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मूर्खता का पात्र हैं जो दूसरों के बनाये हुए जाल में खुद फस जाती है उलझ कर एक प्रशन बनकर—- आम जनता

तिलौथू संवाददाता प्रीति कुमारी

कहा जाता है न् की खुद की किस्मत का चाभी दूसरों के हाथोंं में नहीं होता है न् ही कोई लेकर बदल् सकता है, उसके केवल हम खुद ही बदल सकते हैं क्योकि हर कोई के अंदर अपनी किस्मत के दरवाजे़ को खोलने के लिए सभी के पास एक चाभी होती है जिसको दिन रात मेहनत और परिश्रम करके खोलना होता है तभी जाकर अगले दिन उजाला का पहल नज़र आता है
ठीक उसी तरह जनता का भी एक सुनहरा वह पल आता है जिससे वह अपनी किस्मत की कनेक्शन को बदल सकती है वह है जनता का एक मतदान जो हर साल आता है और उसी मतदान से जनता अपने देश का भविष्य तय करती हैं कि कौन विधायक हो या सरकार देश के लिए उचित होगा। तो दूसरी ओर उसी दौरान विधायक गावो गांवों का दौरा करते है और सरकार के बहुत सारे किए गए कार्यों, योजनाओं का नाम को बताते हुए याद दिलाते हैं और जनता को कमज़ोर करके उनका मत लेना ही उनका मुख्य उदेश्य है।

इसीलिए कहा गया है जनता के पास अपना खुद का एक अलग और अनोखा पहचान होता है और वह उस वक़्त निखारने का उचित समय होता है जहां बड़े बड़े नेता लोग आकर आम जनता से अपनी कुर्सी को बरकरार रखने के लिए जनता के सामने आती है। इसीलिए अपने पास अपना खुद का एक अलग और सबसे बेहतरीन चिन्ह् को रखिये नहीं तो लोग आपको गली के कीड़े के सामान समझने लगते हैं
जब की ये बात जनता अच्छी तरह से जानती है कि चुनाव के दौरान सभी विधायकों का यही काम है लेकिन मगर हां ये भी सच है कि जनता उस वक़्त सही सोच समझकर सही निर्णय नहीं ले पाती है क्योकिं उस वक़्त सभी चेहरे एक जैसे दिखाई देती है और ऐसा लगता है कि कोई है जो हमारे जैसे लोगों की समस्याऐं को है जो समझे और देश की गरीबी और भुखमरी जैसी वेश्विक् समस्याओँ से मुक्ती दिलाएगी
इसीलिए तो लोग घरो से निकलकर विधायक का इतना इज्ज्त के साथ सम्मानित करती है और अपने समस्याओ को उनके सामने रखने की कोशिश करते हैं, लेकिन कौन जानता है कि इतने भोले चेहरे की पीछे बहुत बड़ी राज़ छुपा हुआ है।

लेकिन जनता भी किसी को दोषी नहीं बोल सकती है क्योकि यह उनकी किस्मत है क्योकि जनता उस वक़्त कहाँ थी जब विधायक गावों में भ्रमण करके उनसे उनका एक मत मांगते हुए सभी वादों को निभाने के लिए वचन देते हैं❓ उनको जिताने के लिए उनके साथ अपना पूरा समय को उनके पीछे नष्ट करते हैं आखिर क्यों किस उम्मीद से किस चाह से और कौन से उजाला को देखते हुए❓
और अब जनता दिल्ली में किसानों का आंदोलन चला रहे हैं आखिर क्यों❓ अब जनता कुछ नहीं कर सकती है ये जनता को खुद स्वीकार् करना ही होगा कि हमारी एक गलती का अन्ज़ाम् कितना बुरी तरह से प्रभाव पड़ता है। इसीलिए आप सभी को कहना चाहता हु की सोच समझकर, सूझ बुझ कर सही निर्णय को लेकर देश के उज्जवल भविष्य के बारे में सोचे क्योकि ये सवाल आपका ही नहीं आपके बच्चे के भविष्य का सवाल है, जो आने वाले समय में कष्टों का सामना करना पड़ेगा

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