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समस्तीपुर अंचल कार्यालय पिछले 4 दिनों से है ताला बंद, अंचल कार्यालय दलालो के गिरफ्त में फसी

प्रियांशु कुमार समस्तीपुर बिहार

समस्तीपुर : जी अंचल के नाजिर का कार्यालय पिछले 4 दिनों से नहीं खुल रहे हैं। अंचल के किसी कर्मियों से पूछे जाने पर सही जानकारी उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। शनिवार को तो सोमवार को नजारत में ताला बंद रहा जिसके कारण कई लोगों को काफी कठिनाई का सामना करना पड़ा। आज बुधवार को 1:30 बजे तक अंचल में नाजिर के नहीं आने के कारण नजारत बंद रहा। दर्जनों किसान अपना एलपीसी लेने के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे थे। यह कोई समस्तीपुर अंचल की बात नहीं जिले के बीस अंचल की यही स्थिति है लगभग सभी जगहों पर दलाल के माध्यम से काम कराना काफी आसान होता है और सीधे जाने पर 22 दिन का बहाना बताए जाते हैं। बिहार के कोई ऐसा अंचल नहीं जहां इस प्रकार की गोरखधंधे नहीं होता है।

जिस जिस विभाग में भाजपा कोटा से मंत्री है वहां भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है। जी यह हम नहीं बोल रहे है आप खुद जा कर देखा सकते है यही हालात मिलाजुला कर विश्वविद्यालय स्तर पर भी है। विश्वविद्यालय स्तर पर भ्रष्टाचार इतना चरम सीमा पर है कि कोई भी शोधकर्ता को समय सीमा के अंदर पीएचडी करना असंभव है क्योंकि पीएचडी डिपार्टमेंट में पदस्थापित कर्मचारी और अधिकारी छात्रों को अवैध राशि के लिए दवाब बनाते है और विवश होकर बहुत लोगों को शोध काम से वंचित होना पड़ता है। अगर नाजायज रु 40,000 से ₹100000 तक दे दिया जाता है तो तमाम नियम कानून ताक पर रख दिए जाते हैं जानकारी के मुताबिक छात्रों का कहना है कि पीएचडी डिपार्टमेंट में कोई भी आवेदन का प्राप्ति रसीद नहीं दिया जाता है और ना ही कोई चिट्ठी पत्री जिसके कारण छात्रों को काफी कठिनाई का सामना करना पड़ता है जानकार सूत्र बताते हैं कि जब से उत्तर प्रदेश के राज्यपाल बिहार के की कमान संभाले है भ्रष्टाचार चरम सीमा पर हैं क्योंकि एक करोड़ से दो करोड़ के बीच कुलपति और रजिस्टर की कुर्सियां बेचे जाते हैं। अफसोस की बात यह है कि एनडीए सरकार में शुरुआत से ही शिक्षा विभाग जदयू के खाते में रहा है परंतु विश्वविद्यालय राज्यपाल सह. कुलाधिपति भाजपा कोटे के होते हैं जिसके कारण शिक्षा विभाग को बर्बाद करने में कोई कसर नहीं छोड़ते. लंबी लंबी भाषण बड़े-बड़े विज्ञापन भ्रष्टाचार मुक्त किए जाने की बात किए जाते हैं लेकिन जितना बड़ा विज्ञापन उतना ही बड़ा भ्रष्टाचार देखने को मिल रहा है। जानकारी के मुताबिक पीएचडी डिपार्टमेंट जब से सत्येंद्र कुमार को प्रधान सहायक की कुर्सी मिली है सत्तारूढ़ के पूर्व विधान पार्षद के पैरवी से उसके बाद से विभाग में भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है चाहे कुलपति का आदेश हो या कुलसचिव का बिना पैसा का कोई काम नहीं इस बात को लेकर पीएचडी कर रहे शोधकर्ता अरुणा कुमारी ने राज सरकार से लेकर राज्यपाल तक लिखित शिकायत भ्रष्टाचार यौन शोषण आर्थिक और मानसिक बलात्कार किए जाने से संबंधित कई गंभीर आरोप लगाए। जिसकी जांच राज्यपाल कार्यालय से की जा रही है।

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