प्रियांशु कुमार समस्तीपुर बिहार
पन्ना ,पवई:-शासकीय माध्यमिक शाला नारायणपुरा में रानी लक्ष्मी बाई जी की जयंती के अवसर पर पौधारोपण करते हुए शिक्षक सतानंद पाठक ने उनके जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि
हमारे देश के स्वतंत्रता संग्राम में रानी लक्ष्मीबाई जी का नाम अमर है और अमर ही रहेगा, उनकी देशभक्ति और पराक्रम आज भी हमारे लिए प्रेरणा का स्त्रोत हैं । ‘झाँसी की रानी’ के नाम से विख्यात रानी लक्ष्मीबाई जी को देशवासी कभी भी भुला नहीं सकते ।
भारतीय वसुंधरा को गौरवान्वित करने वाली झांसी की रानी वीरांगना लक्ष्मीबाई जी वास्तविक अर्थ में आदर्श वीरांगना थीं। सच्चा वीर कभी आपत्तियों से नहीं घबराता है। प्रलोभन उसे कर्तव्य पालन से विमुख नहीं कर सकते। उसका लक्ष्य उदार और उच्च होता है। उसका चरित्र अनुकरणीय होता है। अपने पवित्र उद्देश्य की प्राप्ति के लिए वह सदैव आत्मविश्वासी, कर्तव्य परायण, स्वाभिमानी और धर्मनिष्ठ होता है। ऐसी ही थीं हमारी वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई।
रानी माँ लक्ष्मीबाई जी का जन्म 19 नवम्बर 1835 में हुआ था। झाँसी राज्य की रानी लक्ष्मीबाई जी 1857 के प्रथम भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम की वीरांगना थीं। उन्होंने मात्र 23 वर्ष की आयु में अंग्रेज़ साम्राज्य की सेना से संग्राम किया और रणक्षेत्र में वीरगति प्राप्त की किन्तु जीते जी अंग्रेजों को अपनी झाँसी पर क़बजा नहीं करने दिया।
देश की प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की वीरांगना रानी माँ लक्ष्मी बाई जी की जयंती के उपलक्ष में समस्त देश वासियों की तरफ़ से शत् शत् नमन
देश की आजादी के लिए रानी माँ लक्ष्मीबाई जी का बलिदान भारतीय इतिहास में सदैव अमर रहेगा