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समस्तीपुर में स्कूल खोलने के लिए ग्रामीणों ने जाम किया रोसड़ा-कुशेश्वरस्थान पथ, प्रशांत किशोर -बिहार के गांव-देहात और प्रखंडों में ऐसे स्कूल थे जहां से पढ़ कर लोग ऊंचाइयों पर गए

प्रियांशु कुमार समस्तीपुर बिहार

समस्तीपुर: बिहार के समस्तीपुर जिले के सिंघिया प्रखंड के पीपड़ा गांव में मंगलवार को स्कूल खोलने की मांग को लेकर स्थानीय लोगों ने रोसड़ा-कुशेश्वरस्थान मार्ग जाम कर दिया। स्थानीय लोगों ने कहा कि गांव के लिए आवंटित विद्यालय का भवन गांव में ही बने ताकि इस गांव के बच्चे घर के करीब पढ़ाई कर सकेंगे। इसके लिए कई बार शिक्षा विभाग के अधिकारी को जानकारी दी गई लेकिन इस और किसी ने ध्यान नहीं दिया। जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने पदयात्रा के क्रम में शिक्षा व्यवस्था के मुद्दे पर कहा कि बिहार में हम 40 हजार करोड़ रुपए हर साल शिक्षा पर खर्च कर रहे हैं। इससे 40 बच्चे भी अच्छे से पढ़कर नहीं निकल पा रहे हैं। बिहार के गांव-देहात, प्रखंड में ऐसे स्कूल थे जहां से लोग पढ़कर बाहर निकलते थे और बहुत ऊंचाइयों पर गए। इसी बिहार में नेतरहाट, लंगट सिंह कॉलेज, पटना साइंस कॉलेज, पटना कॉलेज के साथ ऐसे दस से भी अधिक इंस्टीट्यूशन थे। इनसे बढ़कर हर प्रखंड में एक से दो ऐसे विद्यालय ऐसे थे जहां से पढ़कर लोग अपना जीवन बना पाते थे। मैंने जो आपको बताया कि समतामूलक शिक्षा नीति बनाने के चक्कर में आपने हर जगह विद्यालय खोल दिए। उसकी गुणवत्ता पर, उसकी सविधाओं पर, वहां मिलने वाली शिक्षा पर आपने ध्यान नहीं दिया। अगर, इसको सुधारना है, तो हम लोगों को हर गांव में विद्यालय बनाने की बजाय बच्चों को विद्यालय तक पहुंचाने की व्यवस्था करनी पड़ेगी। जन सुराज की जो परिकल्पना है, जो हमने अध्ययन किया है और इसके बाद हम लोगों ने जो परिकल्पना की है इसका एक तिहाई बजट यानी 15 हजार करोड़ रुपए बिहार के हर प्रखंड में नेतरहाट के स्तर की नई शिक्षा व्यवस्था बनाने के लिए किया जाए तो बेहतर होगा। हर साल हर प्रखंड में एक-एक विद्यालय बनाएंगे, तो हर साल पांच अच्छे विद्यालय बना दिए जाएंगे और बस से या गाड़ी की सुविधा दे दी जाए तो बच्चे भी पहुंचेगे। ऐसा कर नई शिक्षा व्यवस्था को बना पाएंगे।

शिक्षा व स्वास्थ्य के क्षेत्र में हर प्रखंड में कम से कम 3 से 5 विश्वस्तरीय संस्थान बनाएं: प्रशांत किशोर

प्रशांत किशोर ने आगे कहा कि अभी सरकार का जो प्रयास है कि अधिकारी सभी शिक्षकों को स्कूल में बैठा रहे हैं। अगर, शिक्षक स्कूल में बैठ भी जाए, तो उसे पढ़ाने के लिए आप कैसे मजबूर करेंगे। गांव में शिक्षक के रहने की व्यवस्था ही नहीं है, उसके खुद के बच्चे के बीमार पड़ने पर इलाज की व्यवस्था ही नहीं है, तो भला वो वहां रहेगा कैसे? शिक्षा व स्वास्थ्य दोनों ही क्षेत्रों में बेहतर यही होगा कि आप दो ही स्कूल या अस्पताल खोलें, लेकिन उसे अच्छे से चलाएं। शिक्षा व स्वास्थ्य के क्षेत्र में हर प्रखंड में कम से कम 3 से 5 विश्वस्तरीय संस्थान बनाएं। बजाय इसके कि आपने 25, 30, 40 व्यवस्था बनाई हुई है, जहां पर आप केवल खिचड़ी बांट रहे हैं और चोरी करा रहे हैं। ये पैसा हम खर्च कर रहे हैं, ऐसा नहीं है कि बिहार सरकार ये पैसा खर्च नहीं कर रही है। बिहार में शिक्षा का बजट 40 हजार करोड़ रुपए का है और आप स्कूलों की दशा देख लीजिए कि क्या हो रहा है।

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