राजद के राज्य परिषद सदस्य शिशिर कुमार लालू ने
केंद्र की जेडीयू-बीजेपी एनडीए सरकार द्वारा संयुक्त सचिव व निदेशक के पद पर लैटरल एंट्री के द्वारा अपने चुनिंदा लोगों की भर्ती करना एक असंवैधानिक कदम एवं आरक्षण को समाप्त करने की साजिश बताया
एक ओर लाखों युवा UPSC परीक्षा पास करने के लिए सालों तक दिन रात मेहनत करते हैं तो दूसरी ओर ऐसे युवाओं की मेहनत और परीक्षा की कठिन प्रक्रिया को धता बताते हुए एन डी ए सरकार पिछले दरवाजे से अपने बच्चों एवं करीबी लोगों को प्राइवेट सेक्टर से सीधे सरकारी विभाग में सचिव एवं निदेशक के पद पर नियुक्त कर संविधान में दिये गए आरक्षण से बेरोजगार पिछड़ा, दलीत,अनुसूचित जाति,जनजाति के लोगों को नौकरी से बंचित करना चाहती है ।
अगर लैटरल एंट्री के द्वारा संयुक्त सचिव या निदेशक बनाए जाने वाले अभ्यर्थी सचमुच योग्य हैं तो UPSC की परीक्षा की कसौटी पर उन्हें परखने में क्या आपत्ति है।
सरकार ने अपनी प्रेस विज्ञप्ति में ऐसे अभ्यर्थियों को ‘योग्य, तत्पर और राष्ट्र निर्माण को इच्छुक नागरिक’ बताया है तो क्या ये अभ्यर्थी ‘राष्ट्र सेवा’ के लिए एक परीक्षा की तैयारी नहीं कर सकते।
क्या सामान्य प्रक्रिया से उत्तीर्ण होने वाले अभ्यर्थियों की तत्परता, योग्यता या राष्ट्र निर्माण करने की इच्छा या लोक सेवा आयोग की प्रक्रिया को लेकर सरकार को शंका है।सरकार के इस बयान से समाज में एक दुसरे के प्रति विद्वेश बढ़ेगी ।
अनुसूचित जाति, जनजाति व पिछड़े वर्गों के लोगों को व्यवस्था से शनै शनै बाहर करने और आरक्षण को घटाने का इसे केंद्र सरकार का घृणित प्रयास पर पुनर्विचार करना चाहिए ।यही बजह है की आज देश के किसान से बिना बातचीत के काले कृषि कानून अपने चेहते एवं पुंजीपति को लाभ पहुंचाने के लिए देश के अन्नदाता पर थोपा जा रहा है किसकी बजह से देश के किसान आज दो महीने से अधिक दिनों से धरना पर बैठे हैं ।आगे इन्होंने कहा की केन्द्र की सरकार क्षेत्र की तरह सरकारी विभागों में भी अपने कार्यकर्ताओं की भर्ती करने का मन बना लिया है ।इस कदम से देश के प्रतिष्ठित संस्था UPSC के अस्तित्व को ही खत्म करने की साजिश बताया ।
सरकार को इस पर पुनर्विचार करना चाहिए नही तो देश में एक दुसरा छात्र आंदोलन होने की आशंका है जिसके जिम्मेदार देश की भाजपा- जद (यु) की सरकार होगी ।