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जागरूकता की वजह से टीबी मरीजों का बदला नजरिया—– डॉ राकेश कुमार

संदीप भेलारी

ससमय इलाज से टीबी रोग को किया जा सकता है ठीक

सासाराम। टीबी (क्षयरोग) को लेकर लोगों में शुरू से ही भय की स्थिति बनी रहती थी है । इस रोग को लोग लाइलाज बीमारी समझ कर या लोक लज्जा के भय से अस्पताल तक नहीं पहुँच पाते थे। लेकिन अब धीरे धीरे इस रोग को लेकर लोगों का नजरिया बदलने लगा है जिसका मुख्य कारण स्वास्थ्य विभाग द्वारा समय समय पर चलाये जा रहा जागरूकता अभियान रहा है। लोग अब टीबी(क्षयरोग) रोग को लेकर जागरूक हो रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग के द्वारा बताए गए लक्षणों की जानकारी से लोग तुरंत ही डॉक्टरी परामर्श लेते हैं और समय रहते ही इसका इलाज शुरू कर दे रहे हैं।

टीबी लाइलाज बीमारी नहीं

टीबी विभाग के सीडीओ रोहतास डॉ राकेश कुमार ने बताया कि क्षय रोग(टीबी) को लेकर लोगों में धारणा धारण थी कि यह एक लाइईलाज बीमारी है जबकि ऐसा नहीं ही है। उन्होंने कहा कि ससमय इसका इलाज किया जाए तो आसानी से यह रोग ठीक हो सकता है। उन्होंने बताया कि जिले में कई ऐसे मरीज थे जो इसे लाइईलाज बीमारी समझ कर इसका इलाज नहीं ही करवा रहे हें थे परंतु विभाग द्वारा समय समय पर चलाए गए अभियान की वजह से ऐसे लोगों में जागरूकता आई और इनलोगों ने इलाज करवाया और आज वे लोग इस बीमारी से पूरी तरह से ठीक हो चुके हैं।

लक्ष्म दिखने पर कराएं जांच

डॉ राकेश कुमार ने कहा कि अगर किसी व्यक्ति में 15 दिन से अधिक खांसी की शिकायत हो, छाती में दर्द की शिकायत हो, खाँसी के साथ मुँह से खून आना, वजन में लगातार गिरावट आना जैसे लक्षण दिखाई दे तो बलगम की जांच जरूर करवाएं। इन्होंने बताया कि सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में इसकी का जांच और इलाज बिल्कुल मुफ्त में किया जाता है।

समय समय पर चलाया जाता है जागरूकता अभियान

डॉ राकेश कुमार ने बताया कि टीबी को लेकर जिले के सभी प्रखंडों में समय समय पर जागरूकता अभियान भी चलाया जाता है। इसके अलावा लोगों की निःशुल्क जांच शिविर लगा का लोगों की जांच की जाती है। उन्होंने बताया कि जनवरी महीने में एक महीना तक जिले में एक्टिव केस फाइंडिंग अभियान चलाया गया। जिसमें मे 27 से 31 जनवरी तक सघन एक्टिव फाइंडिंग केस अभियान चलाया गया।

स्लम व महादलित बस्तियों में होती है गहन जांच

डॉ राकेश कुमार ने बताया कि टीबी जागरूकता अभियान व जांच शिविर में स्लम व महादलित बस्ती में ज्यादा फोकस किया जा रहा है। साथ ही साथ ईंट भट्ठा व क्रसर उद्योग में लगे मजदूरों को को ज्यादा फोकस किया जा रहा है क्यों कि ऐसी से जगहों पर गंदगी ज्यादा रहती ता है तो ऐसे जगहों पर टीबी संक्रमित होने की संभावना ज्यादा रहती ता है। इस लिए ऐसे जगह में रहने वाले लोगों को ज्यादा से ज्यादा जागरूक किया जा रहा है

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