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डायरिया के लक्षणों को नहीं करें अनदेखी, डायरिया प्रबंधन है जरूरी

निर्जलीकरण(डिहाइड्रेशन) की स्थिति होती है शिशु के लिए नुकसानदायक के

सासाराम। बारिश का मौसम और जाने अनजाने दूषित जल के सेवन से इस मौसम में डायरिया से पीड़ित मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। डायरिया के कारण बच्चों और वयस्कों में अत्यधिक निर्जलीकरण (डिहाइड्रेशन) होने से समस्याएं बढ़ जाती एवं कुशल प्रबंधन के अभाव में यह जानलेवा भी हो सकता है। इसके लिए डायरिया के लक्षणों के प्रति सतर्कता एवं सही समय पर उचित प्रबंधन कर डायरिया जैसे गंभीर रोग से आसानी से बचा जा सकता है। डायरिया के लक्षण दिखते ही मरीज तथा उसके घरवालों को सजग हो जाना चाहिए। प्राथमिक उपचार के रूप में ओ.आर.एस. का घोल दिया जा सकता है जिससे निर्जलीकरण की स्थिति से बचा जा सके। अगर मरीज को इससे राहत न मिले तो बिना विलम्ब किये तुरंत मरीज को चिकित्सक के पास ले जाना चाहिए ताकि शीघ्र इलाज की समुचित व्यवस्था हो सके।

ज्यादा घरेलू उपचार से बचें

सिविल सर्जन डॉ. सुधीर कुमार ने बताया डायरिया के लक्षण यदि ओ.आर.एस. के सेवन के बाद भी रहे तो अविलम्ब मरीज को डॉक्टर के पास ले जाएँ तथा उचित उपचार कराएँ। उन्होंने बताया नीम हकीम द्वारा बताये गए उपायों से बचना चाहिए तथा चिकित्सीय सलाह लेनी चाहिए। इसमें विलम्ब जानलेवा साबित हो सकता है और जिले में डायरिया से होने वाली मृत्यु का प्रमुख कारण उपचार में की गयी देरी होती है।

क्या है डायरिया

डायरिया मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं। पहला एक्यूट वाटरी डायरिया जिसमें दस्त काफ़ी पतला होता है एवं यह कुछ घंटों या कुछ दिनों तक ही होता है। इससे निर्जलीकर (डिहाइड्रेशन) एवं अचानक वजन में गिरावट होने का ख़तरा बढ़ जाता है।दूसरा एक्यूट ब्लडी डायरिया जिसे शूल के नाम से भी जाना जाता है। इससे आंत में संक्रमण एवं कुपोषण का खतरा बढ़ जाता है। तीसरा परसिस्टेंट डायरिया जो 14 दिन या इससे अधिक समय तक रहता है। इसके कारण बच्चों में कुपोषण एवं गैर-आंत के संक्रमण फ़ैलने की संभावना बढ़ जाती है। चौथा अति कुपोषित बच्चों में होने वाला डायरिया होता है जो गंभीर डायरिया की श्रेणी में आता है। इससे व्यवस्थित संक्रमण, निर्जलीकरण, ह्रदय संबंधित समस्या, विटामिन एवं जरूरी खनिज लवण की कमी हो जाती है।

इन लक्षणों का रखें ध्यान

डायरिया के शुरुआती लक्षणों का ध्यान रख आसानी से पहचान की जा सकती हैं.

•लगातार पतले दस्त का होना
• बार-बार दस्त के साथ उल्टी का होना
• प्यास का बढ़ जाना
• भूख का कम जाना या खाना नहीं खाना
• दस्त के साथ हल्के बुखार का आना
• दस्त में खून आना जैसे लक्षणों के आधार पर डायरिया की पहचान आसानी से की जा सकती है.

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