जिला स्वास्थ्य विभाग में लैब टेक्नीशियन धर्मेंद्र कुमार हुए थे संक्रमित
सासाराम /संदीप
सासाराम कोरोना संक्रमण ने लोगों के जीवन पर विभिन्न स्तरों से प्रभाव डाला है । परंतु इस कोरोना संक्रमण महामारी ने लोगों को विपरीत परिस्थितियों में भी काम करना सिखाया। इसके अलावा अपने कर्तव्य के प्रति ईमानदारी और निष्ठा की भावना को भी लोगों के अंदर जागृत किया। रोहतास जिला मुख्यालय सासाराम स्थित सदर अस्पताल में लैब टेक्नीशियन के पद पर कार्यरत धर्मेंद्र कुमार को भी संक्रमण काल के दौरान विपरीत परिस्थितियों में काम करने का अवसर प्रदान हुआ और उन्होंने अपने कार्यों को बखूबी अंजाम दिया। लोगों की कोरोना जांच करने के दौरान धर्मेंद्र कुमार को भी इस संक्रमण ने अपनी चपेट में ले लिया। बावजूद इसके धर्मेंद्र कुमार अपने कर्तव्य को पूरी निष्ठा और ईमानदारी के साथ अभी भी बखूबी अंजाम देते आ रहे हैं।
होम क्वॉरेंटाइन के बाद पुनः लौटे कार्य पर
धर्मेंद्र बताते हैं कि 12 जुलाई 2020 को कोरोना से संक्रमित होने की उन्हें जानकारी मिली। इस दौरान उनका ऑक्सीजन लेवल भी काफी डाउन रहा। इसको देखते हुए डॉक्टरों ने उन्हें अस्पताल में भर्ती किया। तकरीबन 4 दिनों के बाद उनके स्वास्थ्य में सुधार हुआ तब उन्होंने होम क्वॉरेंटाइन करके खुद को इस संक्रमण से मुक्त कराया । वह बताते हैं कि होम क्वॉरेंटाइन के दौरान स्वास्थ्य विभाग द्वारा जो भी दिशा निर्देश जारी किए गए थे उसको पूर्ण रूप से पालन किया। 14 दिनों
के होम क्वारंटाइन के बाद 10 अगस्त 2020 को पुनः अपने काम पर लौट आए
पत्नी का मिला पूर्ण सहयोग
संक्रमण काल में अमूमन ऐसा देखा गया कि किसी व्यक्ति को संक्रमित होने के बाद लोग संक्रमित मरीज से दूरी बनाने लगते हैं। परंतु लैब टेक्नीशियन धर्मेंद्र कुमार की पत्नी ने पति के संक्रमित होने के वावजूद धर्मेंद्र कुमार का भरपूर सहयोग दिया और उनकी देखभाल की । धर्मेंद्र कुमार ने बताया कि उनकी पत्नी एक एएनएम हैं है जिन्होंने जो अपने सरकारी कार्यों के साथ-साथ मुझे भी बेहतर तरीके से संभाला। हालांकि संक्रमण काल में उनकी पत्नी को छुट्टी नहीं मिल पाई परंतु पत्नी ने आम लोगों के साथ-साथ अपने पति और परिवार के प्रति अपने कर्तव्यों को बखूबी निभाया
बच्चों को रखा खुद से दूर
धर्मेंद्र कुमार बताते हैं कि जब अस्पताल से छुट्टी के बाद वे होम क्वॉरेंटाइन हुए तब उन्होंने अपने दो छोटे छोटे बच्चों को अपने से दूर रखा ताकि उनके बच्चे भी इस संक्रमण से प्रभावित ना हों हो। उन्होंने अपने दोनों बच्चों को अपने ससुराल यानी बच्चों के नानी गांव भेज दिया और खुद को एक कमरे में पूर्ण रूप से बंद कर लिया। इस तरह से धर्मेंद्र कुमार ने खुद के साथ-साथ अपने परिवार को भी संक्रमण से बचाया
आज भी कोरोना जांच में निभा रहे हैं अहम भूमिका
स्वास्थ्य विभाग में धर्मेंद्र कुमार पहले वैसे लैब टेक्नीशियन थे जिन्हें कोरोना संक्रमण हुआ। संक्रमण से ठीक होने के बाद धर्मेंद्र कुमार अपने काम पर लौटे और दोबारा लोगों की का कोरोना संक्रमण जांच में अहम योगदान निभाने लगे। आज धर्मेंद्र कुमार प्रतिदिन जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर अकोढ़ी गोला प्रखंड के विभिन्न गांव में कैंप लगाकर लोगों की का कोरोना जांच कर रहे हैं। साथ ही साथ लोगों को कोरोना संक्रमण से बचाव के तरीके भी बता रहे हैं