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दूषित पानी पीने से 4 बच्चों की मौत, 60 लोग बीमार

नौहट्टा संवाददाता प्रीति कुमारी

रोहतास जिले के नौहट्टा थाना क्षेत्र के चपरी गांव में प्रदूषित पानी पीने से तीन बच्चों की जान चली गई। करीब 60 लोग बीमार हैं, जबकि एक और बच्चे की हालत खराब बतायी जा रही है। मृतकों में नंदलाल उरांव का 10 वर्षीय पुत्र रवि उरांव, गोरखनाथ उरांव की 11 वर्षीय बेटी फूलमती कुमारी व 10 वर्षीय प्रेमशीला शामिल हैं।
गांव में वन विभाग की ओर से लूज बोल्डर स्ट्रक्चर का निर्माण कराया जा रहा है। इसमें चपरी गांव के लगभग चार दर्जन मजदूर काम कर रहे थे। मृत बच्चों के परिजनों ने बताया कि मजदूरी कर रहे लोगों के अलावा उनके बच्चों को उल्टी-दस्त व पेट दर्द होने लगा। तबीयत खराब होने पर भभुआ, अधौरा, डेहरी व अन्य जगहों पर इलाज कराने ले गए थे। इलाज के दौरान तीन बच्चों की मौत हो गई।
कार्यस्थल पर नहीं था पानी का टैंकर
जंगल में बन रहे लूज वोल्डर स्ट्रक्चर निर्माण में दो जगहों पर मजदूर काम कर रहे थे। वन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि तबीयत खराब होने पर विभाग द्वारा इलाज के लिए 25 हजार रुपए व अन्य संसाधन भेजा गया था। मनरेगा के तहत कार्यस्थल पर टैंकर उपलब्ध कराना था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया था। हालांकि कुछ लोगों का कहना था कि कार्यस्थल पर मजदूरों की रहने, खाने-पीने की व्यवस्था नहीं की गयी थी
बच्चों को अस्पताल पहुंचाने में हुई देर
चपरी गांव नौहट्टा से करीब 45 किमी दूर पहाड़ी पर है, जिला मुख्यालय से दूरी करीब 135 किमी है। इस वजह से बीमार बच्चों को समय पर अस्पताल तक नहीं पहुंचाया जा सका। सूचना पर पहुंची स्वास्थ्य विभाग की टीम ने गांव में जाकर लोगों की जांच की। गांव के कुछ बीमार लोग कैमूर के अधौरा व अन्य जगहों पर इलाज के लिए गए हैं। गांव में छह-सात लोग ही टीम से मिले। जिनकी जांच की गई। इन लोगों ने भी चिकित्सकों की टीम से दवा लेने से इंकार कर दिया। इसके बाद प्रशासन की मुश्किलें बढ़ गई हैं। चिकित्सकों को गांव बुलाने में मुखिया श्यामनारायण उरांव की भूमिका अहम रही। चिकित्सक डॉ. राजीव कुमार ने बताया कि स्थिति नियंत्रण में है। चर्चा है कि बच्चों में उल्टी-दस्त व पेट दर्द शुरू हुई तो मजदूर भूत-प्रेत का प्रकोप समझकर झाड़-फूंक कराने में लग गए। इसके काफी देर बाद अस्पताल ले गए। जिससे बच्चों की तबीयत ज्यादा बिगड़ गई।
15 गांवों में नहीं पहुंचा नल का जल
गौरतलब है कि हर घर नल का जल योजना के तहत सीएम ने कैमूर पहाड़ी पर जाकर योजना का उद्घाटन किया था। कुछ दिनों तक इस पर काम हुआ। लेकिन, कैमूर पहाड़ी के लगभग 15 गांवों के लोगों को आज तक पीने का शुद्ध पानी नसीब नहीं हुआ। इस कारण वे चूएं का पानी पीने को विवश हैं।
डीएम चौकें, बोले- जानकारी ले रहा हूं
जब ‘मीडिया ‘ने प्रभारी डीएम लाल बाबू सिंह को घटना के बारे में बताया तो वे चौंक पड़े। बोले की घटना की जानकारी ले रहा हूं
मजदूरों के बीमार होने की सूचना मिली थी
दो दिन पहले मजदूरों के बीमार होने की सूचना मिली थी। वन विभाग ने चपरी गांव में मजदूरों के रहने, खाने व पेयजल की व्यवस्था की थी। लेकिन कुछ मजदूर जंगल में ही रुक गए। वहीं का पानी पीये होंगे। रेंजर को जांच कर तीन दिन में रिपोर्ट देने को कहा गया है वन विभाग ने काम बंद करा दिया गया है।- प्रद्युम्न गौरव, डीएफओ, सासाराम
पेट दर्द की मिली थी शिकायत
गांव में वन विभाग करीब 40 मजदूरों से मजदूर काम रहा था। मजदूरों के बच्चों को पेट दर्द की शिकायत मिली थी। तीन बच्चों की मौत हुई है। मेडिकल टीम गांव में कैंप की हुई है। ग्रामीण दवा लेने से इंकार कर रहे हैं। प्रथम दृष्टया खाने-पीने से बीमारी होने का अंदेशा है

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