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बिहारसमस्तीपुर

शिक्षक सतानंद पाठक ने छात्र-छात्राओं को हाकी के जादूगर ध्यानचंद के जीवन के बारे मे बताया

*राष्ट्रीय खेल दिवस पर सभी को बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएं!*

प्रियांशु कुमार समस्तीपुर बिहार

पन्ना पवई राष्ट्रीय खेल दिवस के अवसर पर शिक्षक सतानंद पाठक ने छात्र-छात्राओं को हाकी के जादूगर ध्यानचंद के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि
भारत में हर साल खेल को बढ़ावा देने के लिए 29 अगस्त को राष्ट्रीय खेल दिवस के तौर पर मनाया जाता है। हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले मेजर ध्यानचंद का इस दिन जन्म हुआ था और उनकी याद में खेल दिवस को मनाया जाता है। ध्यानचंद ने ओलंपिक खेलों में भारत का झंड़ा लहराया था और तीन बार हॉकी में देश को इन खेलों में गोल्ड मेडल जिताया था। स्पोर्ट्स डे के मौके पर देश के राष्ट्रपति द्रोणाचार्य, मेजर ध्यानचंद और अर्जुन अवॉर्ड देकर खिलाड़ियों को सम्मानित करते हैं। राष्ट्रपति भवन में सभी खिलाड़ी और कोचों को पुरस्कार से नवाजा जाता है।
ध्यानचंद की अगुवाई में भारतीय टीम हॉकी के खेल में हमेशा टॉप पर रही। ध्यानचंद का कद हॉकी में उतना ही बड़ा माना जाता है जितना क्रिकेट में सर डॉन ब्रैडमैन और फुटबॉल में पेले का है। ध्यानचंद ने लगातार तीन ओलंपिक में भारत को गोल्ड मेडल दिलाकर देश का मन बढ़ाया था। ये ओलंपिक साल 1928 में एम्सटर्डम , 1932 में लॉस एंजिल्स और 1936 में बर्लिन में खेले गए थे। मेजर ध्यानचंद को साल 1965 में हॉकी को अपना पूरा जीवन समर्पित करने के लिए पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। भारत के इस महान खिलाड़ी के बारे में कहा जाता था कि वह जब हॉकी स्टिक लेकर मैदान पर उतरते थे तो गेंद उनकी स्टिक में ऐसी चिपकी रहती थी, जैसे मानो किसी ने उस पर चुंबक लगा रखी हो। ऐसा ही संदेह होने पर एकबार उनकी स्टिक को तोड़कर जांच भी की गई थी।

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