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रोहतास में अमरता का वरदान लेकर चौथे साल भी टिके है सरकार के दुलरुआ बिक्रमगंज के ‘प्रिंस’*

बिक्रमगंज SDPO की बर्खास्तगी की मांग कर रही है भीम आर्मी ,जाप एंव अन्य पार्टियां*

दिनारा थाना कांड संख्या -144/21 मर्डर केस एंव भानस थाना कांड संख्या-131/21 एक्सीडेंट में मौत के बाद दोनों अनुसूचित जाति के पीड़ित परिवार के ऊपर ही फर्जी मुकदमा संबंधित बिक्रमगंज SDPO एंव थाना के मेल से हुआ*

रोहतास के बिक्रमगंज में सरकार का एक दुलरुवा अफसर चौथे साल भी ऐसे जड़ जमा कर बैठा है, मानो सरकार का ‘राजकुमार’ हो। दो सालों में कितने डीएम-एसपी बदल गए। कितने एएसपी-डीएसपी बदल गए। कितने डीएम-एसपी- डीआईजी कहां से कहां चले गए। लेकिन यह दुलरुआ अफसर जस के तस में है। साहब का जबसे प्रमोशन हुआ है। साहब ने अपनी जातीय गणित फिटकर ऐसा गोटी सेट किया कि बिक्रमगंज में फिट बैठ गए। अपने बड़े अधिकारियों के नजर में किरकिरी बनने के बावजूद भी सरकार के कुछ मंत्रियों और अपनी जाति के नेताओं में गहरी पैठ के कारण कोई इनका बाल भी बांका नहीं कर सकता। अप्रैल 2018 में जब बिक्रमगंज में इनकी पोस्टिंग हुई। उस समय से महाशय डटे हुए हैं। इस बीच लोकसभा का चुनाव गुजर गया। विधानसभा के चुनाव में भी उनकी सरकार ने कंटिन्यू किया। जिसका साहब को फायदा पहुंचा। जब-जब जून का महीना आता है, ट्रांसफर पोस्टिंग की बात होती है। साहब मोटा बैग लेकर अपनी जाति के मठाधीश मंत्रियों, विधायक के पास पहुंच जाते हैं। किसकी मजाल जो साहब को छू सकें। विधायक बदल गए, सांसद बदल गए, डीएम बदल गए, एसपी बदल गए, डीआईजी बदल गए। लेकिन बिक्रमगंज के ‘प्रिंस’ का कुछ नहीं बदला। बिक्रमगंज में पोस्टिंग से पहले साहब जिला मुख्यालय में महत्वपूर्ण पद पर थे। उस दौरान उनके कारनामे ऐसे प्रचलित हुए की तत्कालिक कप्तान को एक्शन लेना पड़ा था। आज भी साहब जब रात में ‘दीवान-पलंग’ पर करवट देते हैं तो सासाराम मुख्यालय में पोस्टिंग के दौरान की कड़वाहट मरोड़ देती है। आज जब बालू के खेल में औरंगाबाद, रोहतास, भोजपुर, पटना, छपरा आदि कई जिले के बड़े-बड़े दिग्गज अधिकारियों पर गाज गिरी। ऐसे में भी साहब बाल बाल बच गए। क्या मजाल की कोई उन पर हाथ डाले। आखिर सरकार के महाराज के राजकुमार जो है ठहरे। जिस प्रकार कहानी के त्रेता में श्रीराम ने लंका के विभीषण को अमरता का वरदान दिया था। ठीक उसी तरह इस सरकार के राम ने भी बिक्रमगंज के राजकुमार को अमरता का वरदान दे दिया है। वैसे तो धर्म शास्त्रों में हनुमान, वेदव्यास, अश्वत्थामा राजा बलि सहित सात लोगों को अमरता का वरदान है। लेकिन ये आठवें महापुरुष को सरकार ने अमरता का वरदान दिया है। बालू के खेल में बड़े बड़ों की छुट्टी हो गई, लेकिन सरकार ने दुलरवा ‘प्रिंस’ अपने सरकारी क्वार्टर में आराम से बागवानी करते नजर आते हैं। साहब की निश्चितता यह दर्शाती है के ऊपर तक उमती सेटिंग मजबूत है। यह कहे कि ‘प्रिंस’ के बालू ने बिसो अंगुली ही नहीं पूरी धड़ घुसे रहने के बावजूद महाराजा ने अपने राजकुमार पर कार्रवाई नहीं की। क्या बालू के काली कोठरी से सरकार (महाराज) के दुलरवा ‘राजकुमार’ बेदाग निकल गए।

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