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बिहारसमस्तीपुर

सीआरपीएफ महिला जवान पति के लंबी आयु के लिए कर रही मधुश्रावणी पूजा

*14 दिनों तक नमक का सेवन नहीं कर गौरी शंकर की पूजा कर सहेलियों के साथ करती है फुल लोढ़ी!*

प्रियांशु कुमार समस्तीपुर बिहार

समस्तीपुर जिला के अंतर्गत रोसरा प्रखंड मैं सावन माह के पंचमी तिथि से शुरुआत होने वाले मिथिलांचल का मुख्य पर्व मधुश्रावणी पुजा को लेकर दिल्ली में सीआरपीएफ पद पर तैनात एक महिला जवान अपने पति की लंबी आयु के लिए 14 दिनों तक नमक का सेबन नही कर मधुश्रावणी ब्रत कर रही है, शिवाजीनगर प्रखंड के बलहा गांव की श्यामसुंदर चौधरी की पुत्री सीआरपीएफ महिला जवान सीमा कुमारी शादी के पहले साल के सावन महीने पर लंबी छुट्टी लेकर अपने मायके में पूरी निष्ठा के साथ दुल्हन की तरह सज धज कर मधुश्रावणी पर्व में भाग ले रही है और पर्व के दौरान भगवान गौरी शंकर की पूजा कर नाग नागिन की कथा सुनती है, सीआरपीएफ महिला जवान सीमा कुमारी अपनी सहेलियों के साथ झुंड बनाकर मैथिली लोकगीत गाते हुए घर के आस-पास सहित गांव में भ्रमण कर रंग-बिरंगे फूल पतो को इकट्ठा कर फुल लोढ़ी में भाग लेकर पूजा में रोज बासी फूलों एवं पतियों से मिट्टी एवं गोबर से बने नाग-नागिन की पूजा कर बुजुर्ग महिला के द्वारा कहे गए कहानियां व कथाएं रोज सुनती हैं, फुल लोढ़ी कर रहे सीआरपीएफ महिला जवान सीमा कुमारी ने बताया कि मिथिलांचल में नवविवाहिता महिलाओ के लिए यह पूजा खास है सीआरपीएफ में दिल्ली में पोस्टिंग है मधुश्रावणी पुजा को ले खास छुट्टी लेकर अपने मायके बलहा गांव आयी है, 14 दिनों तक चलने वाला मधुश्रावणी पूजा में भाग लेकर काफी खुशी महसूस कर रही है, महिला जवान ने बताया कि सहेलियों के साथ फुल लोढ़ी कर पूरे परिवार के साथ रहकर पति की लंबी आयु के लिए पूजा कर रही हैं, और 14 दिन बाद टेमी दाग के बाद पूजा समाप्ति पर पुनः छुट्टी पूरा होने पर दिल्ली में अपने ड्यूटी पर तैनात हो जाएंगी। इधर फुल लोढ़ी के दौरान सहेली सोनी चमचम मौसम जुगनू चंदा देवी ने बताया कि मधुश्रावणी पूजा के दौरान माता पार्वती व भगवान शंकर की पूजा अर्चना की जाती है, इस पूजा में पत्नी अपने पति के लंबी आयु के लिए ससुराल से आए हुए अनाज से तैयार किए गए भोजन को ग्रहण कर दिन में व्रत कर पुजा बाद भोजन करती है, महिलाओं ने बताया कि इस पूजा में व्रती अगर पति के साथ कथा सुनती है तो इसे और अच्छा माना जाता है कथा सुनते वक्त एक ही साड़ी हर दिन पहनती है, और पूजा के दौरान नाग नागिन ,बिषहारा, पर एक दिन पूर्व तोरे गए बासी फूल पत्ते को चढ़ा कर लोकगीतों के बीच हल्दी से गौरी बनाने की परंपरा शुरू की जाती है, इस त्यौहार में प्राकृति की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका है, मिट्टी और हरियाली से जुड़ी इस पूजा के पीछे पति के लंबी आयु के लिए कामना की जाती है, मधुश्रावणी पूजा को लेकर महिलाओं के द्वारा गाए जा रहे मैथिली लोकगीत होने से पूरा गांव भक्तिमय बना हुआ है। वही मधुश्रावणी पूजा को लेकर आस पास के गांव में भी नव विवाहित महिलाओं के द्वारा भी पूजा अर्चना किया जा रहा है।

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