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सुशासन बाबू के राज में सुपौल सदर अस्पताल में स्वास्थ्य विभाग की खुलती पोल

रिपोर्ट:-बलराम कुमार सुपौल बिहार

मामला सुपौल जिला के त्रिवेणीगंज अनुमण्डलोय मुख्यालय अन्तर्गत त्रिवेणीगंज आदर्श थाना में पदस्थापित-SI,सुदेश्वर प्रसाद गुप्ता, का ट्यूटी कार्यकाल में दुर्घटना होने पर इलाज के दौरान सुपौल जिला सदर अस्पताल के लापरवाही की है। एम्बुलेंस समय से नहीं मिलने पर पुलिस एसोसिएशन हुए नाराज। प्राइवेट एम्बुलेंस से मिली मदद।
त्रिवेणीगंज आदर्श थाना में पदस्थापित SI, सुदेश्वर प्रसाद गुप्ता सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो गया।
जिसे इलाज के लिए सुपौल सदर अस्पताल लाया गया।
जहां से उन्हें बेहतर इलाज के लिए बाहर रेफर कर दिया गया।
बताया जा रहा है कि सदर अस्पताल में समुचित उपचार नहीं होने के बाद तत्काल उसे निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया।
जहां प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें रेफर कर दिया।
लेकिन प्राइवेट क्लिनिक में सरकारी एम्बुलेंस नहीं मुहैया कराई गई। जिसके बाद विभागीय स्तर पर सरकारी एम्बुलेंस की व्यवस्था करने की पहल भी की गई।
लेकिन दो घण्टे बीत जाने के बाद भी एम्बुलेंस नहीं मिल सका।
हालांकि उसके बाद फिर सदर अस्पताल आने के बाद उन्हें सरकारी एम्बुलेंस से डीएमसीएच भेजा गया। इस बात को लेकर पुलिस एसोसिएशन काफी नाराज थे। एसोसिएसन के अध्यक्ष ने बताया कि एम्बुलेंस उपलब्ध करने की विभागीय प्रक्रिया के कारण काफी बिलंब हुई है।
जिसके चलते तकरीबन दो घण्टे बाद घायल SI, को डीएमसीएच भेजा गया।
जबकि घायल की हालत अत्यंत ही नाजुक थी।
इसके बाबजूद एम्बुलेंस के पेंच के चलते घण्टो इंतजार करना पड़ा।
जो बड़ी दुःखद बात है।
उन्होंने ये भी बताया की प्राइवेट एम्बुलेंस नही रहती तो मरीज की हालत बिगड़ सकती थी।
कुछ भी हो सकता था।
दरअसल त्रिवेणीगंज में पदस्थापित
SI,सुदेश्वर प्रसाद गुप्ता,एक केस रिव्यू के सिलसिले में वे बाइक से सहरसा रेलवे स्टेशन जा रहे थे।
वहां से रेलगाड़ी पकड़ कर पटना जाना था।
लेकिन रास्ते मे त्रिवेणीगंज थाना क्षेत्र के श्याम नगर के पास बाइक से वो दुर्घटनाग्रस्त हो गए।
इस दुर्घटना में उनका एक पैर गंभीर रूप से टूट गया।
फिलहाल उनकी हालत अभी स्थिर है।
और उन्हें बाहर रेफर कर दिया गया है।
एक तरफ सरकार स्वास्थ्य विभाग में करोड़ों अरबों रुपए खर्च करती है।
वहीं दूसरी तरफ स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के कारण मरीजों की सही तरीके से इलाज़ नहीं हो पाता है।
जनता के चुकाए टैक्स की रुपए से पदाधिकारियों को सैलरी मिलती है लेकिन पदाधिकारी इतनी लापरवाह है की जनता को समझ हीं नहीं पाती है।
क्योंकि सरकारी अस्पताल में गरीब तपके के जनता इलाज करवाने जाते हैं।
इतने पढ़ लिखकर डॉक्टर बनते तो हैं लेकिन जनता का इलाज हीं नहीं होता है।
अगर सही तरीके से सरकारी अस्पताल में जनता का इलाज किया जाता तो आज गरीब तपके की जनता प्राइवेट क्लिनिक में जा कर नहीं लुटाता।
सोचने वाली बात है की जिला सदर अस्पताल में सरकारी रक्षक का इलाज सही तरीके से नहीं हो पाता है तो फिर आम जनता के साथ कैसा इलाज होता होगा।
इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है।
अब देखना लाजमी होगा की सुशासन बाबू के राज में स्वास्थ्य विभाग का किस तरह पोल खुलता नजर आ रहा है।
स्वास्थ्य विभाग का सारे दावे किस तरह से फेल होता नजर आ रहा है।

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