बिंदी परमात्मा शिव के ज्योति स्वरूप का यादगार है। इसलिए हम इसे सदैव शिवलिंग कहते हैं, शंकरलिंग नहीं। जितने भी शिव के मंदिर हैं, द्वादश ज्योतिर्लिंग हैं उन्हें शिवालय कहा जाता है, शंकरालय नहीं। शंकर का निर्वस्त्र तपस्वी स्वरूप देह के भान को भूला देने का प्रतीक है। शिव परमधाम निवासी हैं और शंकर सूक्ष्म वतन वासी हैं। शिव का अर्थ है कल्याणकारी और शंकर का अर्थ है विनाशकारी।
परमात्मा शिव के इस धरा पर अवतरण के यादगार के रूप में शिवरात्रि का महान त्योहार मनाया जाता है। हम इसे शंकर रात्रि कभी नहीं कहते। परमपिता परमात्मा शिव ब्रह्मा द्वारा नई सतयुगी दुनिया की स्थापना, शंकर द्वारा पुरानी कलियुगी भ्रष्टाचारी दुनिया का विनाश और विष्णु द्वारा नई सतयुगी दुनिया की पालना करवाते हैं इसलिए उन्हें त्रिमूर्ति शिव भी कहते हैं। अभी परमात्मा का दिव्य कर्तव्य चल रहा है, जिसमें हम परमात्मा की संतान उनके सहभागी बनकर जन्म-जन्म के लिए उनके द्वारा दिया जा रहा वर्सा अधिकार के रूप में प्राप्त कर सकते हैं।
सात दिवसीय राजयोग शिविर दोपहर एक से दो एवं दो से साढ़े तीन बजे तक जारी रहेगा।