यदि कार्यकाल बढ़ाने का नहीं था नियम तो सरकार को ला सकती थी अध्यादेश
दावथ (रोहतास )
भाकपा-माले ने पंचायतों को भंग किए जाने के सरकार के निर्णय के विरोध मे प्रतिवाद मार्च निकाली।माले नेताओं ने कहा कि बिहार की जनता की मांग को सरकार ने अनसुना किया है , नीतीश कुमार केंद्र सरकार की तरह तानाशाही चला रहे हैं। जनप्रतिनिधियों की भूमिका को कम करना इस भयावह दौर में आत्मघाती साबित होगा।
कोविड के प्रति जागरूरकता अभियान मे पंचायत प्रतिनिधियों के अनुभव का बेहतर इस्तेमाल हो सकता था। लेकिन सरकार ने इसपर तनिक भी ध्यान नहीं दिया।यदि पंचायतों के कार्यकाल बढ़ाने का कोई नियम नहीं था, तो क्या सरकार अध्यादेश नहीं ला सकती थी। दरअसल, सरकार की मंशा ही कुछ और है.इस अलोकतांत्रिक निर्णय के खिलाफ भाकपा माले ने राज्यव्यापी विरोध मार्च निकला . इसी क्रम मे प्रखंड माले कार्यकर्ताओं ने कोविड प्रोटोकाल के तहत प्रदर्शन किया।प्रतिवाद मे अरबिंद कुमार,भरत पासवान,सुदामा राम,विजय कुमार,संजय कुमार,चंद्रशेखर राम,जितेंद्र राम,सुनिल कुमार,जय प्रकाश राम,टेंगर राम,कौशल किशोर आदि शामिल थे।