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बिहाररोहताससासाराम

जिले में है पर्यटन स्थलों के की भरमार, विकास की दरकार

सासाराम संवाददाता अभिषेक सिंह

रोहतास जिले में फैले अनगिनत पर्यटन स्थल रूपी गंगा को आज भी किसी भगीरथ का इंतजार है। पर्यटन स्थलों का विकास कर देश के कई अति पिछड़े इलाके आज समृद्धि की दास्तान लिख रहे हैं, लेकिन यहां विभागीय उपेक्षा व उदासीनता से कई महत्वपूर्ण धरोहरों के वजूद पर ही संकट आ खड़ा हुआ है।

2015 में सीएम नीतीश कुमार की रोहतास गढ़ किला पर रोपवे निर्माण की घोषणा से विश्व पर्यटन के मानचित्र में जिले को स्थान मिलने की उम्मीद जगी है, लेकिन कभी रोपवे के स्थल चयन तो कभी उसके नक्शे को ले वन विभाग के साथ लगभग दो वर्ष तक पेंच फंसा रहा। जिससे यह योजना अभी तक मूर्त रूप नहीं ले सकी है। हालांकि जन प्रतिनिधियों के पड़ रहे दबाव के बाद अब उसके निर्माण की प्रक्रिया एकबार फिर शुरू हो गई है। जिले के पर्यटन स्थलों का जायजा लें तो यह क्षेत्र इस मायने में समृद्धशाली है। यहां फैले अनेकों शैलचित्र, शिलालेख, किला, रौजा, मंदिर, मकबरा, जलप्रपात, वन्य अभ्यारण्य सहित अन्य प्राकृतिक स्थलों व ऐतिहासिक धरोहरों की भरमार है। उन्हें सहेज व संरक्षित कर इस पिछड़े क्षेत्र का कायाकल्प किया जा सकता है। सुविधाओं के अभाव के बावजूद कैमूर पहाड़ी पर गर्व से सीना ताने खड़ा रोहतास गढ़ का किला आज भी पर्यटकों को सहज ही आकर्षित करता है। इसकी शान में मध्यकालीन इतिहासकार फरिश्ता ने तारीखे फरिश्ता में लिखा है कि मैंने अपने जीवन में कभी इतना बड़ा, सुंदर व समृद्ध किला नहीं देखा है। जिला मुख्यालय स्थित शेरशाह का मकबरा, हसनशाह सूर का मकबरा, सलीम शाह का मकबरा, चेनारी के पास भूमिगत शेरगढ़ किला, ताराचंडी मंदिर, यक्षिणी भवानी, देव मार्कंडेय मंदिर, इंद्रपुरी डैम, दुर्गावती जलाशय आदि मुख्य पर्यटन स्थल हैं। जिन्हें विकसित करने व पर्यटक सुविधाओं का इंतजार है। शैलाश्रय व शैलचित्रों से पटा है पहाड़ी क्षेत्र :

जिले के पहाड़ी क्षेत्र सासाराम, नौहट्टा, रोहतास व चेनारी प्रखंड की गुफाओं में मध्य पाषाणकालीन शैलचित्र भरे पड़े हैं। वहीं बांदू, उल्ली, लौंड़ी, फुलवरिया, चंदन शहीद पहाड़ी स्थित अशोक शिलालेख आदि पूर्व मध्यकालीन शिलालेख स्थलों का विकास कर क्षेत्र में रोजगार के नए अवसर प्रदान किए जा सकते हैं। प्राकृतिक पर्यटन स्थलों के मामले में भी जिला समृद्ध है। महादेव खोह, तुतला भवानी, मांझर कुंड, धुआं कुंड आदि झरनों को पर्यटन सुविधाओं से जोड़ा जाय तो यहां सहज रूप से सैलानी सालों भर आकर्षित हो सकते हैं। कहते हैं शोध अन्वेषक
काशी प्रसाद जायसवाल शोध संस्थान पटना से जुड़े जिले के शोध अन्वेषक डा. श्याम सुंदर तिवारी कहते हैं कि यहां अति प्राचीन ऐतिहसिक महत्व के पर्यटन स्थल विद्यमान हैं। जिले के पर्यटन स्थलों को तत्काल संरक्षित कर वहां सड़क, सुरक्षा, बिजली, पेयजल व पर्यटकों के लिए आवास सुविधा उपलब्ध कराए जाएं तो इस पिछड़े पहाड़ी क्षेत्र में विकास की गंगा बहाई जा सकती है

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