संवाददाता तिलौथू प्रीती कुमारी
एक बार फिर से भारत ही नहीं बल्कि पूरे दुनिया पर एक बार फिर से महामारी जैसे खतरनाक बीमारी का आगमन हुआ है। अंतरराष्ट्रीय महामारी कोरोना के कारण बिहार में लगभग मार्च से लेकर नवम्बर यानि पूरे नौ महीने तक मानो जैसे लोगों की ज़िन्दगी की सासों को कोरोना ने थाम लिया हो। इस वर्ष लगभग दो लाख पचास् हज़ार चार सौ व्यक्ति कोरोना सन्क्रमण के शिकार हुए हैं, और वहीं 1379 की मौत हुई। वर्ष की शुरुआत में ही राज्य में कोरोना से बचाव् को लेकर तैयारी शुरू कर दी गई थी। कोरोना संक्रमण के वेश को देखते हुए बिहार में विधानमंडल का शीतकालीन सत्र संक्षिप्ति कर दिया गया था। इसलिए मार्च से ही सम्पूर्ण राज्य में लॉक डाउन के माध्यम से कोरोना सन्क्रमण की रफ़्तार को थामने के लिए पहल की गई। तब राज्य में Covid-19 को जाच् को लेकर राज्य में कोई भी लैब नहीं था। इसलिए जाच् के लिए सैंपल एकत्र् कर उसे नेशनल वायरोलोजी लैब के लिए पुणे भेजना पड़ रहा था। उस वक़्त कोरोना से बचने के लिए केंद्र की दिशा निर्देशों की अनुसार और डॉक्टरो, और स्वास्थ् सम्बन्धी समस्याओं पूरे बिहार में एक चूनौती के रूप में देखा गया। लेकिन अब वैसा कोई भी बात नहीं है अब हर जगह से लोग पूरे जड़ से मजबूती के साथ लड़ रहे हैं और बहुत जल्द साफ भी किया जाएगा। नए साल में नया शुभारंभ होगा।